छत्तीसगढ़ में भी 11 संसदीय सचिवों पर लटक रही निष्काशन की तलवार

रायपुर। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में चुनाव आयोग ने 20 विधायकों को अयोग्य ठहराया है। इस फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में एक बार फिर भाजपा के संसदीय सचिवों का मामला गरमा गया है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष भूपेश बघेल ने भाजपा पर निशाना साधा है।

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने ट्वीट किया। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि, ‘हम आयोग के फैसले का स्वागत करते हैं। अगली बारी छत्तीसगढ़ के 11 विधायकों की है। यहां भाजपा के सभी 11 विधायक लाभ के पद पर हैं। अगर राज्यपाल ने राजनीति न की होती तो फैसला कब का आ गया होता’।

छत्तीसगढ़ के संसदीय सचिव प्रकरण में भाजपा के सभी 11 विधायक तो लाभ के पद पर भी थे. अगर राज्यपाल ने राजनीति ना की होती तो फैसला कब का आ गया होता!

— Bhupesh Baghel (@Bhupesh_Baghel) January 19, 2018

बिलासपुर हाईकोर्ट ने अगस्त 2017 में अंतरिम आदेश में राज्य में नियुक्त किए गए 11 संसदीय सचिवों को सरकार द्वारा प्रदत्त सभी अधिकारों पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद संसदीय सचिवों को सरकारी वाहन, निज सचिव, अतिरिक्त वेतन व भत्ते दिए जा रहे हैं।

इस मामले में सुनवाई हो चुकी है, फैसला आना बाकी है। बता दें संसदीय सचिव पद को लाभ का पद बताते हुए कांग्रेस के पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर और हमर संगवारी के राकेश चौबे ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी है।

ये विधायक हैं संसदीय सचिव की कुर्सी पर काबिज

राजू सिंह क्षत्रीय
तोखन साहू
अंबेश जांगड़े
लखन लाल देवांगन
मोतीलाल चंद्रवंशी
लाभचंद बाफना
रूपकुमारी चौधरी
शिवशंकर पैकरा
सुनीति राठिया
चंपादेवी पावले
गोवर्धन सिंह मांझी

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