
नोटबंदी के दौरान कर चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में करीब 3 लाख कंपनियों के वित्तीय लेन-देन की जांच होगी। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने इनकम टैक्स विभाग के अधिकारियों से विशेषकर नोटबंदी के दौरान रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) के रिकॉर्ड से हटाई गई कंपनियों के वित्तीय लेन-देने की जांच करने का आदेश दिया है।
संदिग्ध लेन-देने की वजह से इन कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा चुका है। सीबीडीटी ने अधिकारियों को इन कंपनियों के पिछले दो सालों से अधिक के लेन-देन की जांच करने को कहा है। आयकर विभाग को इस बात का संदेह है कि इन कंपनियों में से अधिकांश ने अपने कॉरपोरेट ढांचे का इस्तेमाल करते हुए नोटबंदी के दौरान नकदी को जमा कराने का काम किया।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को जारी सीबीडीटी के आधिकारिक नोट में कहा गया है, ‘मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में इन कंपनियों के संभावित इस्तेमाल को रोकने के लिए बोर्ड चाहता है कि अधिकारी इन कंपनियों के रजिस्ट्रेशन को रद्द किए जाने की प्रक्रिया और नोटबंदी के दौरान बैंकों से इनके जमा और निकासी रकम के बारे में छानबीन करें।’
रिपोर्ट्स के मुताबिक एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बोर्ड के पास ऐसी कंपनियों के टैक्स चोरी में शामिल होने के सबूत हैं और ऐसा साबित होने के बाद विभाग मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी के मामले में इनके खिलाफ कार्रवाई करेगा।
अधिकारी ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों को जांच के लिए ईडी के पास भेजा जाएगा। विभाग ने अधिकारियों से इन कंपनियों के बारे में मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स से जानकारी जुटाने के लिए कहा है। इसके साथ ही उनके इनकम टैक्स रिटर्न और बैंकों के साथ किए गए उनके वित्तीय लेन-देन के बारे में छानबीन करने के लिए कहा है।
आयकर विभाग को नोटबंदी के दौरान इन कंपनियों के जरिए 100 अरब रुपये के हवाला लेन-देन का संदेह हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक करीब 35,000 कंपनियों ने नोटबंदी के दौरान 170 अरब रुपये से अधिक की रकम बैंकों में जमा और उसकी निकासी की। इस काम के लिए 60,000 से अधिक बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया।
गौरतलब है कि मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स ने काले धन के खिलाफ कार्रवाई करते हुए इन कंपनियों की मान्यता रद्द कर दी थी।