भारत को नाटो प्लस में शामिल करना चाहता है अमेरिका

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 21 जून से 24 जून तक अमेरिका की आधिकारिक राजकीय यात्रा पर जाने वाले हैं। इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन व्हाइट हाउस में उनकी मेजबानी करेंगे। अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान पीएम मोदी अमेरिकी संसद की संयुक्त बैठक को भी संबोधित करेंगे। मोदी की इस यात्रा से पहले बड़ी खबर सामने आ रही है। दरअसल अमेरिका की उच्च-स्तरीय समिति ने भारत को नाटो प्लस में शामिल करने की सिफारिश की है। तो चलिए जानते हैं कि नाटो प्लस क्या है और अमेरिका भारत को इस संगठन में क्यों शामिल करना चाहता है? साथ ही हम यह भी जानेंगे कि इस संगठन में शामिल होने से भारत को क्या फायदा होगा?

नाटो प्लस क्या है?
दरअसल जिस तरह अमेरिका ने रूस के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए नाटो का गठन किया था। उसी तरह चीन को काबू में करने के लिए अमेरिका ने नाटो प्लस का गठन किया है। नाटो प्लस में फिलहाल पांच देश हैं। इनके नाम ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, इजराइल और दक्षिण कोरिया हैं। नाटो प्लस के यह पांच देश नाटो संगठन के 31 देशों साथ मिलकर खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान और आधुनिक सैन्य तकनीक पर काम कर रहे हैं।

भारत को क्यों शामिल करना चाहता है अमेरिका?
दरअसल अमेरिका ने नाटो प्लस का गठन ही चीन को काउंटर करने के लिए किया है। एशिया में भारत एक बड़ी ताकत है और चीन का पड़ोसी भी है। ऐसे में अमेरिका के लिए चीन को सभी तरफ से घेरने में भारत एक महत्वपूर्ण साथी साबित हो सकता है। इससे चीन की विस्तारवादी नीति पर लगाम लगेगी और ताइवान की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी नाटो प्लस महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

भारत को क्या होगा फायदा?
अगर भारत नाटो प्लस का हिस्सा बनता है तो इस स्थिति में अमेरिका सहित अन्य देशों के साथ उसकी सीधी रक्षा साझेदारी हो सकेगी। भारत के लिए सैन्य उपकरण और रक्षा तकनीक हासिल करना आसान होगा। इसके अलावा भारत को आसानी से खुफिया सूचनाएं भी मिल सकेगी।

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