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चीन बार-बार ये ‘झूठ’ क्यों बोलता है?

चीन ने इनमें से किसी टेक्नॉलजी का आविष्कार नहीं किया. हां, ये ज़रूर है कि चीन ने इनका भरपूर इस्तेमाल किया और इन्हें दुनिया के हिस्सों तक इन्हें पहुंचाने में मदद की.

दरअसल चीन की सरकारी मीडिया में मई, 2017 से ये दावा बार-बार किया जाने लगा कि उनके देश ने इन चार क्रांतिकारी तकनीकों को जन्म दिया.

हाल ही में पोनी मा ने चीन की नेशनल पीपल्स कांग्रेस (एनपीसी) में इस दावे को एक बार फिर दोहराया. पोनी मा चीन के मशहूर इंटरनेट कंपनी टेन्सेंट के चीफ़ एक्जिक्यूटिव हैं. हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट के मुताबिक वो चीन के सबसे अमीर शख़्स भी हैं.

उन्होंने एनपीसी में पत्रकारों से कहा, “हमारे पास एक नई उपलब्धि है- न्यू फ़ोर ग्रेट इन्वेंशन्स इन चाइना. हमने दुनिया को हाई-स्पीड रेलवे, ऑनलाइन शॉपिंग, मोबाइल पेमेंट और शेयरिंग बाइक्स दीं.”

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लेकिन सच तो ये है कि इन तकनीकों का जन्म चीन में नहीं हुआ. ये कई दशकों पहले ही दुनिया में आ चुकी थीं.

ये दावा आया कहां से?
ऐसा लगता है कि इन ग़लत दावों की शुरुआत मई, 2017 में बीजिंग फ़ॉरेन स्टडीज़ यूनिवर्सिटी के सर्वे से हुई. इस सर्वे में 20 देशों के युवाओं से पूछा गया था कि वो कौन सी तकनीकें हैं जो वो चीन से वापस अपने देश में लाना चाहेंगे.

सर्वे के जवाब में हाई स्पीड रेल, मोबाइल पेमेंट, बाइक शेयरिंग और ई-कॉमर्स टॉप पर थे. बस इसके बाद से ही चीनी मीडिया और अधिकारी इन्हें आधुनिक वक़्त के ‘चार नए अहम आविष्कार’ कहकर प्रचारित करने लगे.

हाई-स्पीड रेल की कोई तय परिभाषा नहीं है. यूरोपीयन यूनियन के मुताबिक नए रेलवे ट्रैक पर कम से कम 250 किलोमीटर/घंटा रफ़्तार से चलने वाली ट्रेन को हाई-स्पीड ट्रेन कहा जा सकता है.

वर्ल्डवाइड रेल ऑर्गनाइज़ेशन के अनुसार पहली हाई-स्पीड ट्रेन सेवा 1964 में जापान में शरू हुई थी.

इससे पहले 1955 में फ़्रांस में एक ट्रेन 331 किलोमीटर/घंटे की रफ़्तार से गंतव्य पर पहुंची थी. हालांकि सबसे पहले टोक्यो से ओसाका रेलमार्ग पर ट्रेनें नियमित रूप से 201 किलोमीटर/घंटे की रफ़्तार से चलने लगी थीं.

मोबाइल पेमेंट
सबसे पहले मोबाइल डिवाइस के ज़रिए पेमेंट 1997 में फ़िनलैंड में हुआ था. हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि मोबाइल पेमेंट टेक्नॉलजी की शुरुआत 2014 में ‘ऐपल पे’ के ज़रिए हुई.

ई-कॉमर्स
इंग्लैंड के माइकल एल्ड्रिच को 1979 में ऑनलाइन शॉपिंग के कॉन्सेप्ट की शुरुआत का श्रेय दिया जाता है.

हालांकि ई-कॉमर्स 1990 में तब लोकप्रिय हुआ जब अमेज़न और ईबे ने 1995 में अपनी वेबसाइट्स लॉन्च कीं.

बाइक शेयरिंग
बाइक शेयरिंग की शुरुआत ‘वाइट बाइसकिल प्लान’ नाम से हुई. इसकी शुरुआत 1960 में एमस्टर्डम में हुई.

हालांकि मोबाइक और ओफ़ो जैसी चीनी कंपनियां बाइक शेयरिंग के लिए एक नए तरीके का इस्तेमाल करती हैं जिसमें यूज़र अपने स्मार्टफ़ोन से बाइक्स की लोकेशन का पता लगा सकते हैं और राइड के बाद उन्हें कहीं भी ड्रॉप कर सकते हैं.

चीन ग़लत दावों को बार-बार क्यों पेश करता है?
चीन साल 2020 तक ख़ुद को एक ‘इनोवेशन नेशन’ घोषित करना चाहता है. शायद यही वजह है कि वो तकनीक के बढ़ावे पर ज़ोर देता रहता है.

मोबाइल पेमेंट करके फल खरीदती एक चीनी महिला
बीते वक़्त में चीन को कागज बनाने, गन पाइडर, प्रिंटिंग और कंपास के लिए ‘चार नए आविष्कारों का जनक’ कहा जाता था. ज़ाहिर है कि चीन इस पुराने गौरव को वापस पाने के लिए हर तरह की क़ोशिशें कर रहा है.

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