श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ देशभर में गूंजा मजदूरों का आक्रोश, भोपाल में प्रभावी प्रदर्शन

विवेक झा, भोपाल, 22 सितंबर।
केंद्र सरकार की श्रम विरोधी नीतियों और श्रम अधिकारों पर हमले का आरोप लगाते हुए देशभर के केंद्रीय व स्वतंत्र श्रमिक संगठनों ने सोमवार को राष्ट्रव्यापी काला दिवस मनाया। राजधानी भोपाल में भी शाम 5:30 बजे डाक भवन चौराहा, होशंगाबाद रोड पर सैकड़ों मजदूर, कामगार, कर्मचारी और अधिकारी काले झंडों व बैनरों के साथ एकत्र हुए और जमकर नारेबाजी की।

सभा में उठी मजदूरों की आवाज

प्रदर्शन के बाद हुई सभा को संबोधित करते हुए विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों — वी. के. शर्मा, एस. एस. मौर्या, पूषण भट्टाचार्य, विनोद भाई, भगवान स्वरूप कुशवाहा, दीपक रत्न शर्मा, जे. पी. झवर, संजय मिश्रा और जी. सी. जोशी — ने कहा कि केंद्र सरकार लगातार श्रम विरोधी नीतियां लागू कर रही है।
उन्होंने याद दिलाया कि 9 जुलाई 2025 को 25 करोड़ से अधिक मजदूरों-कामगारों ने राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल में भाग लिया था। इसके बाद 20 जुलाई को केंद्रीय श्रमिक संगठनों की राष्ट्रीय बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि 22 सितंबर को राष्ट्रव्यापी काला दिवस मनाया जाएगा।

क्यों मनाया गया काला दिवस?

श्रमिक नेताओं ने कहा कि आज का दिन इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि 22 सितंबर को ही केंद्र सरकार ने संसद में विपक्ष की अनुपस्थिति में विवादास्पद श्रम संहिताओं को बिना बहस के पारित कराया था, जिन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अधिसूचित किया गया। यही कारण है कि यह दिन मजदूर वर्ग के बीच “काला दिवस” के रूप में दर्ज है।

मुख्य मांगें और चेतावनी

प्रदर्शनकारी मजदूरों ने एक स्वर में मांग की —

  • मजदूर विरोधी चारों श्रम संहिताओं को तुरंत निरस्त किया जाए।

  • श्रम सुधारों पर चर्चा के लिए भारतीय श्रम सम्मेलन का अबिलंब आयोजन किया जाए।

वक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो आने वाले दिनों में मजदूर संगठनों द्वारा धरना, रैली और राष्ट्रव्यापी हड़तालें की जाएंगी।

प्रदर्शन में व्यापक भागीदारी

सभा और प्रदर्शन में बड़ी संख्या में मजदूर, कर्मचारी और अधिकारी शामिल हुए। इनमें वी के शर्मा, शिव शंकर मौर्या, पूषण भट्टाचार्य, विनोद भाई, दीपक रत्न शर्मा, जे पी झवर, भगवान स्वरूप कुशवाहा, संजय मिश्रा, जीसी जोशी, श्रीकांत परांजपे, देवेंद्र खरे, विशाल धमीजा, राशि सक्सेना, राजीव उपाध्याय, वैभव गुप्ता, सत्येंद्र चौरसिया, महेंद्र गुप्ता, श्रीपाद घोटनकर, डी डी शर्मा, मोहन कल्याणे, सुदेश कल्याणे, पी एन वर्मा, एस पी मालवीय, सतीश चौबे, राज भारती, विनय नेमा, देवीदास, शाहिद खान, राजेश अहिरवार, विशाल माकोडदी, स्वदेश बग्गन, नारायण प्रसाद, फिदा हुसैन, शेर सिंह, एस एस शाक्या, रमजान भाई, रामाधार कुशवाहा, अशोक भाई, विजय शर्मा, हरी लाल, आरती शर्मा, श्याम शाक्य सहित बड़ी संख्या में श्रमिक नेता शामिल थे।

सभा के अंत में सभी संगठनों ने एकमत से श्रम अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष तेज करने का संकल्प लिया।

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