सुप्रीम कोर्ट के आदेश का बीसीसीआइ ने किया स्वागत

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के मसौदा संविधान को अंतिम रूप देने पर उसके द्वारा फैसला सुनाए जाने तक सभी राज्य क्रिकेट संघों के चुनाव कराने पर रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने साथ ही इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा। इस फैसले का बीसीसीआइ ने स्वागत किया है।

बीसीसीआइ के कार्यकारी सचिव अमिताभ चौधरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारी अपील सुनी और हम इस फैसले से बेहद सकारात्मक महसूस कर रहे हैं। मेरी और हमारे कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी की स्थिति अब सही सही है।

सप्रीम कोट ने ‘एक राज्य, एक मत’ और बीसीसीआइ पदाधिकारियों के लिए कूलिंग ऑफ पीरियड से संबंधित पूर्व फैसले में संशोधन पर विचार करेगी। चौधरी ने कहा कि हमें अंतिम निर्णय का इंतजार करना होगा लेकिन मुझे लगता है कि सभी चीज अब ठीक जगह पर आ जाएंगी। सुप्रीम कोर्ट ने हमारी सभी बहस को सुना है और हम कोर्ट के आभारी हैं।

बीसीसीआइ संंविधान जो कोर्ट में भेजा गया है, उसमें राष्ट्रीय चयनकर्ता बनने के लिए 20 प्रथम श्रेणी मुकाबले खेलना जरूरी है। अगर यह मान लिया जाता है तो जतिन परांजपे और गगन खोड़ा की राष्ट्रीय चयनकर्ता पैनल में वापसी हो सकती है। उन्हें टेस्ट क्रिकेट नहीं खेलने की वजह से पैनल से हटाया गया था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि लोढ़ा समिति के कूलिंग ऑफ पीरियड की सिफारिश को हम नहीं मान रहे। हम बीसीसीआइ के सुझाव को मानने को तैयार हैं। चुनाव लडऩे के लिए 70 साल उम्र की अधिकतम सीमा पर सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कहा कि जज रिटायर होकर 70 साल की उम्र में समितियों की अध्यक्षता कर रहे हैं। इस पर जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा कि अध्यक्षता खेल नहीं है।

महाराष्ट्र एसोसिएशन ने कहा कि 70 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति देश चला सकता है तो सदस्य क्यों नहीं बन सकता। नेताओं को अलग नहीं रखा जा सकता। दरअसल लोढ़ा पैनल ने सिफारिश की थी कि तीन साल के कार्यकाल के बाद सदस्यों के लिए कूलिंग ऑफ पीरियड होना चाहिए, लेकिन बीसीसीआइ ने सुझाव दिया था कि ऐसा व्यक्ति कूलिंग ऑफ के बजाय किसी और पद पर चुनाव लड़ सके। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बिहार की टीम अब घरेलू क्रिकेट सीरीज में खेलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसी साल सितंबर से सभी टूर्नामेंट में बिहार की टीम खेलेगी. बीसीसीआइ ने अपना ड्राफ्ट संविधान सुप्रीम कोर्ट में दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य क्रिकेट एसोसिएशन को कहा कि अगर किसी को ड्राफ्ट संविधान पर अपनी राय देनी है तो तीन दिनों के भीतर न्यायमित्र गोपाल सुब्रमण्यम को दें।

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