मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव : विध्य-बुंदेलखंड अंचल से मिले नेगेटिव फीडबैक

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले विंध्य और बुंदेलखंड अंचल से मिले निगेटिव फीडबैक के बाद भाजपा ने इस क्षेत्र में सक्रियता बढ़ा दी है। एक तरफ जहां आरएसएस और पार्टी के पदाधिकारी इन अंचलों के जिलों में मैदानी कार्यकर्ताओं के साथ घूमकर क्षेत्र की नब्ज टटोल रहे है, वहीं दूसरी तरफ भाजपा पीएम मोदी-शाह की रैली के जरिए माहौल बनाने में जुटी हुई है। सोमवार को रीवा में पीएम नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर आयोजित पंचायती राज सम्मेलन में शामिल हुए। वे 31 मिनट बोले। पीएम ने यहां से 2300 करोड़ रुपये के रेल प्रोजेक्ट्स और 7853 करोड़ रुपये की 5 नल-जल योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। रीवा में मोदी का यह तीसरा दौरा था। इससे पहले वह मई 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान और दूसरी बार नवंबर 2018 में विधानसभा चुनाव के प्रचार में आए थे। इससे पहले फरवरी में गृहमंत्री शाह सतना दौरा कर एक बड़ी रैली कर चुके हैं।

प्रधानमंत्री मोदी का रीवा प्रवास सियासी तौर काफी अहम रहा। क्योंकि यह ऐसा इलाका है, जहां विधानसभा की 30 सीटें हैं। पिछले चुनाव में भाजपा ने इनमें से 24 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस समय भाजपा के लिए इस क्षेत्र से फीडबैक अच्छा नहीं आ रहा है। इसका कारण यह है कि चुनाव के 15 महीने बाद जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी, तब कैबिनेट में इस क्षेत्र को उम्मीद के मुताबिक प्रतिनिधित्व नहीं मिला। बाद में जब इसे लेकर लोगों का असंतोष सामने आया, तब गिरीश गौतम को विधानसभा का स्पीकर बनाया गया। हालांकि, इससे भी लोगों की भावनाएं संतुष्ट नहीं हुईं। हालत ये हो गई कि पंचायत चुनावों के दौरान गिरीश गौतम के बेटे को भी हार का मुंह देखना पड़ा।

इन दो अंचलों की 56 सीटों को साधने की कवायद

विंध्य और बुंदेलखंड अंचल की 56 सीटों पर सत्ता और संगठन को मिले मैदानी फीडबैक बाद पार्टी ने माइक्रो स्तर पर चुनावी रणनीति काम करना शुरू कर दिया है। प्रदेश के प्रभारी मुरलीधर राव और क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल इन अंचलों के लगातार दौरे कर क्षेत्र की नब्ज टटोल रहे हैं। सीएम चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी लगातार इन क्षेत्रों के दौरे करते हुए नजर आ रहे हैं। हाल ही में राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी यहां असंतुष्ट नेताओं के साथ बैठक करने पहुंचे थे। जबकि संगठन भी इन जिलों के सभी पदाधिकारियों से क्षेत्र में संगठन के कामकाज और बूथ विस्तार की रिपोर्ट तलब कर चुका है।

निकाय चुनाव में भाजपा को इस क्षेत्र से लगा है झटका

दरअसल, 2004 के विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा का इन अंचलों में दबदबा बढ़ा है। 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को यहां सर्वाधिक सीटें मिलीं थीं। लेकिन निकाय चुनाव के दौरान पूरे अंचल में सत्ताधारी दल को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। सिंगरौली से जहां प्रदेश में पहली बार आम आदमी पार्टी की एंट्री हुई। मेयर के पद भी आप का कब्जा हुई। रीवा में भी कांग्रेस महापौर बन गया। सीधी और चुरहट में भी कांग्रेस पहले के मुकाबले और मजबूत हुई। जिससे भाजपा की चिंता को बढ़ा दिया। इसी वजह से सत्ता और संगठन के नेताओं ने इस अंचल का दौरा करना शुरू कर दिया है। भाजपा यहां विकास की सौगात देकर यहां के लोगों को यह अहसास कराने में जुटी है कि क्षेत्र के लोगों की अनदेखी नहीं की जा रही है।

पीएम ने कांग्रेस और कमलनाथ को लिया आड़े हाथों

रीवा की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर पंचायतों से भेदभाव का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, पूज्य बापू कहते थे कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है, लेकिन कांग्रेस ने गांधी के विचारों को अनसुना किया। 90 के दशक में पंचायती राज के नाम पर खानापूर्ति की। गांव के लोगों को बांटकर राजनीतिक दलों ने अपनी दुकानें चलाईं। छिंदवाड़ा के जिन लोगों पर आपने लंबे समय तक भरोसा किया, वे इस क्षेत्र के विकास को लेकर उदासीन क्यों रहे, इसका जवाब उनकी सोच में है। आजादी के बाद जिस दल ने सबसे ज्यादा सरकार चलाई, उसने ही गांवों का भरोसा तोड़ दिया। कांग्रेस शासन के दौरान गांवों को निचले पायदान पर रखा गया। गांवों के साथ इस तरह का सौतेला व्यवहार कर देश आगे नहीं बढ़ सकता।

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