
नई दिल्ली । आज संसद में सरकार द्वारा इकोनॉमिक सर्वे पेश किया गया है। इस सर्वे में वित्त वर्ष 2025 तक भारत को 5 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बनाने का ब्लू प्रिंट भी देश के सामने रखा गया। सर्वे में कहा गया कि देश को 5 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बनाने के लिए 2025 तक हर साल 8 फीसद की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करनी होगी। सर्वे में कहा गया कि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना आर्थिक सर्वेक्षण 2019 के मूल में है।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार देश के अंदर विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार बना रहेगा। सर्वे में बताया गया कि देश में विदेशी मुद्रा भंडार 14 जून तक 42,220 करोड़ डॉलर था। इकोनॉमिक सर्वे ने साल 2018-19 में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 14.2 फीसद रहने का अनुमान बताया। साथ ही कहा गया कि भारत पर विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ा है।
सर्वे में कहा गया है साल 2018-19 में भारत दुनिया के उभरते देशों में सबसे आगे रहा है और एफडीआई निवेश में पिछले चार साल से तेजी देखने को मिल रही है। सर्व ने ऑटो और केमिकल्स में एफडीआई निवेश में बढ़त बताई और कहा कि एमएसएमई सेक्टर को कर्ज देने की रफ्तार भी बढ़ी है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में अंतर्राष्ट्रीय अनुभव और विशेष रूप से हाई ग्रोथ वाली पूर्व एशियाई अर्थव्यवस्थाओं को देखते हुए सुझाव दिया गया कि इस तरह का विकास अनुकूल जनसांख्यिकीय दौर में बचत, निवेश और निर्यात में क्रमिक वृद्धि के कारण बना रह सकता है। निवेश और विशेष रुप से निजी निवेश क्षमता में वृद्धि करता है, श्रम उत्पादकता बढ़ाता है और नई तकनीक लाता है। साथ ही यह रचनात्मकता और रोजगार भी पैदा करता है। सर्वे में कहा गया कि पिछले पांच सालों में माइक्रोइकोनॉमिक और मैक्रोइकोनॉमिक के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था अब अपना गियर शिफ्ट करने को तैयार है ताकि आर्थिक विकास, नौकरियों और निर्यात को अगले स्तर पर ले जाया जा सके।
सर्वे में चीन का उदाहरण देते हुए बताया गया कि चीन ने उपभोग में महत्वपूर्ण कमी करने के साथ विशेष रूप से बचत और निवेश पर निर्भरता लायी है। चीन एक निवेशोन्मुखी अर्थव्यवस्था पर कायम है, जहां आज इसकी निवेश और बचत दरें 2017 में जीडीपी के लगभग 45 फीसदी तक पहुंच गई है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने संसद में इकोनॉमिक सर्वे पेश करने के बाद कहा, ‘पिछले पांच सालों में इन्सॉल्वंसी और बैंकरप्ट्सी कोड जैसे बड़े सुधारों के कारण हमारी अर्थव्यवस्था अब उड़ान भरने को तैयार है। हमारी आबादी का बड़ा हिस्सा कामकाजी उम्र का होने के कारण हमें अपनी अर्थव्यवस्था को पंख देने में मदद मिलेगी।’