
नई दिल्ली: ठीक 9 साल पहले टीम इंडिया और पड़ोसी पाकिस्तानी टीम एक बार फिर वर्ल्ड कप में आमने सामने थी. मुकाबला दिलचस्प होने वाला था, क्योंकि उस वक्त मोहाली के पीसीए स्टेडियम में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के पीएम यूसुफ रजा गिलानी मौजूद थे. दोनों टीमों को 2011 वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचने के लिए ये मैच जीतना बेहद जरूरी था. टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया. भारत के सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने धमाकेदार शुरुआत करते हुए टीम इंडिया का स्कोर शुरुआती 6 ओवर्स में 50 रन पर पहुंचा दिया, हांलाकि वो अपना अर्धशतक पूरा नहीं कर सके और 38 रन बनाकर पवेलियन रवाना हो गए.
अब पारी को संभालने की जिम्मेदारी सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) के कंधे पर थी, उनका साथ निभाने आए गौतम गंभीर, विराट कोहली और युवराज सिंह जल्दी आउट हो गए जिससे टीम इंडिया मुश्किल में दिखने लगी. फिर सचिन के साथ पारी के आगे बढ़ाने के लिए खुद कप्तान धोनी मैदान में आए और मास्टर ब्लास्टर के साथ 46 रन की साझेदारी की. सचिन ने काफी संभल कर खेला और भारत को मुश्किलों से उबारा, लेकिन वो शतक से चूक गए और 85 रन के स्कोर पर आउट हो गए. फिर सुरेश रैना ने 36 रन की पारी खेली और 50 ओवर में भारत के स्कोर को 260 रन पर पहुंचा दिया.
261 रन का पीछा करने उतरी पाकिस्तान की टीम को मुनाफ पटेल और जहीर खान ने शुरुआती झटके दिए. हरभजन सिंह, युवराज सिंह, जहीर खान, मुनाफ पटेल और आशीष नेहरा ने 2-2 विकेट लिए और पाक टीम पर लगाम लगा दी. पाकिस्तान के लड़ाके पूरे 50 ओवर तक भी टिक नहीं पाए और पूरी टीम 1 गेंद शेष रहते हुए 231 रन पर ऑल आउट हो गई. भारत ने ये मुकाबला 29 रन से जीत लिया और धोनी की सेना वर्ल्ड कप 2011 में फाइनल में पहुंच गई. सचिन को 85 रन की पारी के लिए ‘मैन ऑफ द मैच’ दिया गया. शाहिद अफरीदी की टीम का अभियान यहीं खत्म हो गया.