
एक तरफ अंडर-19 विश्व कप के कप्तान पृथ्वी शॉ को विजय हजारे ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल मुकाबले में मुंबई की टीम में शामिल किया गया तो वहीं विश्व कप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 101 रनों की पारी खेलकर देश को खिताब दिलाने वाले मनजोत कालरा को दिल्ली की मुख्य टीम में भी नहीं रखा गया। उन्हें बड़ी मुश्किल से स्टैंडबाई में रखा गया है।
डीडीसीए ने रविवार को विजय हजारे ट्रॉफी के नॉकआउट चरण के लिए इशांत शर्मा की कप्तानी में 15 सदस्यीय टीम का चयन किया था जिसमें गौतम गंभीर, उन्मुक्त चंद, ऋषभ पंत, नीतीश राणा, हितेन दलाल, ध्रुव शौरी, ललित यादव, कुलवंत खेजरोलिया, प्रदीप सांगवान, नवदीप सैनी, पवन नेगी, हर्ष त्यागी, हिम्मत सिंह, मिलिंद कुमार को शामिल किया गया। अंडर-19 विश्व कप के छह मैचों में 84 के औसत से 252 रन बनाने वाले मनजोत को दिल्ली ने स्टैंड बाई में रखा गया जबकि विश्व कप में मैन ऑफ द सीरीज रहने वाले शुभमन गिल को पंजाब ने अपनी मुख्य टीम में रखा और उन्होंने कर्नाटक के खिलाफ उन्होंने 123 रनों की पारी भी खेली। ऐसे में सवाल उठता है जब अन्य राज्यों की टीमें वैश्विक पटल में नाम रोशन करने वाले जूनियरों को मौका दे रही हैं तो वहीं दिल्ली के चयनकर्ता अपने प्रदेश की प्रतिभाओं को नुकसान क्यों पहुंचा रहे हैं।
दिल्ली की चयनसमिति में अतुल वासन, हरी गिडवानी और रॉबिन सिंह शामिल हैं। जब इस मामले में पूर्व क्रिकेटर और डीडीसीए के चयनकर्ता अतुल वासन से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त डीडीसीए के क्रिकेट प्रशासक विक्रमजीत सेन के निर्देशानुसार हमें अंडर-19 विश्व चैंपियन टीम के किसी खिलाड़ी का चुनाव नहीं करना था।
विश्व कप टीम में दिल्ली के मनजोत ही थे यानि हम मनजोत को दिल्ली की टीम में नहीं चुन सकते थे। जब उनसे इसका कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता। हम सिर्फ निर्देश का पालन कर रहे थे। इस बारे में विक्रमजीत सेन का भी पक्ष लेने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया जबकि डीडीसीए की क्रिकेट सलाहकार समिति के प्रमुख मदनलाल का भी फोन स्विच ऑफ था।