
अकेली घर संभाल रही ये महिलाएं अपने बच्चों और वृद्धजनों की ठीक से देखभाल कर सकेंगी, अपनी नौकरी और व्यवसाय बढ़ाने में भी सुगमता होगी
मुख़्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज इंदौर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उन दिव्यांग बहनों और निराश्रित महिलाओं को स्कूटी की चाबी सौंपी जो वर्षों से ऑटो या सिटी बस में सफर कर रही थी. इस सफर में उन्हें तरह-तरह की समस्याओं से दो चार होना पड़ता था. दिव्यांग और निराश्रित कामकाजी बहनाएं अपनी गाढ़ी कमाई का आधा हिस्सा परिवहन में खर्चा कर रहीं थी. कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी. के प्रयासों से इंडियन रेड क्रॉस इंदौर के सहयोग से 25 जरूरतमंद दिव्यांग व निराश्रित कामकाजी बहनों व महिलाओं को स्कूटी प्रदान की गई है.
जनसुनवाई में बहनों ने समय-समय पर मांगा था आर्थिक सहयोग
सामाजिक न्याय विभाग के शैलेंद्र सोलंकी ने जानकारी देते हुए बताया कि ऐसी जरूरतमंद महिलाओं ने जनसुनवाई के दौरान आर्थिक सहायता के लिए आवेदन किए थे. कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी. ने काम और व्यवसाय में प्रगति कर सकें इस उद्देश्य के साथ 23 दिव्यांग और 2 निराश्रित कामकाजी महिलाओं को स्कूटी की स्वीकृति प्रदान की.
फिरदौस बम्बई बाजार से लाती है सामग्री
मुख्यमंत्री चौहान ने इंदौर में सिरपुर निवासी फिरदौस बी को स्कूटी की चाबी सौंपी. फिरदौस अपने एक पैर से कमजोर है और वो कमजोरी के बाद भी सिलाई के काम में जुटी है. इस काम से वो हर माह 7 से 8 हजार रुपए की कमाई कर लेती है. लेकिन हर दिन उन्हें 15 से 20 रुपए सिटी बस के सफर में देना पड़ते हैं. सिलाई के लिए वो हर तीसरे दिन बम्बई बाजार से सामग्री खरीदने पहुचती हैं. साथ ही रोज अपने बच्चों को स्कूल लाने और ले जाने का काम करती है.
कोरोना में पति को खोया अब टिफिन सेंटर से दो बच्चों का कर रही पोषण
मालवीया नगर इंदौर निवासी अर्चना सोलंकी के पति संजय सोलंकी की मृत्यु कोरोना काल में हो जाने के बाद अपने दो बच्चों का पालन पोषण टिफिन सेंटर चलाकर कर रही हैं. स्कूटी से अब अर्चना को सामग्री लाने में आसानी होगी. इसी तरह राजेन्द्र नगर की शीला वर्मा महू नाके पर मेडिकल शॉप पर कंप्यूटर ऑपरेटर का काम कर रही है. सिटी बस के सफर से उन्हें मुक्ति मिलेगी और समय पर काम पर पहुंच सकेगी. स्कूटी से उन्हें दिव्यांगता से ज्यादा परेशानी भी नहीं होगी. मूसाखेड़ी की मुस्कान वर्मा अपने पति की 15 वर्ष पहले एक दुर्घटना में हुई मृत्यु के बाद घर-घर खाना बनाकर परिवार चला रही है. अभी वो चार घरों में खाना बनाने का काम कर रही है. स्कूटी मिलने के बाद वो 6 घरों में खाना बनाने को तैयार हुई है. न्यू रामनगर की दिव्यांग सरिता साहू और अहिरखेड़ी की लाछा राठौर की स्थिति भी कुछ ऐसी है उन्हें भी स्कूटी मिली है. इससे उनकी आधी परेशानी से चिंता मुक्त हो गई.