सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों के निदेशक मंडल में स्थायी निदेशक पद पर लोगों के बने रहने की परंपरा को समाप्त करने और शेयर ब्रोकरों की ओर से होने वाली धोखाधड़ी रोकने के लिए रूपरेखा तैयार करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सेबी के निदेशक मंडल की बैठक के बाद चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने यह जानकारी दी है।
बाजार नियामक सेबी ने बुधवार को कई प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। इनमें सूचीबद्ध कंपनियों के निदेशक मंडल में स्थायी निदेशक पद पर लोगों के बने रहने की परंपरा को समाप्त करना और शेयर ब्रोकरों की ओर से होने वाली धोखाधड़ी रोकने के लिए रूपरेखा तैयार करना शामिल है। भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड (सेबी) के निदेशक मंडल की बुधवार को बैठक हुई जिसमें इन प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। सेबी ने निजी इक्विटी फंडों को म्यूचुअल फंड के प्रायोजक बनने की अनुमति देने के लिए एक नियामकीय ढांचे को भी मंजूरी दे दी है। इसके अलावा नियामक ने सूचीबद्ध कंपनियों की ओर से पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) खुलासे से जुड़े मानदंडों को मंजूरी दे दी है।
सार्वजनिक रूप से अदाणी-हिंडनबर्ग प्रकरण पर टिप्पणी करना सही नहींः सेबी प्रमुख
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने बुधवार को कहा कि नियामक अदाणी हिंडनबर्ग प्रकरण पर टिप्पणी नहीं करेगा। मीडिया को संबोधित करते हुए बुच ने कहा, हम अदालत में विचाराधीन मामलों पर टिप्पणी नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने हालिया आदेश में सेबी को इस मुद्दे पर अपडेट देने का निर्देश दिया था। यही कारण है कि हमें सार्वजनिक रूप से इस मामले पर चर्चा करने की अनुमति नहीं है। बुच ने कहा कि बाजार नियामक सेबी अदाणी मामले में उच्चतम न्यायालय की ओर से जारी निर्देश का पालन करेगा और वह ऐसा करने के लिए बाध्य है।
सुप्रीम कोर्ट ने अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में सेबी को रिपोर्ट सौंपने को कहा है
सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में सेबी से इस बात की जांच करने को कहा था कि क्या अदाणी समूह में बाजार नियमों का उल्लंघन और उसके शेयरों में हेरफेर हुआ है? न्यायालय ने बाजार नियामक से दो महीने के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह भी कहा कि सेबी को मामले के विभिन्न पहलुओं की जांच करनी चाहिए। इस मामले में पूर्व न्यायमूर्ति एएम सप्रे की अध्यक्षता में छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति बनाई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से कहा था कि वह सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त विशेषज्ञ समिति को चल रही जांच की रिपोर्ट प्रस्तुत करे। इस समिति में न्यायमूर्ति केपी देवदत्त, केवी कामत, नंदन नीलेकणी, सोमशेखर सुंदरेसन और ओपी भट्ट शामिल हैं। यह रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त पैनल को सौंपी जाएगी। उधर, बुधवार को हुई सेबी बोर्ड की बैठक के बाद यह भी बताया गया कि सेबी ने निजी इक्विटी फंडों को म्यूचुअल फंड प्रायोजित करने की अनुमति देने का रास्ता साफ कर दिया है। इससे जुड़े नियामकीय ढांचे को मंजूरी दे दी गई है।
कार्वी जैसी दूसरी घटना नहीं होने देंगे : सेबी प्रमुख
सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने बुधवार को कहा कि नियामक किसी भी कीमत पर कार्वी जैसी दूसरी घटना नहीं होने देगा। बोर्ड की बैठक के बाद बुच ने सेबी मुख्यालय में संवादाताओं से कहा, हमारे पूंजी बाजार में कार्वी जैसी दूसराी घटना नहीं होगी… अगर कार्वी जैसी दूसरी घटना होती है तो वह हमारी लाश पर होगी…’’
उनसे सवाल किया गया था कि ‘ब्रोकरेज’ खास तौर से ‘डिस्काउंट ब्रोकर’ ज्यादा पैसे नहीं कमाते हैं। इसपर बुच ने कहा, आंकड़े बताते हैं कि वह बहुत पैसे कमाते हैं।
बता दें कि कार्वी घोटाला 2019 में सामने आया था। इसमें हैदराबाद के ब्रोरकरेज ने 95,000 निवेशकों (ग्राहकों) से 2,300 करोड़ की प्रतिभूतियां ली और उनके एवज में अपने लिए 600 करोड़ रुपये का ऋण ले लिया।