हाईकोर्ट के नोटिस से हड़कंप

पंचायत उम्मीदवारों की जानकारी पोर्टल पर दर्ज करने को लेकर नोटिस

जबलपुर। मध्यप्रदेश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तर्ज पर पंचायत के उम्मीदवारों की जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध कराने के लिए जनहित याचिका पर जबलपुर हाईकोर्ट के नोटिस के बाद निर्वाचन आयोग में हड़कंप की स्थिति मच गई है।
हाईकोर्ट में इस पीआईएल दायर करने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी की अपील पर ही पिछले साल ही राज्य सूचना आयोग ने पंचायतों के उम्मीदवारों की जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध कराने के लिए आदेश जारी किया था। अब सूचना आयोग के आदेश का पालन नहीं होने पर शिवानंद द्विवेदी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
मजेदार बात यह है कि हाईकोर्ट का नोटिस जारी होते ही आनन फानन रातों-रात जिला पंचायत और जनपद पंचायत के उम्मीदवारों की जानकारी निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है। लेकिन उसके बाद भी ग्राम पंचायत स्तर की कोई भी जानकारी ना तो जिले की वेबसाइट नाही निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर  उपलब्ध है।
क्या था राज्य सूचना आयोग का आदेश?
मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने जून 2021 में ऐतिहासिक फैसला देते हुए मध्यप्रदेश के  पंचायत चुनाव में सभी उम्मीदवारों की सूची और शपथ पत्र वेबसाइट पर पब्लिक के लिए अपलोड करने के निर्देश मप्र राज्य चुनाव आयोग और प्रदेश के सभी कलेक्टरों को दिए थे। सिंह ने कहा है कि यह जानकारी लोगों का संवैधानिक अधिकार है, इसके लिए आरटीआई लगाने की भी जरूरत नहीं है।
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने पंचायत चुनाव के समय सभी उम्मीदवारों की जानकारी जनता को उपलब्ध कराने के अपने निर्णय को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत जनता का संवैधानिक अधिकार माना है। सिंह ने अपने आदेश में कोरोना संक्रमण के बदलते स्वरूप के चलते पंचायत चुनाव के दौरान रिटर्निंग ऑफिसर के दफ्तर में  सूचना के लिए भीड़ कम से कम लगे और जानकारी स्वतः पब्लिक प्लेटफॉर्म पर लोगों को उपलब्ध होने को भी आधार बनाया है।
क्या है पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों की जानकारी की वर्तमान व्यवस्था? 
वर्तमान में उम्मीदवारों की जानकारी जैसे उनके अपराधिक प्रकरण उनकी शैक्षणिक योग्यता उनके चल अचल संपत्ति की जानकारी पंचायत की रिटर्निंग ऑफिसर के कार्यालय में चस्पा की जाती है। यानी कि दूरदराज गांव के लोगों को तहसील मे रिटर्निंग अधिकारी के कार्यालय तक आकर ही उम्मीदवारों की जानकारी देख सकते हैं। वही चुनाव खत्म होने के बाद जानकारी को लेना टेढ़ी खीर है। चुनाव के बाद आरटीआई में जानकारी मांगने पर अक्सर अधिकारी कहते हैं कि जानकारी सीलबंद लिफाफे में है और सक्षम अधिकारी ही दे सकते हैं और यह सक्षम अधिकारी कौन है इसका खुलासा भी नहीं करते हैं कुल मिलाकर के जानकारी नहीं मिल पाती है।
सूचना आयोग ने इस प्रकरण में सिविल कोर्ट की शक्ति के अधीन जांच की और चुनाव आयोग से जवाब तलब किया था। जाँच उपरांत सूचना  आयोग ने पाया कि
मध्य प्रदेश चुनाव आयोग द्वारा अपने खुद के राजपत्र में हर पंचायत चुनाव में निर्देश जारी किए जाते हैं कि उम्मीदवारों की जानकारी जैसे शपथ पत्र क्रिमिनल रिकॉर्ड, शैक्षणिक योग्यता, संपत्ति की जानकारी  जनता के अवलोकन के लिए चुनाव आयोग की वेबसाइट और जिले के वेब पेज पर प्रदर्शित की जाए। इसके अलावा इस जानकारी को जिले के रिटर्निंग ऑफिसर के कार्यालय में प्रदर्शित करने का भी नियम है। पर स्वयं चुनाव आयोग इस नियम का पालन नहीं करता है और ना ही जिले के वेबपेज पर भी यह जानकारी उपलब्ध है।
क्यो मिलनी चाहिए पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों की जानकारी ? 
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह का मानना है कि पंचायत चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर के दफ्तर पर जानकारी प्रदर्शित होने से बहुत कम लोगों को इसकी जानकारी मिल पाती है। वेबसाइट पर आने पर अब सभी लोग इसका अवलोकन कर सकते हैं। जैसी कसावट और पारदर्शिता लोकसभा और विधानसभा चुनाव में होती है वैसे ही पंचायत चुनाव में भी होनी चाहिए। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों की जानकारी स्वतः वेबसाइट पर उपलब्ध हो जाती है और इसके लिए वोटर्स को रिटर्निंग अधिकारी के कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़ता है और क्यों की जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध रहती है तो बाद में भी आरटीआई लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है।  विधानसभा और लोकसभा चुनाव की तरह सिंह का कहना है कि गांव के वोटर्स को भी यह जानने का हक है कि उनके जनप्रतिनिधियों ने चुनाव दर चुनाव कितनी संपत्ति अर्जित की है या उनके खिलाफ़ कौन से अपराधिक मामले दर्ज हुए हैं। एक जानकार वोटर ही लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत कर सकता है
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने आदेश जारी करते हुए सामान्य प्रशासन विभाग को कहा है कि सूचना आयोग के इस आदेश की प्रति जिले के समस्त कलेक्टरों को उपलब्ध कराकर पालन सुनिश्चित करवाए। इस आदेश में सिंह ने सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4 के तहत स्वतः  पब्लिक प्लेटफॉर्म पर जारी करने के निर्देश दिए हैं ताकि इसके लिए आरटीआई भी ना लगाना पड़े।
क्या है अन्य राज्यों में व्यवस्था
उड़ीसा राज्य में पंचायत उम्मीदवारों की सारी जानकारियां वहां के जिले के वेब पेज पर उपलब्ध है। बिहार और झारखंड राज्य के कुछ जिलों में यह जानकारियां वेब पेज पर उपलब्ध है। कर्नाटक राज्य में भी नगरीय निकाय से संबंधित उम्मीदवारों की जानकारी शपथ पत्र आदि उपलब्ध है। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह का कहना है कि जब अन्य राज्य इस जानकारी को उपलब्ध करा सकते हैं तो मध्यप्रदेश क्यों नही। कोरोना के चलते यह और भी जरूरी हो गया है की जानकारियां लोगों को स्वतः वेबसाइट पर उपलब्ध हो। उसके लिए जनता को सरकारी दफ्तर के चक्कर नहीं काटना पड़े।
18 जुलाई को होगी हाईकोर्ट मे अगली सुनवाई
जून 2021 में दिए सूचना आयोग के इस आदेश का पालन निर्वाचन आयोग और सामान्य प्रशासन विभाग ने नहीं किया तो आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने पत्र लिखकर के दोनों विभागों को आदेश के पालन करने के लिए लिखा लेकिन उसके बाद भी जब जानकारी को वेबसाइट पर प्रदर्शित नहीं किया गया तो शिवानंद द्विवेदी हाईकोर्ट की शरण में चले गए। चीफ जस्टिस रवि मलिमठ  और जस्टिस विशाल मिश्रा की बेंच ने अगले सप्ताह 18 जुलाई को राज्य निर्वाचन आयोग से जवाब तलब किया है।

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