भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम के जन्मदिवस चैत्र शुक्लपक्ष की नवमी तिथि शनिवार 13 अप्रैल को रामनवमी मनाई जाएगी। सनातन धर्मावलंबियों में रामनवमी पर्व का खास महत्व है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में धरती से अत्याचारों को समाप्त करने तथा धर्म की फिर से स्थापना के लिए भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रूप में अवतार लिया था।
भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में मध्याह्न काल में हुआ था। रामनवमी के साथ ही चैत्र नवरात्र का भी समापन होगा है। ज्योतिषाचार्य प्रियेंदू प्रियदर्शी के अनुसार इस वर्ष चैत्र मास के आठवें दिन अष्टमी युक्त नवमी तिथि शनिवार 13 अप्रैल को भगवान राम का जन्मोत्सव मनेगा।
गंगा पुलकित पंचांग, विश्वविद्यालय पंचांग और हृषिकेश पंचांगों के हवाले से बताया कि शनिवार को अभिजीत मुहूर्त 11.56 बजे से 12.47 बजे के बीच है। इसी दौरान जन्मोत्सव होगा। उनके अनुसार नवमी तिथि 13 अप्रैल की सुबह 8.19 बजे से 14 अप्रैल की सुबह 6.04 बजे तक है पर शनिवार को ही चैत्र शुक्ल नवमी तिथि का पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में मघ्याह्न काल पड़ रहा है। इसी समय भगवान का जन्म हुआ था। इसलिए शनिवार को ही रामनवमी शास्त्र सम्मत है।
ज्योतिषाचार्य पीके युग के मुताबिक रामनवमी पर इस बार गौरीयोग, निपुण योग और बुधादित्य योग बन रहा है जो अति फलदायी है। उनके अनुसार चंद्रम के केंद्र में स्वग्रही होने से गौरी योग बनेगा, जबकि सूर्य चंद्रमा के साथ रहने पर दोनों के बीच दस डिग्री का अंतर होने से निपुण योग बनेगा।
पूजन से साढ़े साती व ढय्या में होगा लाभ
आचार्य प्रियदर्शी के अनुसार शनिवार को पुष्य नक्षत्र युक्त नवमी तिथि के कारण रामनवमी पर भगवान की पूजा करने से शनि की साढ़े साती और ढय्या के साथ महादशा व अंतर्दशा से परेशान लोगों का लाभ मिलेगा। इससे उनकी समस्या दूर होगी। नवमी तिथि होने से माता दुर्गा को अपराजिता फूल, ईत्र व अबरख चढ़ाने से मनोवांक्षित फल की प्राप्ति होगी। शनि और राहू ग्रह के प्रकोप से भी शांति मिलेगी।
गुरु और सूर्य की बढ़िया स्थिति से पूजन लाभदायी
ज्योतिषी धीरेंद्र तिवारी के अनुसार श्रीराम के अवतरित होने की प्रचलित मान्यता चैत्र मास, शुक्ल पक्ष, नवमी तिथि, मध्याह्न काल और पुनर्वसु नक्षत्र है। 13 अप्रैल को दोपहर 12 बजे कर्क लग्न, कर्क राशि के साथ गुरु और सूर्य की उत्तम पूजा, भक्ति, सत्संग व मनोकामना पूर्ति के लिए श्रीराम जन्मोत्सव मनाना श्रेष्ठ है।
पूजन के साथ उपवास भी रखेंगे श्रद्धालु
ज्योतिषी पूनम वैश्य के अनुसार रामनवमी की पूजा में पहले देवताओं पर जल, रोली और लेपन चढ़ेगा। फिर मूर्तियों पर मुट्ठी भरके चावल चढ़ाया जाएगा। पूजा के बाद आरती की जाएगी। नारद पुराण के अनुसार रामनवमी के दिन भक्तों को उपवास करना चाहिए। श्री राम जी की पूजा-अर्चना करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। गाय, भूमि व वस्त्र आदि का दान देना चाहिए।