
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन के सत्र के दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के नेतृत्व में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने जम्मू-कश्मीर पर मनगढ़ंत कहानी सुनाई। वहीं जम्मू-कश्मीर के राजनयिक विमर्श आर्यन ने पाकिस्तान के इन आरोपों का तुरंत खंडन किया।
पाकिस्तान के आरोपों का जवाब देते हुए प्रथम सचिव आर्यन ने कहा, ‘अनुच्छेद 370 भारत के संविधान का अस्थायी प्रावधान था, इसमें बदलाव करना भारत का आंतरिक मामला और अधिकार है।’
यूएनएचआरसी में विदेश मंत्रालय के प्रथम सचिव विमर्श आर्यन ने पाकिस्तान को आईना दिखाते हुए कहा, ‘अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान का एक अस्थायी प्रावधान था, इसमें बदलाव करना पूरी तरह भारत का आतंरिक मामला और अधिकार है।’
उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान को इस मामले में बात करने का कोई अधिकार नहीं है। हमें पाकिस्तान के उन्मादी बयानों से हैरानी नहीं है। पाकिस्तान का मकसद इस मंच का राजनीतिकरण और ध्रुवीकरण करना है। पाकिस्तान को इस बात का अहसास हो रहा है कि हमारा फैसला सीमापार आतंकवाद के मंसूबों को कामयाब नहीं होने देगा।’
विमर्श आर्यन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का नाम लिए बिना ही उनके बयानों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के कुछ नेताओं ने तो जम्मू-कश्मीर में हिंसा भड़काने के लिए जेहाद करने की भी मांग की है। पाकिस्तान ने इसके लिए ऐसी तस्वीरें दिखानी शुरू कीं, जो बिल्कुल भी सच्ची नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के मूल्यों को संरक्षित करने के लिए पाकिस्तान को कुछ बोलने की जरूरत नहीं है। इसके लिए कश्मीर के लोग एकजुट हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने मानवाधिकार पर वैश्विक समुदाय की आवाज के रूप में बोलने का नाटक किया है, लेकिन वह दुनिया को और बेवकूफ नहीं बना सकता।
पाकिस्तान की ये बयानबाजी पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय ईसाई, सिख, शिया, अहमदिया और हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार और उत्पीड़न से अंतरराष्ट्रीय जगत का ध्यान नहीं भटका सकेगी। भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में साफ कहा कि पाकिस्तान अपने यहां अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन कर रहा है पर वह दूसरों को मानवाधिकारों के बारे में सीख दे रहा है।
इस्लामिक कोऑपरेशन संगठन (ओआईसी) पर आर्यन ने कहा कि उन्हें भारत के आंतरिक मामलों में बोलने का कोई हक नहीं है।