भोपाल : एससी-एसटी ऐक्ट के मुद्दे पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का साथ मिला है। कैलाश ने शिवराज के उस बयान से सहमति जताई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मध्य प्रदेश में जांच के बाद ही एससी-एसटी ऐक्ट के तहत मामले दर्ज किए जाएंगे। महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के पास यूं तो बंगाल की जिम्मेदारी है, लेकिन विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उन्हें भोपाल में भी जिम्मेदारी दी गई है।
सोमवार को तीन मैराथन बैठकों के बाद मीडिया से मिले कैलाश ने शिवराज सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। उन्होंने दावा किया कि रविवार को शुरू किए गए समृद्ध मध्य प्रदेश अभियान को जनता का अच्छा रिस्पॉन्स मिला है। जब उनसे विदिशा में एक व्यक्ति द्वारा एससी-एसटी ऐक्ट के डर से आत्महत्या किए जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने मामले से अनभिज्ञता जताई। लेकिन शिवराज द्वारा दिए गए बयान के बारे में उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री ने यदि मुकदमा दर्ज करने से पहले जांच की बात कही है तो सोच-समझ कर ही कही होगी। मैं उनके बयान के साथ हूं।’
कैलाश ने खुद के चुनाव लड़ने के मुद्दे को पार्टी पर डाल दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं लोकसभा या विधानसभा चुनाव लडूंगा, इसका फैसला पार्टी नेतृत्व करेगा।’ बता दें कि कैलाश अभी मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य हैं। पार्टी महासचिव बनाए जाने से पहले वह शिवराज मंत्रिमंडल के सदस्य थे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में एससी-एसटी ऐक्ट को लेकर बीजेपी का प्रदेश भर में विरोध हो रहा है। खासतौर पर नई बनी पार्टी सपाक्स ने इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मुहिम चला रखी है।
हाल ही में शिवराज सिंह चौहान ने एससी-एसटी ऐक्ट से जुड़े मामलों में केस दर्ज किए जाने से पहले जांच कराए जाने की बात की थी। लेकिन पार्टी के दलित नेताओं के विरोध के बाद उन्होंने इस मुद्दे पर मौन साध लिया। अब कैलाश के इस बयान का सपाक्स ने स्वागत किया है। सपाक्स के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूर्व आईपीएस अधिकारी विजय वाते ने कहा, ‘बीजेपी महासचिव के बयान का मैं स्वागत करता हूं। साथ ही यह उम्मीद करता हूं कि वह इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री की तरह मौन नहीं साधेंगे।’ सपाक्स नेता ने केंद्र और राज्य सरकार से ऐक्ट में किए गए संशोधन को रद्द करने की भी मांग की है।