
भोपाल। यूनाइटेड फोरम ऑफ़ बैंक यूनियंस, जिसमें नौ बैंक कर्मचारी-अधिकारी संगठन- ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाईज एसोसिएशन (AIBEA ), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन (AIBOC), नेशनल कनफेडरेशन ऑफ बैंक एम्प्लाईज (NCBE), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (AIBOA), बैंक एम्प्लाईज फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (BEFI), इंडियन नेशनल बैंक एम्प्लाईज फेडरेशन (INBEF) , इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस (INBOC), नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (NOBW), नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स (NOBO ) शामिल है, जो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, निजी क्षेत्र के बैंकों, विदेशी बैंकों, सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के 8 लाख से अधिक बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करता है, के आह्वान पर देश भर के 8 लाख से अधिक बैंक कर्मचारियों अधिकारियों द्वारा निम्न मांगो और मुद्दों को लेकर 24 और 25 मार्च 2025 को दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल की जाएगी। यह जानकारी यूनाइटेड फोरम ऑफ़ बैंक यूनियंस मध्य प्रदेश के कोऑर्डिनेटर वीके शर्मा ने दी। हड़ताली बैंक कर्मियों की मांग है कि –
- सभी संवर्गों में पर्याप्त भर्ती करो, सभी अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करो,
- बैंकिंग उद्योग में प्रति सप्ताह 5 दिन काम का कार्यान्वयन करो,
- परफॉर्मेंस रिव्यू और पीएलआई पर हाल ही में डीएफएस/सरकार के निर्देशों को तत्काल वापस लिया जाए जो नौकरी की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं, कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच विभाजन और भेदभाव पैदा करते हैं, 8वें संयुक्त नोट का उल्लंघन करते हैं और पीएसबी की स्वायत्तता को कमजोर करते हैं,
- अनियंत्रित बैंकिंग जनता द्वारा हमले/दुर्व्यवहार के खिलाफ बैंक अधिकारियों/कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान करो,
- सरकारी क्षेत्र के बैंकों में कामगार/अधिकारी निदेशकों के पद भरो,
- आईबीए के पास लंबित अवशिष्ट मुद्दों का समाधान करो,
- आयकर से छूट के साथ सरकारी कर्मचारियों की योजना की तर्ज पर 25 लाख रुपये की सीमा बढ़ाने के लिए ग्रेच्युटी अधिनियम में संशोधन करो,
- रियायती शर्तों पर कर्मचारियों और अधिकारियों को दिए गए स्टाफ कल्याण लाभों पर आयकर न वसूलें। प्रबंधन इसे वहन करें,
- सरकार द्वारा आईडीबीआई बैंक में न्यूनतम 51% इक्विटी पूंजी बनाए रखें,
- कर्मचारियों और अधिकारियों की सेवा शर्तों को प्रभावित करने वाले और द्विपक्षीयता को कमजोर करने वाले नीतिगत मामलों पर डीएफएस द्वारा पीएसबी के सूक्ष्म प्रबंधन को रोकें,
- बैंकों में स्थायी नौकरियों की आउटसोर्सिंग बंद करो,
- बैंकिंग उद्योग में अनुचित श्रम प्रथाओं को रोको, आदि।
बैंकों में पर्याप्त भर्ती की आवश्यकता
बैंक पब्लिक यूटिलिटी ऑर्गेनाइजेशन हैं। जो हमारे देश के बड़ी संख्या में लोगों को दैनिक आधार पर सेवा प्रदान करते हैं। इसलिए बैंकों को ग्राहकों और आम बैंकिंग जनता की सेवा के लिए पर्याप्त कर्मचारी उपलब्ध कराए जाने चाहिए। लेकिन पिछले एक दशक से भी अधिक समय से हम पाते हैं कि बैंक अपने लिए पर्याप्त कर्मचारियों की भर्ती नहीं कर रहे हैं। इसलिए शाखाओं में कर्मचारियों की भारी कमी है । इस कारण कर्मचारी संतोषजनक ग्राहक सेवा प्रदान करने में असमर्थ हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक सरकार की सभी योजनाओं को लागू कर रहे हैं लेकिन इन बैंकों को ग्राहकों की सेवा के लिए पर्याप्त कर्मचारी उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं। निम्नलिखित तथ्य बताएंगे कि कैसे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक पर्याप्त कर्मचारियों से वंचित हैं। बैंकों में सन 2013 में 398801 क्लर्क थे। सन 2024 इनकी संख्या घट कर 246965 रह गई।अर्थात इनकी संख्या में 151836 की कटौती की गई। इसी प्रकार सन 2013 में चपरासियों की संख्या 1,53,628 थी। सन 2024 में इनकी संख्या घट कर 94,348 रह गई । अर्थात इनकी संख्या में 59,280 की कटौती की गई।
सन 2013 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में बैंक कर्मचारियों की संख्या 886490 थी। सन 2024 में इनकी संख्या घटकर 746679 रह गई। अर्थात 139811 की कटौती की गई। वहीं दूसरी ओर निजी क्षेत्र के बैंकों में सन 2013 में बैंक कर्मचारियों की कुल संख्या 2,29,124 थी। सन 2024 में बढ़कर यह 8,46,530 हो गई। अर्थात निजी क्षेत्र के बैंकों में 6,17,406 के स्टाफ की बढ़ोतरी की गई।
इसलिए हम मांग करते हैं कि सभी शाखाओं में पर्याप्त कर्मचारी उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त भर्तियां की जानी चाहिए ताकि संतोषजनक ग्राहक सेवाएं प्रदान की जा सकें और मौजूदा कर्मचारियों पर अनावश्यक कार्यभार कम किया जा सके।
बैंकों में प्रति सप्ताह 5 दिन काम शुरू करने में देरी
आरबीआई, बीमा कंपनियों आदि सहित पूरे वित्तीय क्षेत्र में, वे प्रति सप्ताह 5 दिन काम का पालन कर रहे हैं। सरकार में भी यह 5 दिन काम है। यहां तक कि आईटी क्षेत्र सहित कई निजी क्षेत्रों में भी, यह सप्ताह में 5 दिन काम है। इसलिए, हमने बैंकों में भी प्रति सप्ताह 5 दिन काम करने की मांग की। भारतीय बैंक संघ ने इस पर सहमति जताई और एक साल पहले सरकार को इसकी सिफारिश की थी, लेकिन अभी भी यह मुद्दा सरकार के पास लंबित है। इसलिए, हम बिना किसी देरी के बैंक में 5 दिन काम करने की व्यवस्था लागू करने की मांग कर रहे हैं।
अन्य मांगें
इसी प्रकार, हमारी अन्य महत्वपूर्ण और मांगें भी हैं । जैसे कि – कर्मचारियों की कार्यकुशलता की मासिक समीक्षा पर सरकार के हाल के एकतरफा निर्देशों को तत्काल वापस लेना, यूनियनों से किसी भी चर्चा के बिना प्रोत्साहन योजना में संशोधन करना, अनियंत्रित बैंकिंग जनता द्वारा हमले/दुर्व्यवहार के खिलाफ बैंक अधिकारियों/कर्मचारियों की सुरक्षा, पिछले 10 वर्षों से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में खाली पड़े कर्मचारी/अधिकारी निदेशकों के पद को भरना, आईबीए के साथ लंबित शेष मुद्दों का समाधान, आयकर से छूट के साथ सरकारी कर्मचारियों के लिए योजना की तर्ज पर ग्रेच्युटी अधिनियम में संशोधन कर सीमा को बढ़ाकर 25 लाख रुपये करना, कर्मचारियों और अधिकारियों को रियायती शर्तों पर दिए जाने वाले कर्मचारी कल्याण लाभों पर आयकर नहीं वसूलना, आईडीबीआई बैंक में सरकार द्वारा इक्विटी पूंजी का न्यूनतम 51% बनाए रखना, नीतिगत मामलों पर डीएफएस द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के सूक्ष्म प्रबंधन को रोकना जिससे कर्मचारियों और अधिकारियों की सेवा शर्तें प्रभावित होती हैं और द्विपक्षीयता कमजोर होती है। बैंकों में स्थायी नौकरियों को अनुबंध के आधार पर आउटसोर्स को बंद करना, बैंकिंग उद्योग में अनुचित श्रम प्रथाओं को रोकना आदि।
हमारी उपरोक्त मांगों पर जोर देने और उनके सौहार्दपूर्ण समाधान की मांग करने के लिए, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने 24 और 25 मार्च, 2025 को 2 दिनों के लिए अखिल भारतीय बैंक हड़ताल का आह्वान किया है। चूंकि प्रबंधन या सरकार इन मुद्दों को सुलझाने के लिए आगे नहीं आ रही है, इसलिए आंदोलन और हड़ताल हमें मजबूरन करनी पड़ रही है। हम अपनी हड़ताल के लिए लोगों का समर्थन चाहते हैं और उनसे अनुरोध करते हैं कि वे उन्हें होने वाली किसी भी असुविधा के लिए हमारे साथ सहन करें।
हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान
विभिन्न बैंक कर्मचारी अधिकारी ट्रेड यूनियंस के पदाधिकारी गणों वी के शर्मा, संजीव मिश्रा, दीपक रत्न शर्मा, दिनेश झा, प्रवीण मेघानी, वीएस रावत, संजय कुदेशिया, संतोष जैन, वीएस नेगी, सुनील सिंह, सुबीन सिन्हा, निर्भय सिंह ठाकुर, पंकज ठाकुर, जेपी झवर, मोहम्मद नजीर कुरैशी, संदीप चौबे, केके त्रिपाठी, अनिल कुमार श्रीवास्तव, अंबरीश नंदा, गुणशेखरन, प्रभात खरे, कुलदीप स्वर्णकार, अशोक पंचोली, जेपी दुबे, दीपक नायर, देवेंद्र खरे, विशाल धमेजा, मनीष भार्गव, राजीव उपाध्याय, महेंद्र गुप्ता, कैलाश माखीजानी, अमित गुप्ता, अमिताभ चटर्जी, आर के हीरा, अविनाश धमेजा, भगवान स्वरूप कुशवाहा, आशुतोष तिवारी, गुलशन तलरेजा, सत्येंद्र चौरसिया, किशन खेराजानी,योगेश मनूजा,अमोल अचवाल, जितेंद्र बग्गा, रमेश सिंह, मनोज चतुर्वेदी, के वासुदेव सिंह, मनीष यादव, विजय चोपड़े, टीएन विन्डैया, विभु जोशी, पुष्कर पांडे, मनीष चतुर्वेदी, हरिशंकर पांडे, शोभित वाडेल, अमित शर्मा, सिद्धार्थ सिंह, दिव्या खरे, राशि सक्सेना, संतोष मालवीय, वैभव गुप्ता, राम चौरसिया, अनुपम त्रिवेदी, रामकुमार साहू, सुमित मिश्रा, नितिन बिकानी, अंशुल प्रसाद तिवारी, विजय पाल, कृष्णा पांडे, कमलेश वरमैया, रितेश शर्मा आदि ने हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान किया है।