
मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपीलीय आयकर आयुक्तों के कामकाज का वार्षिक आधार पर आकलन और प्रोत्साहन को उनके द्वारा विभाग के पक्ष में दिए गए फैसलों से जोड़ने वाली नीति को खारिज कर दिया।
उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अकील कुरैशी और न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की पीठ ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की पिछले साल नवंबर में अधिसूचित ‘केंद्रीय कार्रवाई योजना’ (सीएपी) को रद्द कर दिया है।
सीएपी के तहत अन्य बातों के अलावा यह कहा गया था कि केंद्रीय अपीलीय आयकर अधिकारियों के वर्ष 2018-19 में वार्षिक प्रदर्शन का आकलन उनके द्वारा दिए गए ‘गुणवत्ता वाले आदेशों’ पर निर्भर करेगा। मसलन इन अधिकारियों ने करदाताओं पर जुर्माना लगाकर, करदाता के कर आकलन के विस्तार और आकलन अधिकारी के रुख को मजबूत करने जैसे जितने फैसले दिए होंगे उनका प्रदर्शन उतना ही बेहतर माना जाएगा।
सीएपी में अधिकारियों द्वारा प्रत्येक मामले में आदेश पारित करने की समयसीमा भी तय की गई है। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में इस नीति को पूरी तरह अस्वीकार्य और अवैध करार दिया।
पीठ चैंबर आफ टैक्स कंसल्टेंट की ओर से हितेष दोषी तथा अन्य द्वारा दायर रिट याचिका और विधि कंपनी एसलीगल की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी।
याचिकाकर्ताओं ने सीबीडीटी की ओर से तैयार कर अधिकारियों के कार्यप्रदर्शन आकलन की नई प्रणाली को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया है कि इस तरह के लक्ष्यों और समयसीमा तय किये जाने से आयकर आयुक्तों पर कर मामलों को जल्दबाजी में तय करने का दबाव बढ़ेगा। इससे करदाता के मामले पर उचित सुनवाई नहीं हो सकेगी।