भारत के साथ अहम विवादों को सुलझाने के लिए पाकिस्तान की ‘वार्ता के जरिये शांति की तलाश’ का चीन ने रविवार को समर्थन किया। उसने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) के साथ इस्लामाबाद की वचनबद्धता का भी समर्थन किया है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग व प्रधानमंत्री ली केकियांग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शी जिनपिंग की वार्ता के बाद यहां जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया, ‘प्रमुख विवादों’ को सुलझाने के मकसद से भारत के साथ रिश्ते सुधारने के पाकिस्तान के प्रयासों का चीन समर्थन करता है। बयान में हालांकि कश्मीर मसले का सीधा जिक्र नहीं किया गया।
बयान में कहा गया, चीन आपसी सम्मान और समानता के आधार पर बातचीत, सहयोग और समझौते के जरिये शांति के लिए पाकिस्तान की खोज को प्रोत्साहित करता है। वह भारत-पाक संबंधों में सुधार और प्रमुख विवादों के निपटारे के लिए पाकिस्तान के प्रयासों का समर्थन करता है।
भारत और पाकिस्तान के संबंध 2016 में बेहद तनावपूर्ण हो गए थे। यह पाकिस्तान आधारित आतंकी समूहों के हमलों और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में भारत के सर्जिकल स्ट्राइक का नतीजा था। हाल के वर्षों में चीन ने भारत-पाकिस्तान संबंधों पर सार्वजनिक रूप से कोई रुख लेने से इनकार किया है। उसने उम्मीद जताई है कि दोनों देशों के बीच विवाद बातचीत के जरिये सुलझाए जाएंगे। कश्मीर मुद्दे पर चीन हमेशा से कहता रहा है कि यह मसला बातचीत से और शांतिपूर्वक हल किया जाना चाहिए।
भारत भी पाकिस्तान के साथ तमाम मुद्दों को बातचीत के जरिये सुलझाने का समर्थन करता है। हालांकि उसका स्पष्ट कहना है कि बातचीत और आतंकवाद साथ साथ नहीं चल सकते। पाकिस्तान ने सार्क के मंच पर चीन की सक्रिय भागीदारी का समर्थन किया है। जबकि चीन ने एनएसजी की सदस्यता के लिए पाकिस्तान के प्रयासों का समर्थन किया है। भारत भी परमाणु व्यापार को नियंत्रित करने वाले एनएसजी की सदस्यता चाहता है, लेकिन चीन उसमें बार बार अवरोध पैदा कर रहा है।