मध्यप्रदेश की वार्षिक ऋण योजना 2025-26 में असंतुलन: गैर-प्राथमिक क्षेत्र पर मेहरबानी, कमजोर वर्गों की अनदेखी

विवेक झा, भोपाल, 8 अक्टूबर।
मध्यप्रदेश के लिए जारी वार्षिक ऋण योजना 2025-26 ने राज्य की वित्तीय प्राथमिकताओं और सामाजिक संतुलन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कुल 4.19 लाख करोड़ रूपये के क्रेडिट आउटले में जहाँ गैर-प्राथमिक क्षेत्र को 1,25,366 करोड़ रूपये  (29.91%) का बड़ा हिस्सा मिला है, वहीं आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए केवल 63,967 करोड़ रूपये  (15.26%) का प्रावधान किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वितरण राज्य की वास्तविक आर्थिक ज़रूरतों और ग्रामीण आबादी की ऋण आवश्यकताओं के विपरीत है।

कृषि और एमएसएमई को मिला महत्त्व, पर जमीनी असर सीमित

योजना में प्राथमिक क्षेत्र को 2,93,744 करोड़ रूपये  (70.09%) का प्रावधान किया गया है, जिसमें कृषि और एमएसएमई दो प्रमुख घटक हैं।
कृषि क्षेत्र के तहत 1,46,034 करोड़ रूपये का लक्ष्य रखा गया है — जिसमें 87,570 करोड़ रूपये क्रॉप लोन और 33,360 करोड़ रूपये एग्रीकल्चर टर्म लोन शामिल हैं।
इसी तरह, एमएसएमई के लिए 1,33,971 करोड़ रूपये निर्धारित किए गए हैं।
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि कागज़ पर ये राशि पर्याप्त लगती है, लेकिन बैंकिंग प्रक्रियाओं, गारंटी शर्तों और ग्रामीण शाखाओं की कमी के चलते छोटे किसानों और सूक्ष्म उद्यमियों तक इसका लाभ सीमित ही पहुँचता है।

“कृषि और एमएसएमई को नाममात्र प्राथमिकता दी गई है, लेकिन ऋण प्रवाह में असमानता और निगरानी की कमी के कारण योजना का उद्देश्य अधूरा रह जाता है।”
— वीके शर्मा, बैंकिंग विश्लेषक, भोपाल


गैर-प्राथमिक क्षेत्र को मिला 30% हिस्सा — नीति पर सवाल

राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर निर्भरता के बावजूद गैर-प्राथमिक क्षेत्र को 1.25 लाख करोड़ रूपये  से अधिक का आवंटन देना नीति-निर्माताओं की प्राथमिकता पर सवाल खड़ा करता है।
इस हिस्से में शहरी व्यवसाय, रियल एस्टेट, कॉर्पोरेट लोन और उपभोक्ता क्रेडिट प्रमुख रूप से शामिल हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी बड़ी धनराशि का झुकाव शहरी क्षेत्रों की ओर होने से ग्रामीण निवेश पर दबाव बढ़ेगा और प्राथमिक क्षेत्र की विकास दर प्रभावित हो सकती है।

कमजोर वर्गों के लिए राहत अपर्याप्त

राज्य में कमजोर वर्गों की आबादी बड़ी है — जिसमें भूमिहीन मजदूर, अनुसूचित जाति-जनजाति, कारीगर और सूक्ष्म व्यापारी शामिल हैं।
फिर भी योजना में वीकर सेक्शन के लिए कुल 63,967 करोड़ रूपये (15.26%) ही रखे गए हैं।
यह अनुपात न केवल अपर्याप्त है, बल्कि सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण से भी निराशाजनक है।
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कमजोर वर्गों की वित्तीय जरूरतों की अनदेखी जारी रही, तो राज्य की गरीबी रेखा से ऊपर उठाने की योजनाएँ सिर्फ आंकड़ों तक सिमट जाएंगी।

“कमजोर वर्गों के लिए निर्धारित हिस्सा जरूरत से आधा भी नहीं है। बैंकिंग प्रणाली में समावेशी सोच की कमी साफ झलकती है।”
डॉ. वी.एस. मिश्रा, अर्थशास्त्री


शिक्षा, आवास और ऊर्जा क्षेत्र में बेहद मामूली प्रावधान

वार्षिक ऋण योजना में शिक्षा क्षेत्र को मात्र 577 करोड़ रूपये  (0.14%), गृह ऋण को 8,196 करोड़ रूपये  (1.96%), नवीकरणीय ऊर्जा को 186 करोड़ रूपये  (0.04%) और सामाजिक अवसंरचना को 142 करोड़ रूपये  (0.03%) आवंटित किए गए हैं। इन क्षेत्रों की उपेक्षा दीर्घकालीन आर्थिक विकास और युवाओं के लिए अवसर सृजन पर प्रतिकूल असर डाल सकती है।

अर्थशास्त्रियों की राय: समावेशी विकास पर पड़ेगा असर

राज्य की वित्तीय नीति पर टिप्पणी करते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि योजना में संतुलन की कमी और प्राथमिकता क्षेत्रों की उपेक्षा से “समावेशी विकास” का लक्ष्य प्रभावित हो सकता है।
यदि गैर-प्राथमिक और कॉर्पोरेट क्षेत्र को इस तरह तरजीह दी जाती रही तो ग्रामीण रोजगार, कृषि उत्पादकता और छोटे उद्योगों की प्रतिस्पर्धा क्षमता घटेगी।

“मध्यप्रदेश को विकास की दौड़ में आगे बढ़ने के लिए वित्तीय वितरण को सामाजिक जरूरतों के अनुरूप बनाना होगा। अन्यथा यह योजना आंकड़ों में तो सफल दिखेगी, पर जमीनी स्तर पर असफल साबित होगी।”
प्रो. एस.आर. जैन, अर्थशास्त्री


डेटा बॉक्स

श्रेणी राशि ( करोड़ रूपये) प्रतिशत हिस्सेदारी
कृषि क्षेत्र 1,46,034 34.84%
एमएसएमई 1,33,971 31.97%
गैर-प्राथमिक क्षेत्र 1,25,366 29.91%
कमजोर वर्ग 63,967 15.26%
शिक्षा 577 0.14%
आवास 8,196 1.96%
नवीकरणीय ऊर्जा 186 0.04%
कुल क्रेडिट आउटले 4,19,110 100%

मध्यप्रदेश की वार्षिक ऋण योजना 2025-26 राज्य की आर्थिक प्राथमिकताओं में असंतुलन और नीति के असमंजस को उजागर करती है। जहाँ गैर-प्राथमिक क्षेत्रों पर उदारता दिखाई गई है, वहीं कमजोर और ग्रामीण वर्गों को अपेक्षित राहत नहीं मिल पाई है। यदि वित्तीय नीति में यह झुकाव जारी रहा तो यह योजना विकास के बजाय वित्तीय असमानता को और गहरा कर सकती है।

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