
नई दिल्ली । देश में कारोबार शुरू करने की प्रक्रिया सुगम बनाने के लिए कई कदम उठाने के बाद सरकार अब उन सुधारों को लागू करने पर जोर देगी, जिससे आम लोगों के जीवन की मुश्किलें कम हों। इसके लिए जिन सुधारों की फेहरिस्त तैयार की गई है उनमें प्रशासनिक व न्यायिक सुधार सबसे ऊपर हैं। माना जा रहा है कि आने वाले वर्षो में चरणबद्ध ढंग से इन्हें लागू किया जाएगा।
वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि फिलहाल सरकार की कोशिश है कि बीते चार साल में जो सुधार लागू हो चुके हैं उन्हें सही ढंग से क्रियान्वित किया जाए। इसके बाद अगले दौर के सुधारों को लागू किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष मौजूदा सरकार के कार्यकाल का अंतिम साल है, इसलिए जो भी नई सरकार आएगी उसकी टेबल पर सुधारों की सूची में सबसे ऊपर प्रशासनिक और न्यायिक सुधार होंगे। ये दोनों क्षेत्र ऐसे हैं जिनका सीधा वास्ता न सिर्फ आम लोगों से है बल्कि अर्थव्यवस्था के अलग-अलग क्षेत्रों से भी है।
मसलन, देश में 3.3 करोड़ मुकदमे न्यायालयों में विभिन्न स्तर पर लंबित हैं। न्याय में विलंब आम लोगों तथा अर्थव्यवस्था पर बड़ा बोझ है, इसलिए इन सुधारों पर जोर दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार जब सत्ता में आई थी तो लगभग 30 सुधार लंबित थे।
इनमें से जीएसटी, दिवालियेपन पर नया कानून इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड-2016, बजटीय सुधार, सरकारी योजनाओं में लीकेज रोकने के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, एफडीआइ से संबंधित नियमों को उदार बनाना और पुराने कानूनों को खत्म करने जैसे सुधार शामिल हैं।
हालांकि केरोसिन पर सब्सिडी पूरी तरह खत्म करने, विदेशी वकीलों को देश में प्रैक्टिस की अनुमति देने, मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआइ खोलने, भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव और श्रम क्षेत्र के सुधार परवान नहीं चढ़ पाए हैं। ये सुधार भी एजेंडे में शामिल हैं। हालांकि प्राथमिकता उन सुधारों को दी जाएगी जिनसे आम लोगों के जीवन की मुश्किलें आसान हो सकें।