इंदौर मेट्रो का ‘चुनावी ट्रायल’..आम लोगों का सफर 1साल बाद:ट्रायल के लिए दिन-रात काम, ग्रीन नेट से ढंके अधूरे स्टेशन पर हरी झंडी दिखाएंगे CM

इंदौर में मेट्रो ट्रेन के ट्रायल रन की तारीख तय हो गई है। 30 सितंबर यानी कल मेट्रो ट्रेन 5.9 किलोमीटर रूट पर दौड़ेगी। इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहेंगे। हालांकि अभी स्टेशन का काम अधूरा है। इसे पूरा होने में करीब 6-8 महीने लग सकते है। इसके बाद ही मेट्रो में आम लोगों के सफर की शुरुआत हो सकेगी। दरअसल, चुनावी आचार संहिता लगने से पहले सरकार ट्रायल रन को मेगा इवेंट बनाने जा रही है। लिहाजा इसके लिए कई महीनों से दिन रात काम चला।

दैनिक भास्कर टीम ने ट्रायल वाले पूरे रूट का जायजा लेकर जाना कि कितना काम पूरा हुआ है, कितना अधूरा है और क्या काम चल रहा है? ये भी जाना कि ट्रायल के बाद आम लोग कब तक मेट्रो में सफर कर पाएंगे..

शुरुआत गांधी नगर डिपो से.. शहर के बाहरी इलाके गांधीनगर में मेट्रो के डिपो पर मेट्रो के कोच पार्क हैं। यहीं पर ट्रायल रन के लिए दिन-रात काम हो रहा है। ट्रेन को ट्रैक पर उतारकर सारी टेस्टिंग कर ली गई है। गेट ठीक से लग रहे हैं या नहीं, हॉर्न बज रहा है या नहीं.. यह तक बार-बार चेक किया जा चुका है।

डिपो पर सजावट भी शुरू कर दी गई है। स्टेशन पर भी साज-सज्जा होगी। एस्केलेटर भी लगा दिए है, ताकि गेस्ट आसानी से आ-जा सकें। सुरक्षा कारणों से ट्रेक और ट्रेन के आसपास किसी को जाने की परमिशन नहीं है।

इंदौर के गांधी नगर स्टेशन से सुपर कॉरिडोर तक 5 स्टेशनों का ऑडिट

<strong>पहला – गांधी नगर</strong>

ट्रायल रन को मेगा इवेंट बनाने के लिए पूरा फोकस इसी स्टेशन पर है। इसे सजाया जा रहा है। यहां पर स्टेशन पर जाने के लिए दो एस्केलेटर लगे हुए हैं जो चालू हालत में है। सीढ़ियां भी तैयार हैं। फिनिशिंग की जा रही है। यहां फिजिकल काम अधूरा है जिन्हें ग्रीन नेट से ढांक दिया गया है। इसके लिए नेट से कॉरिडोर की तरह बनाया है ताकि आने वाले लोगों को अधूरा काम दिखाई न दे। स्टेशन की छत पर भी इंटीरियर डेकोरेशन बचा हुआ है। ट्रायल रन के लिए सिर्फ आधे स्टेशन को ही तैयार किया जा रहा है। टिकट काउंटर, टॉयलेट आदि काम पूरी तरह शेष हैं। स्टेशन को बनने में 3 से 4 महीने का समय लगेगा। अभी रंगरोंगन सिर्फ 30 सितंबर के इवेंट को मुख्यमंत्री के स्वागत के लिहाज से हुआ है।
<strong>दूसरा : सुपर कॉरिडोर 6</strong>

गांधीनगर स्टेशन से डेढ़ किमी दूर इस सेकेंड स्टैशन पर पहुंचे तो यहां सिविल वर्क ही चलता मिला। ट्रायल रन के लिए कोई काम प्रायोरिटी में नहीं है। रूटीन के हिसाब से ही काम चल रहा है। सीढ़ियां और एस्केलेटर का काम भी शुरू नहीं हुआ है। ट्रैक का काम यहां पूरा हो चुका है, ट्रेन सिर्फ यहां से निकल जाएगी। न कोई अतिथि यहां आएगा, न आम लोग आ-जा सकते हैं।
<strong>तीसरा : सुपर कॉरिडोर 5</strong>

एक किमी आगे है तीसरा स्टेशन। यहां भी वही हाल है। सिर्फ सिविल वर्क चल रहा है। सीढ़ियां और एस्केलेटर वाले हिस्से का बेस बनाया जा रहा है। हालांकि बहुत काम बचा हुआ है। इसके बाद स्टेशन को जोड़ने के लिए एफओबी बनेगा, अभी वो भी नहीं <strong>बना है।चौथा : सुपर कॉरिडोर 4</strong>

पांच किमी की दूरी पर पहुंचने पर चौथा स्टेशन मिला। यहां भी सिविल वर्क चल रहा है। अभी सीढ़ियां भी नहीं बनी है और न ही एस्केलेटर लगे हैं। स्टेशन के ऊपरी हिस्से में ही सिविल का काम चल रहा है। टॉयलेट, कमर्शियल एरिया सहित काउंटर आदि सारा काम अधूरा ही है। ट्रैक का काम यहां पूरा हो चुका है। रूटीन काम चल रहा है। टॉयलेट सहित अन्य काम भी अधूरे हैं। ट्रैक का काम यहां भी पूरा हो चुका है। यहां भी आने-जाने की मनाही है।
<strong>पांचवा : सुपर कॉरिडोर 3</strong>

5.9 किमी दूरी पर यह ट्रायल रन के हिस्से का आखिरी स्टेशन होगा जहां से ट्रेन वापस लौट जाएगी। गांधी नगर की तरह दो एस्केलेटर लगाए गए हैं। बाद में 4 एस्केलेटर और 2 लिफ्ट लगेगी। आने-जाने के लिए फिलहाल दो सीढ़ियां तैयार हैं। कुल 10 पिलर पर स्टेशन बन रहा है। 5 पिलर पर ट्रायल रन प्रायोरिटी से किया है, लेकिन अभी अधूरा है। 5 पिलर के अधूरे काम को ग्रीन नेट से ढक दिया है। स्टेशन को पूरी तरह से तैयार होने में 3 से 4 महीने का समय लगेगा।

1<strong>.67 मीटर लंबी है एक ट्रेन : </strong>दरअल, तीन कोच को जोड़ने के बाद एक ट्रेन बनती है जिसकी लम्बाई 67 मीटर है। जब ट्रेन एक छोर से शुरू होगी और आखिरी स्टेशन तक जाएगी तो फिर सबसे आखिरी कोच से यह शुरू होगी। इस तरह पहला और आखिरी कोच ड्राइविंग पार्ट के रूप में भी काम करेगा।

2.<strong>सभी कोच स्टेनलेस स्टील के और रस्ट प्रूफ </strong>: मेट्रो के तीनों कोच सफेद और पीले रंग के लुक में बनाए गए हैं। पहला और तीसरा कोच इंजन की तरह काम करेगा जबकि बीच का कोच ट्रेलर कार है। ट्रेन के कोच स्टेनलेस स्टील से बने हैं और रस्ट फ्री है। जंग लगने की कोई आशंका नहीं रहेगी। ट्रायल शुरू होने के बाद कई दिनों तक दोनों ओर से संचालन ड्राइवर करेंगे। इके बाद में यह ऑटोमैटिक होता रहेगा।

3.<strong>तीन कोच की रहेगी एक ट्रेन, 25 ट्रेन दौड़ेगी :</strong> मेट्रो सूत्रों के मुताबिक इंदौर में इस तरह के कुल 75 कोच आएंगे। इस तरह तीन-तीन कोच की 25 ट्रेन मेट्रो चलेगी। अगले साल तक ये सभी ट्रेन तैयार हो जाने के बाद इनके ट्रेक, समय व संचालन का शेड्यूल तैयार होगा। तब तक ट्रायल रन के लिए शुरू की गई ट्रेन का ही संचालन होगा।

4. <strong>कोच में है आमने-सामने की सीटिंग :</strong> प्रत्येक कोच में आमने-सामने की लम्बी सीटें हैंं। इन सीटों पर 45 से ज्यादा यात्री बैठ सकेंगे। इसी तरह बीच वाले हिस्से और दरवाजे तक पर्याप्त जगह है जहां 300 से ज्यादा यात्री खड़े हो सकेंगे। करीब 350 यात्री एक कोच में यात्रा कर सकेंगे। हर कोच के दरवाजे ऑटोमैटिक हैं। कोच में यात्रियों के मोबाइल चार्जिंग के लिए पर्याप्त पाइंट हैंं।

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