
भोपाल
राजधानी के AIIMS में एक 70 वर्षीय मरीज का सफल ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन (TAVI) किया गया। मरीज को ओपन हार्ट सर्जरी के लिए उपयुक्त नहीं माना जा रहा था। यह मध्य प्रदेश के किसी सरकारी अस्पताल में पहली बार हुआ है। इस प्रक्रिया में मरीज के खराब हो चुके एओर्टिक वाल्व को बदला गया। प्राइवेट अस्पतालों के मुकाबले यहां इलाज का खर्च लगभग 40% कम था। मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, जो एओर्टिक वाल्व स्टेनोसिस के कारण थी।
जोखिम भरा था ऑपरेशन
मरीज का ऑपरेशन बुधवार को किया गया और उम्मीद है कि उन्हें गुरुवार को छुट्टी मिल जाएगी। AIIMS भोपाल के हृदय रोग विभाग के एचओडी (प्रभारी) डॉ. भूषण शाह ने बताया कि मरीज को क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव लंग डिजीज (COPD) भी थी, इसलिए ओपन-हार्ट सर्जरी करना जोखिम भरा था।
प्राइवेट अस्पतालों में लाखों का होता है खर्चा
AIIMS भोपाल के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने कहा कि यह संस्थान द्वारा किफायती कीमतों पर बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की एक और पहल है। उन्होंने बताया कि प्राइवेट अस्पतालों में इस प्रक्रिया का खर्च लगभग 19 लाख से 25 लाख रुपये है। AIIMS भोपाल ने CGHS दरों पर TAVI प्राप्त करके लागत कम की। सरकारी अस्पताल होने के कारण अस्पताल में भर्ती होने का खर्च भी कम है।
पैर की धमनी से हार्ट तक पहुंचता है वाल्व
डॉ. योगेश निवरिया, जो AIIMS भोपाल में कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी विभाग के प्रमुख हैं, ने बताया कि इस तकनीक में पैर की धमनी के माध्यम से एक विशेष डिलीवरी सिस्टम का उपयोग करके वाल्व हृदय तक पहुंचता है। इसे बिना चीरे, सामान्य एनेस्थीसिया या वेंटिलेटर के लगाया जाता है। सुरक्षा के लिए एनेस्थीसिया और अन्य विभागों के चिकित्सा कर्मी भी प्रक्रिया के दौरान मौजूद थे।
क्या है TAVI
TAVI एक कम चीर-फाड़ वाली प्रक्रिया है। इसका उपयोग ओपन-हार्ट सर्जरी की आवश्यकता के बिना खराब हो चुके एओर्टिक वाल्व को बदलने के लिए किया जाता है। यह बुजुर्ग मरीजों या कई स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, जो पारंपरिक सर्जरी के लिए उपयुक्त नहीं हो सकते हैं। मरीज को पिछले 6 से 8 महीनों से सांस लेने में बहुत तकलीफ हो रही थी। इसका कारण एओर्टिक वाल्व का सिकुड़ना था, जिससे खून का प्रवाह ठीक से नहीं हो पा रहा था। डॉक्टरों ने बताया कि मरीज की हालत और फेफड़ों की बीमारी को देखते हुए ओपन हार्ट सर्जरी करना खतरनाक हो सकता था।