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अमरीकी दबाब के बाबजूद रुस से मिसाइल प्रणाली खरीदने से पीछे नहीं हटेगा भारत

मास्कोः भारत ने दोहराया है कि अमरीकी दबाव के बावजूद वह रूस से एस -400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों की खरीद से पीछे नहीं हटेगा। रूस में भारत के राजदूत पंकज शरण ने यहां यह बात कही।

मोदी व पुतिन के बीच सैन्य – प्रौद्योगिकी सहयोग पर हुई थी चर्चा
उन्होंने कहा कि भारत, रूस के साथ अपने सभी सैन्य व प्रौद्योगिकी सहयोग को लेकर प्रतिबद्ध है। यहां की सरकारी संवाद समिति तास के साथ साक्षात्कार में शरण ने कहा कि भारत एस 400 की खरीद से पीछे नहीं हटेगा। शरण को हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा उप सलाहकार नियुक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले महीने सोची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में भी सैन्य – प्रौद्योगिकी सहयोग पर चर्चा हुई थी। इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री मोदी व राष्ट्रपति पुतिन के बीच सालाना द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन अक्तूबर में नई दिल्ली में हो सकता है।

भारत-अमरीकी अधिकारियों के साथ उठा सकता है इस मुद्दे को
उल्लेखनीय है कि भारत की रूस से अपनी वायु सेना के लिए एस-400 ट्रायंफ वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली खरीदने की योजना है। भारत चाहता है कि रूस के साथ उसके रक्षा क्षेत्र के रिश्तों को अमरीका के कड़े सीएएटीएसए कानून से छूट मिले। भारत अगले महीने वाशिंगटन में अमरीकी अधिकारियों के साथ बैठक में इस मुद्दे को उठा सकता है।

असैन्य परमाणु सहयोग के लिए भारत का बंग्लादेश के साथ समझौता
शरण ने कहा कि भारत व रूस परमाणु ऊर्जा सहित विभिन्न क्षेत्रों में तीसरे देशों में मिलकर काम कर सकते हैं और इसको लेकर बातचीत अभी शुरुआती चरण में है। भारत ने असैन्य परमाणु सहयोग के लिए बांग्लादेश के साथ समझौता किया है जिसके तहत वह रूसी प्रौद्योगिकी से बनने वाले रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए विशेषज्ञता व परियोजना समर्थन देगा।

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