भोपाल में ‘घर का सपना’ महँगा हुआ: स्टैंप-ड्यूटी-रजिस्ट्री और संपत्ति करों ने बढ़ाई मध्यमवर्ग की मुश्किलें

विवेक झा, भोपाल, 18 सितंबर 2025। रियल एस्टेट की दुनिया में हालिया बदलावों ने मध्यम वर्ग के लिए घर खरीदना पहले से और भी अधिक मुश्किल बना दिया है। टाटा रियल्टी के सी.ई.ओ. ने राष्ट्रीय स्तर पर कर-शुल्क-भूमि की लागत का जिक्र करते हुए कहा कि कुल मूल्य में सरकार का हिस्सा लगभग 50% तक जाता है। भोपाल-मध्यप्रदेश में भी यह बात सच होती दिख रही है, जहां स्टाम्प-ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन फीस, प्रॉपर्टी टैक्स और अन्य शुल्कों ने प्रॉपर्टी खरीद की कुल लागत में भारी इजाफा कर दिया है।

भोपाल-मध्यप्रदेश में लागत के घटक

  • स्टाम्प-ड्यूटी व रजिस्ट्रेशन शुल्क
    भोपाल में संपत्ति खरीदने पर लागू स्टाम्प शुल्क वर्तमान में लगभग 7.5% है।  
    साथ ही पंजीकरण शुल्क (registration charge) लगभग 3% है।

  • प्रॉपर्टी टैक्स दरें
    भोपाल नगर निगम के अधीन संपत्ति कर की दरें लगभग 5% से 20% के बीच हैं, जो स्थान, उपयोग (residential या commercial), भवन की उम्र और ज़मीन/बिल्ड-अप एरिया जैसे कारकों पर निर्भर करती हैं।

  • प्रॉपर्टी रेट्स में बढ़ोतरी
    1 अप्रैल 2025 से भोपाल में कई इलाकों में प्रॉपर्टी के मूल्य (guideline rates) में औसतन 18% तक की बढ़ोतरी प्रस्तावित हुई थी।

मध्यमवर्ग पर प्रभाव

इन शुल्कों और रेट्स की वजह से:

  • एक मध्यम-आय वाली परिवार के लिए अब पहले से अधिक डाउन पेमेंट और मासिक किस्त आर्थिक बोझ बन गई है।

  • ज़मीन की कीमत बढ़ने से, विशेषकर उन इलाकों में जहाँ बुनियादी सुविधाएँ सीमित हैं, लागत और समय दोनों की परेशानी होती है।

  • स्टाम्प-ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस के बाद कुल निवेश का क्रेता को पूर्व अनुचित बोझ लगता है।

स्थानीय राहतों की स्थिति

  • भोपाल नगर निगम ने बजट पेश करते समय प्रॉपर्टी टैक्स में 10% की वृद्धि की है।

  • कुछ संपत्ति मालिकों को समय-सीमा के भीतर कर जमा कराने पर छूट (rebate) मिल रही है।

संभावित समाधान

  • राज्य सरकार से आग्रह है कि स्टाम्प-ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज में मध्यम आय वर्ग के लिए राहत दी जाए, जैसे कि स्लैब प्रणाली, छूट आदि।

  • प्रॉपर्टी रेट्स (guideline rates) को अधिक पारदर्शी और बाजार-अनुकूल तरीकों से निर्धारित किया जाए।

  • प्रॉपर्टी टैक्स और अन्य शुल्कों के समय-समय पर समीक्षा हो ताकि करदाताओं पर बोझ संतुलित हो।

क्रे‍डाई भोपाल के अध्‍यक्ष मनोज मीक ने बताया कि भोपाल में मध्यम वर्ग के लिए घर खरीदना अब सिर्फ ज़रूरी बजट की बात नहीं बल्कि टैक्स-शुल्क, रेट्स और स्थानीय सुधारों पर भी निर्भर है। यदि स्टाम्प-ड्यूटी, पंजीकरण शुल्क और प्रॉपर्टी टैक्सों में संतुलन नहीं हुआ, तो “घर का सपना” और दूर हो जाएगा।

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