संयुक्त राष्ट्र । भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र (UN) व फिनांशल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) जैसे संगठनों के बीच सहयोग बढ़ाने की बात कही है ताकि आतंक पर लगाम लगाई जा सके। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी सचिव पॉलोमी त्रिपाठी ने जनरल असेंबली की थर्ड कमिटी से कहा, ‘संगठित अपराधों से सतत विकास लक्ष्य की प्रक्रिया बाधित हो रही है। साथ ही यह अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए बाधा पैदा करता रहता है।थर्ड कमिटी सामाजिक व मानवाधिकार मामलों को देखती है।
थर्ड कमिटी सामाजिक व मानवाधिकार मामलों को देखती है। विभिन्न आतंकी समूहों के बीच अपराधों को भी वर्गीकृत किया गया है। जैसे सीमा पार जालसाजी, मनी लॉन्ड्रिंग, आर्म्स डीलिंग, ड्रग तस्करी और मानव तस्करी जैसे अपराधों को अलग अलग समूहों के हिस्से में डाला गया है। उन्होंने बताया कि ISIL,अल शबाब और बोको हरम जैसे आतंकी ग्रुप की जबरन वसूली, मानव तस्करी, प्राकृतिक संसाधनों की निकासी, सांस्कृतिक कलाकृतियों का व्यापार व अपने अधीन क्षेत्रों में अवैध टैक्स लगाना जैसे काम करते हैं।
आतंकी संगठनों की ओर से फंड इकट्ठा करने के क्रम में ऐसे आपराधिक गतिविधियां होती रहती हैं।’ उन्होंने बताया कि हमारे पास इस बात के भी सबूत हैं कि नार्कोटिक्स का इस्तेमाल न केवल टेरर फंडिंग के लिए बल्कि आतंकियों की अवैध गतिविधियों के लिए युवाओं को बहकाने के लिए किया जाता है।
आतंकियों व आपराधिक ग्रुप की अवैध गतिविधियों से जेनरेट किए गए रेवेन्यू सीमा पार जाते हैं और ओपन नेटवर्क के जरिए एक्सचेंज किया जाता है। ये सारी बातें पालोमी ने ‘क्राइम प्रिवेंशन एंड क्रिमिनल जस्टिस’ पर आयोजित कमिटी के सेशन में बताया।
पॉलोमी त्रिपाठी ने इस बात पर जोर दिया कि संयुक्त राष्ट्र को एफएटीएफ जैसी अन्य संस्थाओं के साथ सहयोग बढ़ाने की जरूरत है। फ्रांस की राजधानी पेरिस में वर्ष 1989 में फिनांशल एक्शन टास्क फोर्स का गठन किया गया। यह गठन जी7 समूह के देशों द्वारा किया गया था। इसका मुख्य काम आतंकी फंडिंग पर नजर रखना था।
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