बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी जारी ,सेवा क्षेत्र में नहीं कोई सुधार

आईएचएस मार्किट द्वारा आज यहां सेवा क्षेत्र के लिए कारोबार गतिविधि सूचकांक की रिपोर्ट जारी की गई। नए ऑर्डरों में कमी और कमजोर कारोबारी धारणा के बीच देश के सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में इस साल मई की तुलना में जून में गिरावट दर्ज की गई और कंपनियों ने बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी जारी रखी। सूचकांक का 50 से कम रहना पिछले महीने के मुकाबले गिरावट को और 50 से ऊपर रहना वृद्धि को दशार्ता है, जबकि 50 का अंक स्थिरता का द्योतक है।माह-दर-माह आधार पर जारी होने वाला सूचकांक जून में 33.7 दर्ज किया गया, जिसका मतलब यह है कि मई की तुलना में मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधियों में गिरावट आयी है।

दूसरी छमाही में भी गिरावट जारी रह सकती है

मार्च की तुलना में अप्रैल में और अप्रैल की तुलना में मई में भारी गिरावट रही थी। उस लिहाज से मई के मुकाबले जून की गिरावट कम रही। अप्रैल में सूचकांक 5.4 और मई में 12.6 दर्ज किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि मई में ऐतिहासिक छँटनी के बाद कंपनियों ने जून में भी छँटनी जारी रखी। कंपनियों का कहना है कि काम नहीं होने के कारण उन्होंने छँटनी की है। कुछ कंपनियों का यह भी कहना है कि काम करने के लिए कर्मचारी मिल ही नहीं रहे हैं।

आईएचएस मार्किट के अर्थशास्त्री जो हेज ने रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि देश में कोरोना संकट गहराने के साथ सेवा क्षेत्र जून में भी मुश्किलों से गुजरता दिखा। देश की अर्थव्यवस्था अभूतपूर्व गिरावट की ओर बढ़ती दिख रही है। यदि संक्रमण की दर नियंत्रण में नहीं आती है तो इस कैलेंडर वर्ष की दूसरी छमाही में भी गिरावट जारी रहेगी।

मई के मुकाबले जून में गतिविधियों में कोई सुधार नहीं

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के कारण नए ऑर्डरों में भारी गिरावट रही और कंपनियों का काम भी प्रभावित हुआ है। सर्वे में हिस्सा लेने वाली 59 प्रतिशत कंपनियों ने कहा है कि मई के मुकाबले जून में गतिविधियों में कोई सुधार नहीं हुआ है। अन्य 37 प्रतिशत ने गतिविधियों में गिरावट की बात कही है, जबकि शेष चार प्रतिशत का कहना है कि उनकी गतिविधियां मई की तुलना में बढ़ी है। विदेशों से मांग में काफी अधिक गिरावट है। अंतरराष्ट्रीय यात्राओं पर प्रतिबंध से भी विदेशों से मिलने वाले ऑर्डर प्रभावित हुए हैं। अगले एक साल के परिदृश्य के बारे में कारोबारियों का विश्वास कमजोर पड़ा है।

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