बड़े राजनीतिक संकट में फंसा एक अमीर देश

दुनियाभर में एक अमीर लैटिन अमेरिकी देश के रूप में पहचान बनाने वाला वेनेजुएला आज एक बड़े राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है। यहां सामान इतना महंगा हो चुका है कि लोग भूखे रहने पर मजबूर हैं। यहां की महिलाएं, जो कभी अध्यापक और नर्स हुआ करती थीं, आज देह व्यापार के काम में उतरने को मजबूर हैं। देश के अस्पतालों का हाल किसी डरावने सपने से कम नहीं है। तेल की मौजूदगी के बावजूद भी यहां बिजली, पानी नहीं है।

वेनेजुएला की इस हालत का जिम्मेदार और कोई नहीं बल्कि यहां के राजनेता हैं। वर्तमान में यहां निकोलस मादुरो की सरकार है। वह साल 2013 से देश के राष्ट्रपति का पद संभाल रहे हैं। बीते साल यहां राष्ट्रपति चुनाव हुए थे। इन चुनावों में भी निकोलस मादुरो ने जीत हासिल की। वह दूसरी बार देश के राष्ट्रपति बने।

लेकिन मादुरो के चुनाव जीतने के बाद विपक्षी पार्टी के नेता जुआन गुइगो ने उनपर चुनावों में गड़बड़ी का आरोप लगाया। गुइदो ने एक विरोध प्रदर्शन के दौरान खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया। गुइदो ने राजधानी कराकास में जब पहली रैली की थी, तो उसमें देशभर से 2.5 लाख लोग शामिल हुए थे।

वहीं अमेरिका ने भी इस काम में गुइदो का साथ दिया। अमेरिका ने कहा कि ‘पूर्व राष्ट्रपति मादुरो’ के पास अब कोई अधिकार नहीं है। अमेरिका ने सेना से भी अपील करते हुए कहा कि गुइदो का ही समर्थन करें। 11 महीनों से दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक टकराव चल रहा है। सरकार ने गुइदो पर 15 साल का प्रतिबंध लगाया है। संविधान सभा में भी गुइदो के खिलाफ वोटिंग हुई है।

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