काबुल. तालिबान (Taliban) ने सोमवार को सपष्ट कर दिया है कि वह कश्मीर (Kashmir) में जारी पाकिस्तान (Pakistan) समर्थित आतंकी ऑपरेशन का हिस्सा नहीं है. तालिबान की राजनीतिक शाखा के प्रवक्ता सुहेल शाहीन ने एक ट्वीट के जरिए स्पष्ट कर दिया कि कश्मीर भारत का आंतरिक मसला है और तलिबाद दूसरे देशों के आंतरिक मसलों में हस्तक्षेप नहीं करता है. इस स्टेटमेंट के जरिए तालिबान ने साफ़ कर दिया कि कश्मीर में जारी ‘कथित जिहाद’ मूवमेंट का वह हिस्सा नहीं है.
तालिबान के प्रवक्ता सुहेल ने ट्वीट कर कहा- इस्लामिक अमीरात (तालिबान) की नीति रही है कि वह कभी किसी देश के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देता है. बता दें कि सुहेल अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात के प्रवक्ता हैं जो तालिबान की पॉलिटिकल शाखा के तौर पर काम करती है. अमेरिका के साथ हो रहे समझौते में भी सुहेल और कई अन्य नेता बातचीत को आगे बढ़ा रहे थे. तलिबान की तरफ से ये स्पष्टीकरण इसलिए सामने आया है क्योंकि सोशल मीडिया पर इस तरह की ख़बरें सामने आ रहीं थीं कि तालिबान के प्रवक्ता ज़बिउल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि भारत के साथ कश्मीर मुद्दा सुलझे बिना कोई बात ही नहीं की जा सकती है. इस कथित बयान में ये भी दावा किया गया था कि तालिबान काबुल में सत्ता हासिल करने के बाद कश्मीर में भी ऑपरेशन शुरू करेगा.
भारत ने ही की बातचीत
हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक तालिबान के इस कथित बयान के बाद भारत ने इस पर स्पष्टीकरण के लिए अफगानिस्तान में उनके नेताओं से संपर्क साधा था. इसी के बाद तालिबान के प्रवक्ता सुहेल ने सोमवार शाम एक बयान जारी कर सभी दावों का खंडन कर दिया. हालांकि जानकारों का मानना है कि तालिबान छोटे-छोटे संगठनों का एक गुट है इसलिए ऐसा हो सकता है कि बयान किसी एक धड़े से आया हो. इनमें से कई पहले भी कश्मीर के पाकिस्तान को दिए जाने या फिर आज़ाद किये जाने का समर्थन करते रहे हैं. हालांकि पाकिस्तान के हक्कानी नेटवर्क को तालिबान के इस बयान से काफी धक्का लगा होगा.
अफगानिस्तान सरकार ने भारत को महत्वपूर्ण साथी बताया
इससे पहले अफगानिस्तान सरकार ने कहा कि युद्ध से जर्जर देश के पुनर्निर्माण में और शांति प्रक्रिया में मदद करने में भारत महत्वपूर्ण योगदान देने वाले देशों में से एक है. विदश मंत्रालय के प्रवक्ता ग्रान हेवाद ने कहा कि अफगानिस्तान का भारत के साथ संबंध अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और आपसी सम्मान पर आधारित है. उन्होंने यह बात तालिबान के इस आरोप पर कहा कि भारत लंबे समय से अफगानिस्तान में नकारात्मक भूमिका अदा कर रहा है.
अफगानिस्तान में शांति और सुलह प्रक्रिया में भारत महत्वपूर्ण पक्षकारों में से एक रहा है। भारत ने अफगान नीत और अफगान नियंत्रित राष्ट्रीय शांति एवं सुलह-सफाई प्रक्रिया का समर्थन किया है. हेवाद ने ‘रेडियो आजादी’ से कहा कि भारत ने विकास और पुनर्निर्माण क्षेत्र में सहयोग किया है और उससे शांति प्रक्रिया में योगदान अपेक्षित है. उन्होंने कहा, ‘भारत महत्वपूर्ण दानदाता देशों में से एक है और उसने अफगानिस्तान के विकास और पुनर्निर्माण क्षेत्रों में मदद की है. हम आशा करते हैं कि भारत और अन्य पड़ोसी देश अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.’
तालिबान ने लगाया था आरोप
कतर स्थित तालिबान कार्यालय के उप प्रमुख मुल्ला अब्बास स्तानकजई ने हाल में आरोप लगाया था कि पिछले पिछले दो दशक से भारत ने सिर्फ उन्हीं लोगों से संबंध रखे और उन्हीं का सहयोग किया जिन्हें विदेशियों ने सत्ता में बैठाया था और उसने उनसे रिश्ता नहीं रखा जिन्हें अफगानिस्तान के अवाम ने चुना था. उसने कहा था कि भारत को अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए. शांति एवं सुलह सफाई प्रक्रिया के अमेरिकी प्रतिनिधि जलमी खलीलजाद ने भारत की यात्रा के दौरान भारतीय अधिकारियों के साथ अफगानिस्तान में शांति पर चर्चा की थी और इसमें सहयोग की मांग की थी. वह इस महीने की शुरुआत में भारत आए थे.
अफगानिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक खालिद सादात ने रेडियो आजादी से कहा कि अगर तालिबान इस तरह की टिप्पणियां करना जारी रखता है तो इससे भविष्य में अफगानिस्तान के राजनयिक संबंध प्रभावित होंगे. सोमवार को अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अत्मार ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बातचीत की. दोनों ही पक्षों ने आर्थिक और सुरक्षा सहयोग समेत आपसी हितों और अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया पर चर्चा की.