
कुछ दिन पहले पीएम मोदी ने छत्तीसगढ़ में कहा था कि एससी-एसटी की हिफाजत और उनके हितों की रक्षा के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है. आज उसी राज्य ने केंद्र की इस प्रतिबद्धता को दरकिनार कर सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू कर दिया है.
एससी/एसटी एक्ट मामले में बीजेपी शासित तीन राज्यों ने केंद्र सरकार को भी पीछे छोड़ दिया है. जहां केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट से फैसला बदलने का गुहार लगा रही है, वहीं ये सुप्रीम कोर्ट के फैसलो को लागू भी कर चुके हैं. इसमें राजस्थान और मध्यप्रदेश शामिल हैं.
इस लिस्ट में छत्तीसगढ़ भी शामिल था. लेकिन मीडिया में चर्चा होने और विपक्षी की ओर से सवाल उठाए जाने के बाद उसने अपना फैसला बदल लिया है. मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि हम इस मामले को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं. केंद्र का जो फैसला होगा, वही राज्य का भी होगा. तब तक जो ऑर्डर पास किए गए थे, उसे रद्द किया जाता है.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट पर एससी/एसटी एक्ट को कमजोर करने का आरोप लगा दलित संगठन भारत बंद कर चुके हैं. भारत बंद के बाद केंद्र सरकार ने याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले पर विचार करने के लिए कहा था. केंद्र का कहना है कि एससी/एसटी एक्ट को लेकर 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है वह उससे सहमत नहीं है.
आदेश में पुलिस प्रमुख को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सख्ती से लागू करने के लिए कहा गया है. वहीं बीजेपी शासित राज्य हिमाचल प्रदेश ने इस मामले में अनाधिकारिक आदेश जारी किए हैं. वहीं हरियाणा इस मामले में कानूनी सलाह लेने की बात कह रहा है.
एक तरफ मोदी कह रहे थे कुछ नहीं होगा, दूसरी तरफ कर दिया था लागू
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि आपके हक की चिंता करना सरकार का दायित्व है. पीएम के कार्यक्रम से 8 दिन पहले 6 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू कराने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस सर्कुलर जारी कर चुकी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी ऐक्ट के तहत तुरंत गिरफ्तारी नहीं किए जाने का आदेश दिया था. एससी/एसटी ऐक्ट के तहत दर्ज होने वाले केस में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दे दी थी. अदालत ने कहा था कि इस कानून के तहत दर्ज मामलों में तुरंत गिरफ्तारी की बजाय पुलिस को 7 दिन के भीतर जांच करनी चाहिए और फिर आगे ऐक्शन लेना चाहिए.
यही नहीं शीर्ष अदालत ने कहा था कि सरकारी अधिकारी की गिरफ्तारी अपॉइंटिंग अथॉरिटी की मंजूरी के बिना नहीं की जा सकती. गैर-सरकारी कर्मचारी की गिरफ्तारी के लिए एसएसपी की मंजूरी जरूरी होगी.