
नई दिल्ली । भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर आज यानि 10 जुलाई को अपना 69वां जन्मदिन मना रहे हैं। 22 साल की उम्र में क्रिकेट डेब्यू करने वाले गावस्कर ने उसी मैच 65 और नाबाद 67 रनों की पारियां खेली थी। गावस्कर के डेब्यू के साथ एक खास बात और रही कि इसी मैच में पहली बार भारतीय टीम ने वेस्टइंडीज जैसी धाकड़ टीम को मात दी। क्रिकेट जगत में सबसे पहले लिटिल मास्टर की उपाधि गावस्कर को ही मिली थी।
वैसे तो हम अगर गावस्कर के करियर और उनके जीवन पर चर्चा करें तो शायद कई किताबें लिखने के बाद भी पूरा नहीं कर पाएंगे, लेकिन उनके जन्मदिन के अवसर पर हम आपको उनकी कुछ दिलचस्प बातों के बारे में बताएंगे जो कि उनके करियर और निजी जीवन से जुड़ी हैं।
करियर का पहला और दूसरा रन ही झूठा
6 मार्च 1971 को सुनील गावस्कर ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने क्रिकेट करियर का पदार्पण किया। इस मैच की दोनों पारियों ने उन्होंने शानदार अर्धशतक लगाए और भारत को पहली बार विंडीज के खिलाफ जीत दिलाई। यहां गावस्कर की एक दिलचस्प बात हम आपको बताएंगे जो शायद कम लोगों को ही पता है। पहली पारी में जब वो बल्लेबाजी करने आए तो उन्होंने 2 रन लेकर अपने क्रिकेट करियर में रन बनाने की शुरुआत की। ये दो रन गावस्कर के बल्ले से नहीं बल्कि उनके पैड से टकराकर गेंद निकली थी उस पर मिले थे। गावस्कर को हैरानी भी हुई कि अंपायर ने इसे लेग बाई नहीं दिया। उन्होंने इस बात का खुलासा अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘सनी डेज’ में किया है।
क्रिकेट करियर में कभी हेलमेट का प्रयोग नहीं किया
सुनील गावस्ककर ने जब क्रिकेट करियर शुरू किया तब वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज अपने चरम पर हुआ करते थे। माइकल होल्डिंग, जोएल गार्नर, एंडी राबर्ट्स और मैल्कम मार्शल की चौकड़ी के सामने दुनिया भर के बल्लेबाज नतमस्तक थे। इस कैरेबियाई चौकड़ी के सामने विश्व के धुरंधर बल्लेबाज हेलमेट लगाने के बाद भी इनका सामना करने से परहेज करते थे, जबकि गावस्कर ने करियर की शुरुआत ही वेस्टइंडीज के खिलाफ की और अपने करियर में उन्होंने कभी हेलमेट का प्रयोग नहीं किया। गावस्कर के इसी अंदाज के चलते दुनिया भर के दिग्गज तेज गेंदबाज भी उनका बहुत सम्मान करते थे।
102 डिग्री बुखार के बाद भी लगाया था शतक
टेस्ट में 34 शतक लगाने वाले सुनील गावस्कर ने वनडे मैचों में मात्र एक शतक बनाया है। ये शतक उन्होने साल 1987 के विश्वकप में न्यूजीलैंड के खिलाफ लगाया था इस मैच से पहले जिम्बॉब्वे के खिलाफ उनपर धीमी बल्लेबाजी करने के लिए उनकी जमकर आलोचना हुई थी। अब भारतीय टीम को सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए न्यूजीलैंड को बहुत अच्छे रनरेट से हराने की जरूरत थी। इस मैच में गावस्कर ने मात्र 88 गेंदों पर 103 रन की पारी खेली शायद कम ही लोगों को पता होगा कि उस पारी के दौरान गावस्कर को 102 डिग्री बुखार था। उनकी इस पारी के लिए उन्हें ‘मैन ऑफ द मैच चुना’ गया था।
टेस्ट क्रिकेट में बनाए थे सर्वाधिक रन और शतक
जब गावस्कर ने डॉन ब्रेडमैन के 29 शतकों के रिकॉर्ड को तोड़ा था तो लगता था कि अब ये रिकॉर्ड कभी नहीं टूटेगा। गावस्कर ने न सिर्फ सर्वाधिक टेस्ट शतक लगाए बल्कि सबसे ज्यादा 10000 टेस्ट रन भी बनाए। साल 1987 में जब वो रिटायर हुए तो दूर-दूर तक कोई भी बल्लेबाज इन रिकॉर्ड्स के आस-पास भी नजर नहीं आ रहा था। लेकिन उनके ही फैन और मौजूदा ‘क्रिकेट के भगवान’ की उपाधि से नवाजे गए सचिन तेंदुलकर ने यह मील का पत्थर भी पीछे छोड़ दिया।
गावस्कर के परिवार में थे इतने क्रिकेटर
सुनील गावस्कर अपने परिवार में इकलौते क्रिकेटर नहीं थे उनके अलावा उनके परिवार में और बहुत से क्रिकेटर थे। गावस्कर के मामा माधव मंत्री 4 टेस्ट मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। गावस्कर ने अपने समय के महान बल्लेबाज रोहन कन्हाई के नाम पर अपने बेटे का नाम रोहन रखा रोहन गावस्कर भी भारत के लिए 11 वनडे मैच खेल चुके हैं। गावस्कर की बहन नूतन मुंबई के पहले महिला क्रिकेट क्लब अलबीस के लिए खेल चुकी हैं। गावस्कर के जीजा गुंडप्पा विश्वनाथ जो भारतीय टीम का हिस्सा रह चुके है।
गावस्कर को कुत्तों से लगता था बहुत डर
अपनी बेहतरीन बल्लेबाजी से दुनियाभर के गेंदबाजों में खौफ भर देने वाले 5 फुट 5 इंच के गावस्कर को आज तक दुनिया का कोई भी गेंदबाज नहीं डरा पाया। लेकिन सुनील गावस्कर को कुत्तों से बहुत डर लगता था। एक बार इंग्लैंड के ऑलराउंडर इयान बॉथम की एक हरकत के कारण सुनील गावस्कर को काफी देर तक टेलीफोन बूथ के अंदर रहना पड़ा था, दरअसल बॉथम एक कुत्ते के साथ फोनबूथ के बाहर खड़े थे जिसके चलते गावस्कर वहां से निकलने में डर रहे थे बाद में काफी विनती और मिन्नत के बाद बॉथम वहां से कुत्ते को लेकर हटे तब जाकर वो बाहर निकले।