रवींद्र जडेजा का संजय मांजरेकर को ‘बकवास’ भाषा में जवाब देना कितना सही?

नई दिल्ली। टीम इंडिया के ऑलराउंडर खिलाड़ी रविंद्र जडेजा ने पूर्व भारतीय बल्लेबाज़ संजय मांजरेकर पर हाल ही में गुस्से का इजहार किया। मांजरेकर ने जडेजा की आलोचना की थी जिसके बाद जडेजा ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। संजय मांजरेकर ने कहा था कि वो रविंद्र जडेजा जैसे खिलाड़ियों के फैन नहीं हैं जो थोड़ी बल्लेबाज़ी और थोड़ी गेंदबाज़ी कर लेते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि जडेजा की मांजरेकर पर प्रतिक्रिया से क्रिकेट फैन्स उनकी आलोचना करने के बजाय उनको सपोर्ट कर रहे हैं।

क्या है पूरा मामला

मांजरेकर से जब पूछा गया कि वह कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल में से किसकी जगह रवींद्र जडेजा को शामिल करना चाहेंगे। तो इस पर मांजरेकर ने कहा था, ”50 ओवर के क्रिकेट में जडेजा जैसे खिलाड़ियों के वो बड़े प्रशंसक नहीं हैं जो थोड़ी बल्लेबाज़ी और थोड़ी गेंदबाज़ी कर लेते हैं। टेस्ट मैच में वो एक गेंदबाज़ होते हैं लेकिन 50 ओवर के क्रिकेट में या तो बल्लेबाज़ या स्पिनर होंगे।”

जडेजा का पलटवार

रविंद्र जडेजा को यह आलोचना रास नहीं आई और उन्होंने संजय मांजरेकर से कहा कि जिन्होंने क्रिकेट में कुछ हासिल किया है उनका सम्मान करना सीखें। जडेजा ने संजय मांजरेकर को टैग करते हुए कड़े शब्दों में ट्विटर पर लिखा, ”मैंने आपसे दोगुने क्रिकेट मैच खेले हैं और अभी भी खेल रहा हूं। जिन्होंने कुछ हासिल किया है उनका सम्मान करना सीखिए। मैं आपकी बहुत बकवास सुन चुका हूं।” हालांकि इस ट्वीट के बाद अभी तक संजय मांजरेकर की तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई।

जडेजा का इस तरह ट्वीट करना कितना सही?

दो भारतीय क्रिकेटरों के बीच इस तरह की बातें खासकर वर्ल्ड कप अभियान के दौरान देखना कई सवाल खड़े करता है। साथ ही हमें सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर क्या कुछ दांव पर लगा है। मांजरेकर के इस बयान के बाद से कई क्रिकेट फैन्स ने उन्हें कमेंट्री पैनल से बर्खास्त करने की मांग की है। अगर क्रिकेटर्स के आलोचनात्मक आंकलन करने पर ऐसे ही कमेंटेटर्स को बर्खास्त करना शुरू कर दिया जाए , तो कमेंटेटर्स के पास सिर्फ खिलाड़ियों की तारीफ के अलावा कुछ कहने को नहीं बचेगा। कमेंटेटर्स से सिर्फ इसी की उम्मीद नहीं की जा सकती।

जडेजा ने इस तथ्य पर जोर दिया कि उन्होंने मांजरेकर की तुलना में अधिक मैच खेले हैं और सिर्फ इसलिए उन्हें सम्मान देना चाहिए। क्या यह मापदंड उचित है? मांजरेकर आज जिस स्तर पर हैं वह अपने क्रिकेट रिकॉर्ड्स की वजह से नहीं हैं। उन्होंने खुद को एक क्रिकेट कमेंटेटर के रूप में स्थापित किया है। आप निश्चित रूप से क्रिकेट कमेंट्री के गिरते स्तर की आलोचना कर सकते हैं, लेकिन कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि मांजरेकर शानदार कमेंटेटर हैं, उनका एनालिसिस कमाल का है और साथ ही क्रिकेट का लंबा अनुभव है कि वह किसी भी खिलाड़ी का आंकलन कर सकते हैं।

यहां तक कि किसी खिलाड़ी की महानता उसके खेले गए मैचों और रिकॉर्ड्स से तय नहीं की जा सकती। मसलन, अगर आंकड़ों को देखें तो सुनील गावस्कर ने सचिन तेंदुलकर से कहीं कम मैच खेले, उनके रिकॉर्ड्स भी उनसे कम हैं…इसका मतलब यह नहीं कि वह सचिन से कहीं कमतर खिलाड़ी हैं। एक खिलाड़ी की लीगसी उसके रिकॉर्ड और नम्बरों से कहीं बड़ी होती है। इस बात का मतलब यह नहीं कि मांजरेकर जडेजा की तुलना में बेहतर खिलाड़ी थे, यह सिर्फ इस बात को उजागर करता है कि मैचों की संख्या से एक क्रिकेटर के बारे में बहुत कुछ नहीं कहा जा सकता है।

मांजरेकर ने जडेजा के लिए जो कहा वह गलत नहीं है। जडेजा 150 वनडे मैच खेलने के बाद भी एक स्पेशलिस्ट के तौर पर अपने आप को साबित नहीं कर पाए हैं। उन्हें एक ऐसा ऑलराउंडर कहा जा सकता है जो हर फील्ड में थोड़ा-थोड़ा योगदान दे सकता है। जबकि टीम इंडिया में हार्दिक पंड्या ऑलराउंडर की भूमिका बखूबी निभा रहे हैं। मौजूदा वर्ल्ड कप में पंड्या लगातार बैट और बॉल से परफॉर्म कर रहे हैं।

जडेजा जिस सम्मान की बात कर रहे हैं ये इससे भी साफ है कि वह अपने आलोचकों के प्रति कैसा रवैया रखते हैं। उनको पूरी आजादी है कि वह अपने आलोचकों से सहमत न हों लेकिन उन्होंने जिस भाषा का इस्तेमाल किया है उससे साफ है कि वह अपनी आलोचना बर्दाश्त नहीं कर सकते। जो कि एक अच्छे खिलाड़ी की पहचान नहीं है…

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