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Movie review: Pad Man का नारीत्व को सलाम, अक्षय ने जीता दिल

मुख्य कलाकार: अक्षय कुमार, सोनम कपूर, राधिका आप्टे आदि

निर्देशक: आर. बाल्की

गांव और महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ा सबसे बड़ा मसला है माहवारी। एक ऐसे विषय पर फिल्म बनाना जो समाज के लिए हमेशा निषेध माना गया। ऐसे विषय पर फिल्म बनाना और तो और उसमें अक्षय कुमार जैसे सुपरस्टार का होना अपने आप में एक साहसिक घटना है। साथ ही यह इस बात का बेहतरीन उदाहरण है कि एक कलाकार का सामाजिक सरोकार होना कितना जरूरी है?

फिल्म के आंकड़ों की माने तो आज भी भारत में सिर्फ 18% महिलाएं सैनिटरी पैड का इस्तेमाल अपनी महावारी के दौरान करती हैं। 82 प्रतिशत महिलाएं पुराना कपड़ा, पत्ते, राख जैसी चीजों का इस्तेमाल रक्तस्राव रोकने के लिए करती हैं जो विशुद्ध रूप से सेहत के लिए नुकसानदायक है। ऐसे में यह पैड मैन अरुणाचलम मुरुगनाथम के क्रांतिकारी आविष्कार को ध्यान में रखकर बनाई गई है।

मुरुगनाथम द्वारा पैड बनाना जितनी क्रांतिकारी घटना है उतना ही क्रांतिकारी कदम उस पर फिल्म बनाना है। निर्देशक आर. बाल्की ने इस नाजुक विषय को बहुत ही संजीदगी से पेश किया है। मध्यप्रदेश के महेश्वर में शूट की गई इस फिल्म में एक अलग फ्लेवर देखने को मिलता है और पूरी फिल्म पर बाल्की की पकड़ बनी रहती है।

एेसा है अक्षय का पैडमैन रूप

पैडमैन के रूप में अक्षय कुमार दिल जीत लेते हैं। उनके इस सफर में ज़िंदगी के उतार चढ़ाव में आप लगातार उनके साथ बने रहते हैं। फिल्म के अंत में यूनाइटेड नेशन में दी गई स्पीच में एक एक्टर के रूप में अक्षय कुमार ने यादगार स्पीच दी है। सोनम कपूर छोटे से किरदार में अपनी छाप छोड़ जाती हैं। राधिका आप्टे एक बेहतरीन अभिनेत्री हैं वह अपने किरदार के लिए छोटे-छोटे काम तराशती है और अपने किरदार को मजबूत बनाती चली जाती हैं।

सोनम कपूर के पिता बने सुनील सिन्हा ने भी अपनी सशक्त उपस्थित दर्ज करवाई। कुल मिलाकर यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा कि पैडमैन एक ऐसी फिल्म है जो वाकई हर दर्शक को देखना जरूरी है। यह एक सिनेमा के सामाजिक बदलाव और सामाजिक सरोकार का बेहतरीन उदाहरण है साथ ही साथ मनोरंजन की पूरी गारंटी भी है।

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