नई दिल्ली. पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को चूना लगाने के मामले में नीरव मोदी के खिलाफ सीबीआई का पहला केस दर्ज होने के हफ्ताभर बाद इस हीरा कारोबारी ने बेल्जियम के एंटवर्प शहर में मौजूद एक भारतीय सरकारी बैंक की शाखा से बड़ी रकम निकाली. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के आला अधिकारियों का कहना है कि बैंक से बड़ी रकम की निकासी का यह मामला चौंकाने वाला है, क्योंकि 31 जनवरी 2018 को भारतीय बैंकों की सभी विदेशी शाखाओं को इस बारे में सावधान कर दिया गया था. इसी तारीख को केंद्रीय जांच एजेंसी ने नीरव मोदी, उसके भाई नीशल मोदी, पत्नी अमि मोदी और चाचा मेहुल चोकसी के खिलाफ पंजाब नेशनल घोटाला मामले में एफआईआर दर्ज की थी.
हालांकि, अधिकारियों ने उस सरकारी बैंक के नाम का खुलासा नहीं किया है, जिसकी बेल्जिमय स्थित शाखा से नीरव मोदी ने रकम निकाली. इन अधिकारियों का कहना है कि नीरव मोदी के वहां से रकम निकालने के कुछ दिनों बाद ही इस शख्स के कुछ खातों को फ्रीज किया जा सका. अधिकारियों ने बताया, हमें भी इस बारे में विश्वसनीय सूचना मिली है कि जब निकासी की यह घटना हुई, तो उस वक्त नीरव मोदी अमेरिका में थे. इस शख्स के बारे में सुराग मिला था और हमें इस बात की जानकारी भी दी रही थी. हालांकि, मार्च के पहले हफ्ते में जानकारी का यह सिलसिला टूट गया.
पंजाब नेशनल बैंक में 13,000 करोड़ रुपए के बैंक फ्रॉड के मामले के बाद जांच एजेंसियों ने भारतीय बैंकों की वैसी विदेशी शाखाओं को लेकर जानकारी मांगी थी, जो नीरव मोदी और उसके चाचा मेहुल चोकसी की कंपनियों के साथ बिजनेस कर रही थीं. सीबीआई ने कहा था कि नीरव मोदी की अगुवाई वाली फायरस्टार ग्रुप कंपनियों को कंसोर्शियम के तहत क्रेडिट लिमिट (अधिकतम लोन की सीमा) की मंजूरी मिली. फायरस्टार इंटरनेशनल लिमिटेड के मामले में पंजाब नेशनल बैंक प्रमुख बैंक था और फायरस्टार डायमंड्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के खातों में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया प्रमुख बैंक था.
अधिकारियों ने बताया, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी केस से संबंधित भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं के स्थानीय ऑडिटर्स को लेकर भी बैंक अधिकारियों से पूछताछ की गई है. वे नोस्ट्रो खाते के दुरुस्त होने संबंधी जरूरी दस्तावेज नहीं पेश कर पाए हैं. इसके अलावा, इस बात को भी सुनिश्चित करने के लिए दस्तावेज पेश नहीं किए जा सके कि संबंधित बैंकों के साथ लेनदेन को लेकर चेतावनी दी गई थी या नहीं. हमने हांगकांग में काम कर रहे दो बैंकों से जुड़े दस्तावेजों की मांग की थी, लेकिन अब तक उनका जवाब नहीं आया है. इस घोटाले के सिलसिले में तात्कालिक जांच के लिए हमें जरूरी सूचना उपलब्ध होने के बाद विदेशी शाखाओं से जुड़े ऑडिटर्स की भूमिका की भी जांच की जरूरत है.