सिंघार ने रोकी तबादला बोर्ड के निर्णय की फाइल

भोपाल | वन मंत्री उमंग सिंघार और अपर मुख्य सचिव वन एपी श्रीवास्तव के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। ताजा मामला तीन सीनियर आईएफएस अधिकारियों की पोस्टिंग को लेकर हुई तबादला बोर्ड की बैठक से जुड़ा है। अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की पोस्टिंग के लिए बनाए गए तबादला बोर्ड की 22 अक्टूबर को हुई मीटिंग में तय हुआ कि 1984 बैच के राजेश श्रीवास्तव को मप्र का चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन व इसी बैच के एसपी रयाल को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) रिसर्च एंड डेवलपमेंट और 1986 बैच के एबी गुप्ता को पीसीसीएफ उत्पादन पदस्थ किया जाए।

चूंकि बोर्ड की अध्यक्षता मुख्य सचिव करते हैं, लिहाजा तुरंत फाइल को अनुमोदन के लिए वन मंत्री उमंग सिंघार के पास भेजा गया, लेकिन पोस्टिंग की यह फाइल बिना अनुमोदन के अभी तक उन्हीं के पास है। बताया जा रहा है कि एपी श्रीवास्तव से चल रही खींचतान के कारण मंत्री ने इस पर मंजूरी नहीं दी, क्योंकि बोर्ड के प्रस्ताव अपर मुख्य सचिव श्रीवास्तव ने ही बनाया है।

मंत्री के इस रवैये को लेकर अफसरों में खासी नाराजगी है। मंत्रालय सूत्रों का यह भी कहना है कि पिछले डेढ़ माह के भी पहले से सिंघार और एसीएस श्रीवास्तव के बीच बातचीत तक बंद है। इधर, मंत्री सिंघार के तबादला बोर्ड की अनुशंसा रोके जाने के कारण चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन का पद दो माह के भी अधिक समय से रिक्त है। सूत्रों का कहना है कि राजेश श्रीवास्तव से वन मंत्री थोड़े नाखुश हैं। लघु वनोपज संघ में एमडी रहे राजेश श्रीवास्तव को पूर्व में उन्हीं की अनुशंसा पर हटाया गया था। विभाग के अपर मुख्य सचिव श्रीवास्तव का कहना है कि यह फाइल उनके दफ्तर में नहीं है। मंत्री से इस बारे में बात करने की कोशिश की गई, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।

तीन सप्ताह बाद दी अस्थाई पदों को मंजूरी
1986 बैच के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (एपीसीसीएफ विजिलेंस) अभय पाटिल और इसी बैच के एपीसीसीएफ समन्वय अनिल श्रीवास्तव के पीसीसीएफ पद पर प्रमोशन के लिए अस्थाई पदों की मंजूरी वन मंत्री ने तीन हफ्ते बाद दी। पूर्व में केंद्र सरकार ने पीसीसीएफ के दो अस्थाई पद दो साल के लिए मंजूर किए थे। इनकी मियाद अक्टूबर में पूरी हो गई। पूर्व में विभाग की ओर से प्रस्ताव दिया गया कि इन अस्थाई पदों को आगे भी तब तक निरंतर रखा जाए, जब तक स्थाई पद रिक्त नहीं हो जाते। स्थाई पद रिक्त होने की सूरत में अस्थाई पदों को उसमें समायोजित किया जा सकता है। एेसा हो जाए तो पाटिल और अनिल श्रीवास्तव प्रमोट हा़े जाएंगे। पूर्व में इस पर सहमति नहीं बनी, लेकिन बाद में अपर मुख्य सचिव एपी श्रीवास्तव ने दोबारा प्रस्ताव भेजा। तीन हफ्ते बाद मंत्री ने इस मामले में मंजूरी दे दी। अब जल्द ही आगे की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

सिंघार के साथ जुड़े विवाद और मुद्दे
1. वन मंत्री ने अपर मुख्य सचिव दफ्तर के अफसरों के कामों का बंटवारा खुद कर दिया। एपी श्रीवास्तव ने इससे असहमति जताते हुए टीप के साथ फाइल मुख्य सचिव को भेज दी। यह मामला अभी मुख्यमंत्री के पास विचाराधीन है। तब तक कामकाज प्रभावित हो रहा है।
2. आईएफएस अधिकारी जेएस चौहान की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति को वन मंत्री सिंघार ने मंजूरी नहीं दी। एपी श्रीवास्तव ने नए सिरे से फाइल मुख्य सचिव को भेजी और लिखा कि चौहान को प्रतिनियुक्ति पर भेजा जाना चाहिए। मुख्यमंत्री तक फाइल गई तो उन्होंने मंजूरी दे दी।
3. दो शीर्ष आईएफएस अफसरों की विभागीय जांच के लिए वन मंत्री लिखा, जिसकी जानकारी विभाग ने उच्च स्तर पर दे दी। यह मामला भी बाद में रोक दिया गया।
4. वन मंत्री ने 10 नई सेंक्चुरी बनाने की पहल की। छिंदवाड़ा विधायकों के साथ अन्य ने विरोध कर दिया। यह मामला फिलहाल खटाई में है, क्योंकि राज्य सरकार के पास बजट ही नहीं।
5. वन मंत्री ने पौधरोपण की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपने की नोटशीट लिखी, लेकिन यह मसला अभी भी प्रक्रिया में है।

मंत्री या तो निर्णय बदलंे या मंजूर करें
सामान्य प्रशासन विभाग के अफसरों का कहना है तबादला बोर्ड स्वतंत्र बाॅडी होती है। इसका निर्णय सीएस की मौजूदगी के साथ संबंधित विभाग के अपर मुख्य सचिव के साथ अन्य अधिकारी मिलकर लेते हैं। बोर्ड के निर्णय को अनुमोदन के लिए मंत्री के पास भेजा जाता है। अंतिम निर्णय सीएम लेते हैं। मंत्री को अधिकार है कि वह बोर्ड का निर्णय माने अथवा उसे बदल दे। सीनियर आईएफएस के मामले में 22 अक्टूबर से फाइल वनमंत्री के पास पड़ी है।

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