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निहत्थे ही आतंकियों से भिड़ गए शहीद सूबेदार मदन लाल चौधरी, पढ़िए उनकी जांबाजी की कहानी

सूबेदार मदन लाल चौधरी ने निहत्थे ही आतंकवादियों का मुकाबला किया, अपने सीने में गोलियां खाईं लेकिन यह सुनिश्चित किया कि हमलावर उनके परिवार को कोई ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाए। मदन लाल चौधरी (50) आतंकवादियों की ए के 47 की गोलियां लगने से भले ही शहीद हो गए लेकिन उन्होंने आतंकवादियों को अधिकतम नुकसान पहुंचाने के अपने मंसूबे में कामयाब नहीं होने दिया। इन आतंकवादियों ने जम्मू में सुंजवां सैन्य स्टेशन में उनके क्वार्टर पर हमला किया था। इस गांव में जब मदन लाल चौधरी की शहादत की खबर पहुंची तो गांव में शोक की लहर दौड़ गई। लेकिन, उसके बाद भी कठुआ जिले के हीरानगर क्षेत्र के लोगों को अपनी माटी के इस वीर सपूत पर गर्व है जो निहत्थे ही सशस्त्र आतंकवादियों से भिड़ गए और उन्होंने अपने परिवार एवं रिश्तेदारों की जान बचाई।

मदन लाल चौधरी का परिवार सैन्य स्टेशन में उनके क्वार्टर पर आया था क्योंकि उसे अपने एक रिश्तेदार की शादी के लिए खरीदारी करनी थी। उनके भाई सुरिंदर चौधरी ने कहा, ‘‘उन्होंने ढेर सारा साहस जुटाया और आतंकवादियों को अपने क्वार्टर में नहीं घुसने दिया एवं इस तरह परिवार के अन्य सदस्यों की जान बचाई।’’ हालांकि मदन लाल चौधरी की 20 वर्षीय बेटी नेहा के पैर में गोली लग गई और उनकी अन्य रिश्तेदार परमजीत भी घायल हो गईं। लेकिन सभी अपनी जान बचाने में कामयाब रहे।

सुरिंदर चौधरी ने कहा, ‘‘मुझे अपने छोटे भाई पर गर्व है जिसने बहादुरी से गोलियों का सामना किया, परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों को बचाने के लिए निहत्थे ही सशस्त्र आतंकवादियों से लोहा लिया। यदि वह हमें बचाने में विफल हो जाता तो पूरे परिवार का सफाया हो जाता। उसने अधिकाधिक लोगों को हताहत करने के आतंकवादियों के मंसूबे पर पानी फेर दिया।’’ जूनियर कमीशन प्राप्त अधिकारी (सूबेदार) के पद तक पहुंचे मदन लाल चौधरी का परिवार फौजियों का परिवार है। उनके छोटे भाई शमशेर सिंह (पूर्व सैनिक), उनके बेटे अंकुश (सेना में कैप्टन), भतीजा वायुसेना में है।

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