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मां, माटी और मानुष में भगवा सेंध! इस वजह से भाजपा से डरीं ममता बनर्जी

नई दिल्ली : देश में लोकसभा चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न हो रहे हैं लेकिन पश्चिम बंगाल में प्रत्येक चरण में हिंसा की घटनाएं सामने आई है। पांचवें चरण की वोटिंग में बैरकपुर में हिंसा हुई है। इस राज्य में हिंसा की बढ़ती वारदातों को देखते हुए चुनाव के दौरान सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी अर्धसैनिक बलों को सौंप दी गई है। ऐसे में सवाल है कि अन्य राज्यों में जहां चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न हो रहा है वहीं पश्चिम बंगाल में ही हिंसा की घटनाएं क्यों सामने आ रही हैं? ऐसा यहां क्या है जो राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी एक-दूसरे पर बढ़त हासिल करने के लिए हिंसा करने पर उतारू हो रहे हैं।

लोकतंत्र के इस महापर्व पर हिंसा की ये छीटें राजनीतिक पार्टियों के चाल-चरित्र और चेहरे पर सवाल खड़े करती हैं। पश्चिम बंगाल में जारी चुनावी हिंसा पर टाइम्स नाउ हिंदी ने राजनीतिक विश्लेषक शिवाजी सरकार से बात की और यह जानने की कोशिश की कि आखिर इस राज्य में ऐसा क्या है जो चुनाव के दौरान लोगों को हिंसा के लिए उकसा रहा है। शिवाजी सरकार का कहना है कि पश्चिम बंगाल में चुनावों के दौरान हिंसा अस्वभाविक नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘यहां चुनावी हिंसा का एक इतिहास है। सत्ता में चाहे कांग्रेस रही हो या लेफ्ट। सभी ने हिंसा का सहारा लिया है। लेफ्ट के नेता अब टीएमसी और भाजपा में शामिल हो गए हैं। एक ही तरह के लोग सभी दलों में हैं। पश्चिम बंगाल के चुनाव में हिंसा मॉडस अपरेंडी बन गई है। वोटरों को डरा-धमकाकर और फिर हिंसा के जरिए वोटिंग प्रभावित करने की इस राज्य की पुरानी परंपरा रही है। अब सत्ता में टीएमसी है। वह भी वही कर रही है।’

पश्चिम बंगाल में रिकॉर्ड मतदान हो रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले में यहां मतदान प्रतिशत में वृद्धि देखी जा रही है। क्या इसे ममता सरकार के खिलाफ एंटी इन्कम्बैंसी माना जाए। इस पर उन्होंने कहा कि मतदान प्रतिशत तो बढ़ रहा है लेकिन ये वोटिंग ममता सरकार के खिलाफ हो रही है, इस बारे में निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। इसके लिए हमें 23 मई का इंतजार करना चाहिए लेकिन एक बात जरूर है कि हाल के वर्षों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य में अपनी पैठ बनाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी रैलियों के जरिए वहां भाजपा के पक्ष में एक माहौल बनाया है। लोगों में सत्ता परिवर्तन की एक उम्मीद जगी है।

उन्होंने कहा कि भाजपा ने परिवर्तन का जो एक माहौल बनाया है उसे वह वोटों में कितना तब्दील कर पाएगी, वह देखने वाली बात होगी। यह बात जरूर है कि राज्य में भाजपा का बढ़ता प्रभाव ममता बनर्जी को पसंद नहीं आया है। वह इसे रोकना चाहेंगी। हिंसा की जो घटनाएं सामने आई हैं वह बहुत कुछ इसी खीझ का नतीजा है। लेकिन यह भी सही है कि परिवर्तन का माहौल भर बनाने से चुनावी सफलता हासिल नहीं की जा सकती है। इसके लिए बूथ स्तर तक वोटरों को ले जाना होता है। राज्य में भाजपा का पोलिंग बूथ मैनेजमेंट टीएमसी के मुकाबले अभी कमजोर है। राज्य के सुदूर इलाकों के पोलिंग बूथों पर भाजपा को एजेंटों की कमी से जूझना पड़ रहा है।

पश्चिम बंगाल की लोकसभा की 42 सीटों के लिए अब तक चार चरणों में 18 सीटों पर मतदान हो चुका है। पांचवें चरण में यहां की सात सीटों पर मतदान हो रहा है। बैरकपुर में भाजपा और टीएमसी समर्थकों के बीच झड़प हुई। यहां भाजपा प्रत्याशी अर्जुन सिंह ने टीएमसी कार्यकर्ताओं पर हमला करने का आरोप लगाया। पश्चिम बंगाल में पहले चरण में 83.80% मतदान हुआ। पहले चरण में अलीपुरद्वार और कूच बिहार पर टीएमसी और भाजपा समर्थकों में हिंसा हुई जबकि दूसरे चरण में 81.72% वोटिंग हुई। इस चरण में रायगंज के इस्लामपुर में सीपीआई-एम सांसद मो. सलीम की कार पर हमला हुआ।

इस राज्य के तीसरे चरण में 81.97% मतदान हुआ। इस चरण मे भी सीपीएम समर्थकों पर हमले हुए और हिंसक झड़पें सामने आईं। मुर्शिदाबाद में टीएमसी कार्यकर्ताओं पर कांग्रेस समर्थक की पीट-पीटकर हत्या करने का आरोप लगा। चौथे चरण में 82.84% मतदान। आसनसोल में टीएमसी कार्यकर्ताओं और सुरक्षाबलों में जमकर झड़प होने की घटना सामने आई। भाजपा उम्मीदवार बाबुल सुप्रियो ने टीएमसी कार्यकर्ताओं पर अपनी कार का शीशा तोड़ने का आरोप लगाया।

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