गोबर गमला निर्माण में कच्चा माल के रूप में गोबर, पीली मिट्टी, चूना, भूसा इत्यादि का उपयोग किया जाता है। जिला प्रशासन द्वारा जिले में महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविकास मिशन (बिहान) के तहत प्रेरित किया जा रहा है। गोबर से गमला बनाने का मुख्य लाभ यह है कि यह टिकाऊ होने के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल है तथा प्लास्टिक-पॉलीथिन के गमले के स्थान पर इनका उपयोग किया जाता है। अगर गमला क्षतिग्रस्त हो गया तो इसका खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है। गोबर के गमले का सबसे महत्वपूर्ण उपयोग वृक्षारोपण या पौधे की नर्सरी तैयार करने में हैं जिसमें गोबर के गमले में लगें पौधंे को सीधा भूमि पर रोपित कर सकते है।
गोबर खाद के रूप में अधिकांश खनिजों के कारण मिट्टी को उपजाऊ बनाता है। पौधें की मुख्य आवश्यकता नाईट्रोजन, फॉसफोरस तथा पोटेशियम की होती है। ये खनिज गोबर में क्रमशः 0.3-0.4, 0.1-0.15 तथा 0.15-0.2 प्रतिशत तक विद्यमान रहते है। मिट्टी के सम्पर्क में आने से गोबर के विभिन्न तत्व मिट्टी के कणों को आपस में बांधते है। यह पौधों की जड़ो को मिट्टी में अत्यधिक फैलाता हैं एवं मिट्टी को अधिक उपजाऊ बनाती है। इस तरह समूह की महिलाओं ने गोबर से गमला बनाकर आजीविका के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में अपनी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।