indiaprime24.com

विधानसभा का मानसून सत्र अनिश्चित काल के लिए स्थगित

भोपाल।मध्यप्रदेश का 14वीं विधानसभा का अंतिम सत्र भारी हंगामे के बाद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। 5 दिनी ये सत्र महज 5 घंटे की कार्यवाही में सिमट गया। दोनों दिन सदन की कार्यवाही करीब ढाई-ढाई घंटे भारी शोरगुल के बीच मुश्किल से चली। सत्र में अनुपूरक बजट के अलावा जो 17 विधेयक पेश होना थे, वो भी बिना चर्चा के पारित कर दिए गए। भाजपा विधायक नीलम मिश्रा ने सरकार को मुश्किल में डाल दिया। नीलम ने मंत्री राजेंद्र शुक्ला पर गंभीर आरोप लगाए। मानसून सत्र के लिए 1,376 प्रश्नों पूछे गए थे। ध्यानाकर्षण की 236, स्थगन प्रस्ताव की 03, अशासकीय संकल्प की 17, शून्य्काल की 36 तथा याचिकाओं की 15 सूचनाएं सदन को मिली थीं। जिन पर कोई चर्चा नहीं हो सकी। कुल मिलाकर जनता से जुड़े एक भी महत्वपूर्ण मुद्दे पर सदन में चर्चा नहीं हो सकी।

– विधानसभा में दूसरे दिन सदन की कार्यवाही निपटाने की तर्ज पर अनुपूरक बजट और 17 विधेयक बिना चर्चा के पारित कर दिए गए। इसके अतिरिक्त 1,376 प्रश्नों में से पहले और दूसरे दिन कुछ प्रश्नों को छोड़कर किसी का जवाब सदन में नहीं मिला। अब इन प्रश्नों के लिखित उत्तर विधायकों को भेज दिए जाएंगे। इसके अलावा ध्यानाकर्षण की 236, स्थगन प्रस्ताव की 03, अशासकीय संकल्प की 17, शून्य्काल की 36 तथा याचिकाओं की 15 सूचनाओं पर कोई संज्ञान सदन में नहीं लिया जा सका।

क्या सरकार नहीं चाहती थी विधानसभा चले

– विपक्ष के तेवरों को देख सत्तापक्ष ने पहले से ही मानसून सत्र को समय से पहले स्थगित करने का मन बना लिया था।

– इसका अंदाजा इसी से लग गया था कि सत्र के अंतिम दिन होने वाला फोटो सेशन का समय दूसरे दिन ही निर्धारित कर दिया गया। कांग्रेस सदस्यों के विरोध के बाद इसे टाल दिया गया।

– मध्य प्रदेश इतिहास में भी ऐसा पहली बार हुआ है कि विधानसभा के अंतिम संत्र में बिना फोटो सेशन के सत्र स्थगित कर दिया गया हो।

विधायक नीलम मिश्रा ने बढ़ाई सरकार की मुश्किल

– दरअसल विधानसभा में आज एक नाटकीय घटनाक्रम देखने मिला। भाजपा विधायक नीलम मिश्रा सदन के अंदर अध्यक्ष की आसंदी के सामने धरने पर बैठ गईं।

– नीलम के तेवर देख सत्ता पक्ष विधायक और मंत्री हैरान रह गए। विधायक नीलम मिश्रा ने मंत्री राजेंद्र सिंह पर आरोप लगाया कि मंत्री के संरक्षण में उनके पति अभय मिश्रा के खिलाफ पुलिस कर रही है।

– नीलम मिश्रा को सूचना मिली कि उनके पति अभय मिश्रा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इससे नाराज नीलम मिश्रा आसंदी के पास जाकर धरने पर बैठ गई और रोने लगी।

– कांग्रेस विधायकों ने इस पर जमकर हंगामा मचाया और कांग्रेस की महिला विधायक भी नीलम मिश्रा के साथ बैठ गई।

– कुछ देर बाद संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा और गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह नीलम मिश्रा के पास पहुंचे और उनसे बात की।

– इसी दौरान हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिे स्थगित कर दिया गया। इसी बीच सूचना आई कि नीलम मिश्रा के पति को पुलिस ने छोड़ दिया है तब कहीं जाकर नीलम मानी।

सत्तापक्ष को था इस बात का डर

– इस पूरे घटनाक्रम के बाद कहा जा रहा है कि जिस तरह पिछली विधानसभा के अंतिम सत्र में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान विधानसभा में कांग्रेस के विपक्ष के उपनेता राकेश चौधरी पाला बदल भाजपा में शामिल हो गए थे। ठीक उसी तरह नीलम भी कांग्रेस के पाले में जा सकती थीं। नीलम के पति अभय पहले ही कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं।

आपातकाल को लेकर हुआ हंगामा

– इससे पहले सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही भी हंगामे के साथ शुरू हुई। कांग्रेस विधायक नारेबाजी करते हुए ही विधानसभा में पहुंचे। सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद भी कांग्रेस विधायकों की नारेबाजी जारी रही।

– कांग्रेस विधायक मुख्यमंत्री निवास पर मीसाबंदियों के सम्मान समारोह का विरोध कर रहे थे। ये समारोह मंगलवार शाम को है। नारेबाजी और हंगामा देख विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतारमण शर्मा ने कार्यवाही को आधे घंटे के लिए स्थगित कर दिया।

– कांग्रेस विधायक इस बात से भी नाराज थे कि विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए कोई व्यवस्था नहीं दी।

– इससे पहले आपातकाल के मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस विधायकों में जमकर बहस और विवाद हुआ। भाजपा ने आपातकाल को देश के इतिहास का सबसे काला दिन बताया। वहीं तानाशाह शब्द का प्रयोग किया गया।

– इस पर कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत आपत्ति लेते हुए आसंदी तक पहुंचे और उन्होंने तानाशाह और काला दिवस शब्दों को विलोपित कराया।

नरोत्तम ने विपक्ष पर बोला हमला

– संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने विपक्ष पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि जिस पार्टी के नेता प्रतिपक्ष पर उनके विधायकों का भरोसा नहीं, वह नेता विधानसभा में सत्ता पक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं।

– उन्होंने कहा कि कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव के आरोप पत्र में कांग्रेस विधायकों के हस्ताक्षर ही नहीं हैं ।

– आरोपपत्र को लेकर विपक्ष में एकजुटता नहीं है। विपक्ष के सभी सवालों का सदन के अंदर जवाब दिया जाएगा। वही मिश्रा ने नेता प्रतिपक्ष पर लगे घरेलू हिंसा मामले पर भी तंज कसा। मिश्रा ने केरवा की कोठी और मां को न्याय नहीं देने पर सवाल उठाए।

– उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष से कोठी के निर्माण को लेकर भी सदन में जवाब पूछा जाएगा।

पहले दिन अपने ही विधायकों से घिर गई थी सरकार

– मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को सरकार अपने ही विधायकों से घिर गई थी। अविश्वास प्रस्ताव को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच जमकर तीखी नोकझोंक हुई, जिससे सदन की कार्रवाई दोपहर में मंगलवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दी गई।
– इससे पहले कांग्रेसी विधायकों ने मंदसौर गोलीकांड की रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने की मांग को लेकर नारेबाजी की। कांग्रेस की आपत्ति के बाद मंगलवार को होने वाला फोटो सेशन स्थगित कर दिया गया है।
– लोक निर्माण मंत्री रामपाल सिंह भाजपा के ही विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह के सवाल का जवाब नहीं दे पाए, जिससे सदन में विपक्ष के विधायकों ने जमकर हंगामा किया।
– कुशवाह का आरोप था कि उनके विधानसभा क्षेत्र में 12 महीने में बनने वाली सड़क 30 महीने यानी ढाई साल में नहीं बन पाई। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तो विकास कार्यों के लिए भरपूर राशि दे रहे हैं, लेकिन अधिकारी नहीं सुनते जिससे काम नहीं हो पा रहे हैं। कुशवाह दोषी अफसरों को निलंबित करने की मांग कर रहे थे।
– कांग्रेस विधायक हेमंत कटारे के सवाल के जवाब में स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी ने स्वीकार किया कि 597 स्कूलों में से 590 में बिजली नहीं है। कटारे का आरोप था कि सिर्फ 7 स्कूलों में ही बिजली पहुंच पाई है।

क्या होता है जब पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सदन में कार्यवाही नहीं होती

– विधानसभा के शुरू होते ही कार्यमंत्रणा समिति की बैठक होती है। सदन में कामकाज कैसे होगा इसमें तय किया जाता है।

– सत्र शुरू होने से के एक दिन पहले विधायकों के पास अगले दिन सदन में होने वाले कामकाज की सूची भेजी जाती है।

– ध्यानाकर्षण के लिए विधायकों को सुबह साढ़े सात बजे से पहले विधानसभा सचिवालय को सूचना देनी पड़ती है।

– जब सदन में विधायकों की नारेबाजी या अन्य किसी वजह से कोई काम नहीं होता तो विधानसभा सचिवालय की ओर से जो दिनभर के कामकाज का जो लेखाजोखा लिखित रूप से तैयार किया जाता है।

– हंगामे की स्थिति में उसे सदन की कार्यवाही में शामिल हुआ मान लिया जाता है। सदन के पूरे कामकाज को शाम को विधायकों को दे दिया जाता है।

– विधायक जो प्रश्न विधानसभा में पूछते हैं, उनके उत्तर भी एक पुस्तक के रूप पहले ही छपवा लिए जाते हैं। जिन्हें सदन शुरू होते ही विधायकों दे दिया जाता है।

Exit mobile version