
अंकारा
तुर्की राष्ट्रपति रेजिप तईबू एर्दोवान ने एक बार फिर अपने देश का चुनाव जीत लिया है। एर्दोवान ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी मुहर्रम इन्स को बड़े अंतर से हराया और पिछले 15 साल से जारी उनका शासन आगे भी जारी रहेगा। पिछले साल ही तुर्की के संविधान में संशोधन हुआ है और वहां अब संसदीय प्रणाली की जगह पर अध्यक्षीय प्रणाली लागू हो गई है। इसके साथ ही एर्दोवान के पास राष्ट्रपति के तौर पर असीमित शक्तियां होंगी और प्रधानमंत्री का उन पर कोई अंकुश नहीं रहेगा। एर्दोवान की जीत का भारत के लिए कई अहम मायने है। एर्दोवान भारत की सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट का समर्थन करता है साथ एनएसजी में एंट्री का भी वह पुरजोर समर्थन करते हैं। तुर्की अमेरिका का करीबी सहयोगी और आतंक के खिलाफ लड़ाई में दोनों देश मिलकर लड़ रहे हैं।
क्या होंगी शक्तियां
अध्यक्षीय प्रणाली लागू होने के कारण एर्दोआन के साथ कोई अन्य प्रधानमंत्री नियुक्त नहीं होगा। देस में वाइस प्रेजिडेंट, मंत्रियों और टॉप अधिकारियों की नियुक्ति के साथ उन्हें कोर्ट के फैसलों में भी दखल देने की ताकत हासिल होगी।
आपातकाल लागू कर सकते हैं तुर्की के राष्ट्रपति
एर्दोवान को देश में आपातकाल + लागू करने का पूरा अधिकार है। 2016 में एक असफल सैन्य विद्रोह के बाद से तुर्की में आपातकाल लागू है। राष्ट्रपति के फैसले को कोर्ट से मान्यता मिलनी चाहिए। हालांकि, कोर्ट मेंबर्स को खुद एर्दोवान ही नियुक्त करेंगे इसलिए उनके फैसले से अलग राय जैसी संभावना नहीं रहेगी।