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आसान होगा जीएसटी में मुनाफाखोरी की शिकायत करना

वित्त मंत्रालय वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में मुनाफाखोरी की शिकायत के फॉर्म को सरल बनाने की तैयारी कर रहा है। उपभोक्ताओं को ऐसी कंपनियों के खिलाफ शिकायत की व्यवस्था दी गई है, जो जीएसटी दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने के बजाय उससे मुनाफा कमाते हैं। मंत्रालय इस प्रक्रिया में भरे जाने वाले फॉर्म को उपभोक्ताओं के ज्यादा अनुकूल और सरल बनाना चाहता है।

पिछले साल एक जुलाई को जीएसटी लागू होने के बाद से ग्राहकों ने कंपनियों द्वारा कर में कटौती का लाभ नहीं देने के बारे में स्थायी समिति और जांच समिति के समक्ष 170 शिकायतें की हैं। इस संबंध में शिकायत के लिए उन्हें एक पन्ने का फॉर्म भरना होता है। लेकिन इस एक पन्ने के फॉर्म में 44 अलग-अलग कॉलम में जानकारी देनी पड़ती है। एक अधिकारी ने कहा कि स्थायी समिति को फॉर्म को लेकर कई शिकायतें मिली हैं। इनको ध्यान में रखते हुए इसे सरल किया जा रहा है। जल्द आसान फॉर्म लाया जाएगा। फॉर्म को इस तरह से बनाया जा रहा है कि एक आम आदमी भी बिना किसी अकाउंटेंट की मदद के इसे भर सके। इसमें कोई जटिल ब्योरा नहीं देना होगा।

रियल्टी पर जीएसटी के बाद भी लग सकती है स्टांप ड्यटी, प्रॉपर्टी टैक्स
सरकार रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाने की दिशा में कदम बढ़ाने जा रही है। माना जा रहा है कि जीएसटी काउंसिल की 18 जनवरी को नई दिल्ली में होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है। हालांकि केंद्र ने जो विकल्प राज्यों को सुझाया है, उसमें जीएसटी के दायरे में रियल एस्टेट के आने के बाद भी स्टांप ड्यूटी और प्रॉपर्टी टैक्स को बरकरार रखा जा सकता है।

सूत्रों ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस संबंध में पहल करते हुए जीएसटी काउंसिल की 10 नवंबर को गुवाहटी में हुई 23वीं बैठक के एजेंडा में एक पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन रखा था, लेकिन समयाभाव के चलते इस पर चर्चा नहीं हो सकी। इसीलिए अब आगामी बैठक में इस पर चर्चा होने के आसार हैं।

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