नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 14 अप्रैल को प्रस्तावित छत्तीसगढ के बस्तर संभाग के अतिसंवेदनशील गांव जांगला के दौरे से पहले यहां के आदिवासियों के बीच अब विकास की राह में शामिल होने की उम्मीदें बंध गई हैं। जिला मुख्यालय बीजापुर से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम जांगला से ही पीएम अपने प्रस्तावित दौरे के दौरान महत्वाकांक्षी आयुष्मान योजना का उद्घाटन करेंगे। उनके दौरे से पहले प्रशासन यहां विकास कार्यों को अंजाम देने में जुट गया है।
विकास से अब तक बहुत दूर रहे इस गांव के ग्रामीणों को प्रधानमंत्री के दौरे से काफी उम्मीदें हैं। उनका मानना है कि मोदी इस गांव के लिए बेरोजगारी के साथ-साथ बाकी बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराएंगे। वहीं नक्सलवाद की समस्या से भी राहत मिलने की संभावना है। इस गांव को वर्तमान में विधायक और प्रदेश के वन मंत्री महेश गागड़ा ने गोद लिया है। उसके बावजूद गांव का विकास नहीं हो पाया है। राष्ट्रीय राजमार्ग 63 पर बसे इस गांव की जनसंख्या आजादी के पूर्व 150 से 200 थी जो अब करीब 1500 से 1600 तक हो चुकी है। जंगलों से पूरी तरह घिरे इस गांव में बिजली, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य के अलावा पेयजल की भी कोई सुविधा नहीं थी। वर्तमान में यहां कई बुनियादी सुविधा शुरु हुई हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि आवागमन के नाम पर यहां एक कच्ची सड़क थी, जिस पर पुल-पुलिया भी लकड़ियों से ग्रामीणों ने ही बनाई जिससे बस्तर पहुंचने में दो से तीन दिन लगते थे। स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में मरीजों को बैलगाड़ी से भैरमगढ़ ले जाया जाता था। अब प्रधानमंत्री के दौरे के बाद उन्हें अपने गांव के राष्ट्रीय पटल पर आने और यहां सुविधाएं बढऩे की उम्मीद जागी है। इस धुर नक्सली क्षेत्र में प्रधानमंत्री के दौरे के पहले प्रशासन भी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर खासा अलर्ट है।