
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बिहार में जेडी(यू) के खाते में क्या आएगा इसे लेकर बीते रविवार को ही नीतीश कुमार ने अपने पार्टी के नेताओं से कहा था कि सीटों को लेकर सम्मानजनक समझौता हो गया है। नीतीश कुमार ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को ये स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से 17 से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। इस मांग ने बीजेपी को पसोपेश में डाल दिया है। इसके बाद बीजीपी को बिहार में अपने अन्य सहयोगियों, लोक जनशक्ति पार्टी के रामविलास पासवान उनके बेटे चिराग पासवान और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) नेता उपेंद्र कुशवाहा की शरण में जाने को मजबूर होना पड़ रहा है।
17 से कम कुछ भी नहीं मंजूर
चुनाव रणनीतिकार से सहयागी बने प्रशांत किशोर के पार्टी में आने से नीतीश कुमार काफी उत्साहित हैं और उन्होंने सीटों को लेकर ये मांग दिल्ली में अमित शाह के साथ एक अनौपचारिक बैठक में रखी। बैठक में नीतीश, प्रशांत किशोर को साथ ले गए थे। नीतीश कुमार ने कहा है कि उन्हें कम से कम 17 सीटें चाहिए जो उनके हिसाब से एक सम्मानजनक समझौता होगा।
जेडी(यू) 12 से ज्यादा का हकदार नहीं
इधर बीजेपी नेतृत्व को नहीं लगता कि नीतीश कुमार की पार्टी जेडी(यू) बिहार में एक दर्जन से ज्यादा सीटों की हकदार है क्योंकि जेडी(यू) ने 2014 के लोकसभा चुनावों में 38 सीटों में से सिर्फ दो सीटें जीती थीं। नीतीश कुमार को फिलहाल बीजेपी ने कोई वादा नहीं किया है और सस्पेंस बना हुआ है। बीजेपी ने जुलाई में नीतीश कुमार से वादा किया था कि अगस्त के मध्य तक सीटों पर समझौता कर लिया जाएगा लेकिन एक महीने बाद भी फिलहाल बीजेपी ने अपनी ओर से कोई प्रस्ताव नीतीश को नहीं दिया है।
पासवान और कुशवाहा से होगी बात
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार के साथ बैठक के बाद अमित शाह, वरिष्ठ भाजपा नेता भूपेंद्र यादव के साथ पासवान और उपेंद्र कुशवाहा के साथ बातचीत करेंगे। नीतीश के साथ बैठक के ठीक बाद अमित शाह तुरंत वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलने गए क्योंकि कहा जाता है कि जेटली के बिहार के मुख्यमंत्री के साथ अच्छे संबंध हैं। सूत्रों का कहना है कि अपने दोनों सहयोगियों एलजेपी और आरएलएसपी से बातचीत करने के बाद ही भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सीटों के अंतिम अंकगणित को लेकर नीतीश से फिर बात करेंगे।
कुशवाहा हो सकते हैं अलग
बीजेपी के शीर्ष नेताओं को ये भी लगता है कि नीतीश कुमार 15 से कम सीटों के लिए राजी नहीं होंगे जिसका मतलब है कि पार्टी को उपेंद्र कुशवाहा को खोना पड़ सकता है। कुशवाहा को अगर सीटें नहीं मिलती हैं ते वो पहले भी किसी और के साथ जाने का संकेत दे चुके हैं। विपक्षी दल आरजेडी के लालू यादव के साथ बातचीत के संकेत देते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने पिछले महीने कह था, “अगर यादवों से दूध मिलता है और कुशवाह से चावल तो हम खीर बना सकते हैं।” लेकिन फिलहाल कुशवाहा भाजपा और एनडीए से गठबंधन नहीं तोड़ना चाहते हैं।
बड़ा रोल चाहती है बीजेपी
बीजेपी पिछली बार जीती अपनी 22 सीटों में से ज्यादा से ज्यादा 2 सीटें छोड़ना चाहती है और अगर वो इससे ज्यदा छोड़ती है तो उसे इसके बाद राज्य में नीतीश कुमार के हिसाब से चलना पड़ेगा। बीजेपी 20-20 का फॉर्मूला अपनाना चाहती है। जिसके तहत पिछले महीने सीटों के बंटवारे को लेकर बनाए अपने पहले मसौदे में बीजेपी ने खुद को 20 सीटें दी थीं, जबकि नीतीश कुमार को 12, एलजेपी को छह और कुशवाह की पार्टी को दो सीटें देने की बात कही थी। उस वक्त जेडी (यू) ने इस फॉर्मूले को नकार दिया था और कहा था कि ये न तो निष्पक्ष है और न ही सम्माननीय।