
अमेरिका और ईरान के बीच तनातनी कम होती नहीं दिख रही है। परमाणु समझौते के नियमों के उल्लंघन को लेकर ईरान को चौतरफा घेरने की कोशिश में जुटे अमेरिका ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के बोर्ड की आपातकालीन बैठक बुलाई।
बैठक में अमेरिका ने ईरान पर समझौते के नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया। दूसरी ओर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि ईरान लंबे समय से छुपकर यूरेनियम के संवर्धन में लगा है। जल्द ही ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों को और सख्त किया जाएगा।
पिछले दो हफ्ते में ईरान ने परमाणु समझौते में तय दो सीमाओं का उल्लंघन किया है। वहीं ईरान का कहना है कि वह अमेरिका की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों की प्रतिक्रिया में कदम उठा रहा है, जो पिछले साल समझौते से अलग हो गया था।
अमेरिका का कहना है कि वह बेहतर समझौते को लेकर बातचीत के लिए तैयार है। वहीं ईरान की शर्त है कि वह बातचीत तभी करेगा, जब कम से कम उतना तेल बेचने में सक्षम हो जाए, जितना समझौते से अमेरिका के बाहर होने से पहले वह बेचता था।
ईरान का कहना है कि वह एक एक करके तब तक समझौते की शर्ते तोड़ता रहेगा, जब तक समझौते में किए गए वादे के अनुरूप उसे आर्थिक छूट नहीं मिल जाती। ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन के प्रवक्ता बहरूज कमालवंडी ने कहा, ‘समझौते से बाहर होना अमेरिका की बड़ी गलती थी। यही हर परेशानी की जड़ है। यूरोपीय देशों के पास समझौते को बचाने का पर्याप्त समय था।’
इस बीच, फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों के राजनयिक सलाहकार एमैनुएल बोन 2015 में हुए परमाणु समझौते को बचाने और अमेरिका-ईरान के बीच तनाव कम करने के लक्ष्य के साथ ईरान पहुंचे हैं। उन्होंने ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव रियर एडमिरल अली शमखानी, विदेश मंत्री मुहम्मद जावद जरीफ से मुलाकात की।
हालांकि ईरान का कहना है कि अमेरिका समझौते से पिछले साल हटा था। उसके बाद से यूरोपीय देशों की निष्क्रियता के कारण ईरान धैर्य खो चुका है। जरीफ का कहना है कि दबाव के बीच बातचीत नहीं हो सकती।