इंदौर&मनमाड़ नई रेल लाइन परियोजना में जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई

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 इंदौर

 इंदौर-मनमाड़ नई रेल लाइन परियोजना में अब तक जमीनी स्तर पर काम शुरू नहीं हुआ है। परियोजना के तहत मप्र के तीन जिलों के 77 गांव से होकर रेल लाइन गुजरेगी। नवंबर 2024 में रेल मंत्रालय ने इन गांवों की जमीन अधिग्रहण के लिए गजट नोटिफकेशन भी जारी कर दिया था।

इसके बाद अब मंत्रालय ने महू तहसील के 18 गांव की सूची जारी की। बावजूद दो माह बाद भी जमीन अधिग्रहण का काम शुरू नहीं हो पाया है।अफसरों के अनुसार रेल मंत्रालय द्वारा 14 जनवरी को जारी नोटिफकेशन के अनुसार महू तहसील के खेड़ी, चैनपुरा, कमदपुर, खुदालपुरा, कुराड़ाखेड़ी, अहिल्यापुर, नांदेड़, जामली, केलोद, बेरछा, गवली पलासिया, आशापुरा, मलेंडी, कोदरिया, बोरखेड़ी, चौरड़िया, न्यू गुराडिया, और महू केंटोमेंट एरिया की चिह्नित जमीन का रेल प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहण होना है। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। शीघ्र ही प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

सांसद शंकर लालवानी ने जानकारी दी कि इस परियोजना के तहत 13 जिलों की भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। महू के गांवों के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के लिए अधिकारी की नियुक्ति का नोटिफिकेशन जारी किया गया है, जिससे यह प्रक्रिया जल्दी पूरी हो सकेगी।

यह परियोजना 309 किमी लंबी होगी, जो इंदौर से मुंबई को जोड़ने के लिए बनाई जा रही है। इसे लेकर 18036 करोड़ रुपए की मंजूरी सितंबर में मिल चुकी थी। इस नई रेल लाइन से न केवल यात्री सुविधाओं में सुधार होगा, बल्कि औद्योगिक कनेक्टिविटी भी मजबूत होगी।

इस परियोजना का 170.56 किमी हिस्सा मध्य प्रदेश में आएगा। इसमें 905 हेक्टेयर भूमि निजी है। मध्य प्रदेश में इस रेल लाइन के तहत बनने वाले 18 स्टेशन में महू, केलोद, कमदपुर, झाड़ी बरोदा, और अन्य स्टेशन शामिल हैं।

इंदौर के 22 और धुलिया जिले के 37 गांव के अधिग्रहण के आदेश

इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन प्रोजेक्ट के लिए इंदौर और धुलिया जिले के कुल 59 गांवों का भूमि अधिग्रहण किया जाएगा। इस परियोजना के अंतर्गत इंदौर जिले के 22 गांव और धुलिया जिले के 37 गांव शामिल हैं।

इंदौर-मनमाड़ रेल्वे संघर्ष समिति के मनोज मराठे ने बताया कि रेल मंत्रालय मध्य रेलवे द्वारा इंदौर जिले के लगभग 22 गांवों की भूमि अधिग्रहण का आदेश जारी किया गया है। इसके अलावा, धुलिया तहसील के 10 गांवों और शिरपुर तहसील के 18 गांवों की जमीन का अधिग्रहण करने के आदेश भी जारी हुए हैं।

मराठे ने कहा कि इस विशेष परियोजना के तहत काम तेजी से चल रहा है, जिससे इसका कार्य शीघ्रता से पूरा हो सके।

प्रोजेक्ट के लिए 18 हजार 36 करोड़ रुपए की स्वीकृति

इंदौर-मनमाड़ रेल प्रोजेक्ट की योजनाओं पर वर्षों से काम चल रहा है। 2022 में इस प्रोजेक्ट के लिए मंजूरी नहीं मिल सकी, लेकिन 2023 में 2 करोड़ रुपए की टोकन राशि जारी की गई। मध्य प्रदेश के हिस्से में डीपीआर-सर्वे का काम किया गया। इस काम को जारी रखने के लिए 2024 के बजट में 1 हजार रुपए की टोकन राशि भी दी गई थी।

अब 18,036 करोड़ रुपए की राशि इंदौर-मनमाड़ रेल प्रोजेक्ट के लिए स्वीकृत की गई है, जो आगामी बजट में उपलब्ध होगी।i

महू तहसील के इन गांवों की जमीन अधिग्रहण होना है

खेड़ी (इस्तमुरार), चेनपुरा, कामदपुर, खुदालपुरा, कुराड़ाखेड़ी, अहिल्यापुर, नांदेड़, जामली, केलोद, बेरछा, खेड़ी, गवली पलास्या, आशापुर, मलेंडी, कोदरिया, बोरखेड़ी, चोरड़िया, न्यू गुराड़िया और महू कैंट (डॉ. आंबेडकर नगर)।

309 किलोमीटर लंबी लाइन से 30 लाख की आबादी को होगा फायदा

इंदौर-मनमाड़ रेल प्रोजेक्ट के तहत कुल 309 किलोमीटर लंबी रेल लाइन इंदौर से महाराष्ट्र के मनमाड तक बिछाई जाएगी। इस परियोजना से लगभग एक हजार गांवों और 30 लाख की आबादी को सीधा लाभ मिलेगा। रेलवे ने भू-स्वामियों को उचित मुआवजा देने का आश्वासन दिया है।

प्रोजेक्ट के पूरा होने पर 16 जोड़ी यात्री ट्रेनों का संचालन होगा, और शुरुआती वर्षों में 50 लाख यात्रियों के सफर करने का अनुमान है। इस परियोजना के तहत मध्य प्रदेश में 170 किलोमीटर लंबी लाइन बिछाई जाएगी, जिसमें 18 स्टेशन शामिल होंगे।

इंदौर से मुंबई की दूरी भी 830 किमी से घटकर 568 किमी रह जाएगी

इंदौर-मनमाड रेल प्रोजेक्ट के तहत धार, खरगोन और बड़वानी जिले के आदिवासी अंचल से पहली बार रेल लाइन गुजरेगी, जिससे इन क्षेत्रों को रेल सेवाओं से सीधा संपर्क मिलेगा। इस परियोजना से लगभग एक हजार गांव और 30 लाख आबादी को फायदा होगा। इंदौर से मुंबई की दूरी भी 830 किलोमीटर से घटकर 568 किलोमीटर रह जाएगी।

सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि यह रेलवे लाइन प्रोजेक्ट बहुत प्रतीक्षित है और इसके लिए अब जमीन अधिग्रहण का काम तेजी से शुरू किया जाएगा। रेल मंत्रालय ने इसके लिए एक अधिकारी की नियुक्ति की है, और आगामी बजट में इस प्रोजेक्ट के लिए बड़ी राशि का प्रावधान किया जाएगा। प्रोजेक्ट पूरा होने पर 16 जोड़ी पैसेंजर ट्रेनों का संचालन होगा, और शुरुआती वर्षों में 50 लाख यात्री सफर करेंगे। इस प्रोजेक्ट से रेलवे को हर साल 900 करोड़ से अधिक का राजस्व मिलेगा।

इंदौर-मनमाड रेल लाइन योजना की शुरुआत 1918 में होलकर काल में हुई थी। इस परियोजना को गति शक्ति योजना में शामिल किया गया है, जिसके तहत इसकी निगरानी सीधे पीएमओ से की जाएगी। रेल मामलों के विशेषज्ञ नागेश नामजोशी के मुताबिक, होलकर राज्य के आर्किटेक्ट पैट्रिक गिडीस ने सबसे पहले इस रेल लाइन का खाका तैयार किया था, लेकिन तब तक काम शुरू नहीं हो सका। 2002 में तत्कालीन रेल मंत्री नीतिश कुमार ने इस परियोजना के सर्वे के लिए राशि मंजूर की और 2004 में सर्वे पूरा किया गया।

हालांकि, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सरकार के बीच समन्वय न होने के कारण परियोजना पर काम शुरू नहीं हो पाया। इसके बाद, इस परियोजना के लिए महाराष्ट्र में आंदोलन शुरू हुआ, जो इंदौर तक पहुंचा। 2016 में सेंट्रल रेलवे ने सर्वे किया, और 2019 में जहाजरानी मंत्रालय और रेलवे के बीच इस परियोजना के लिए समझौता हुआ, लेकिन यह बाद में निरस्त हो गया। अब रेलवे खुद इस पूरे प्रोजेक्ट को तैयार कर रही है।

मप्र में पहाड़ चीरकर तैयार होगी 17.66 किमी लंबी सुरंगें

इंदौर-मनमाड रेल लाइन परियोजना के तहत रेलवे को मध्यप्रदेश में पहाड़ों को चीरकर 17.66 किलोमीटर लंबी सात सुरंगें बनानी होंगी, जिनमें सबसे लंबी सुरंग 6.02 किमी लंबी होगी। महाराष्ट्र में दो सुरंगें बनेंगी, जिनकी कुल लंबाई 3.50 किमी होगी, और इनकी सबसे लंबी सुरंग 2.16 किमी होगी।

इस परियोजना में मध्यप्रदेश में चंबल, नर्मदा, देव और गोई नदी पर महत्वपूर्ण ब्रिज बनाना होंगे, जबकि महाराष्ट्र में गिरना, तापी और अरुणावती नदी पर बड़े ब्रिज बनाए जाएंगे। कुल मिलाकर, इस प्रोजेक्ट के तहत मध्यप्रदेश में 50 और महाराष्ट्र में 44 बड़े पुल बनेंगे। वहीं, मध्यप्रदेश में 83 और महाराष्ट्र में 47 छोटे पुलों का निर्माण होगा। इसके अलावा, मप्र में 35 और महाराष्ट्र में 12 रेल ओवरब्रिज, साथ ही मध्यप्रदेश में 62 और महाराष्ट्र में 79 रेल अंडरब्रिज का निर्माण किया जाएगा। इस परियोजना के लिए मध्यप्रदेश में 4 वाय डक्ट का निर्माण भी किया जाएगा।

इधर… इकोनामिक कॉरिडोर पर किसानों को मिलेंगे 60 प्रतिशत विकसित भूखंड

इंदौर-पीथमपुर इकोनामिक कॉरिडोर क्षेत्र के किसानों ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का इंदौर एयरपोर्ट पर आभार जताया। सरकार ने किसानों की मांग को स्वीकार करते हुए इकोनामिक कॉरिडोर परियोजना में कुल विकसित भूमि का 60 प्रतिशत हिस्सा किसानों को आवंटित करने का निर्णय लिया है।

इससे हजारों किसानों को फायदा मिलेगा और किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने इंदौर एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात कर आभार प्रकट किया।

रंगपंचमी के दिन दीपावली कर दी

किसानों ने कहा कि मुख्यमंत्री आपने रंगपंचमी के दिन हमारी दीपावली कर दी। इस निर्णय से क्षेत्र के समग्र विकास को गति मिलेगी और अधोसंरचना का विस्तार होगा। वहीं स्थानीय लोगों के लिए नए रोजगार के अवसर सृजित होंगे। गौरतलब है कि इकोनामिक कॉरिडोर योजना का किसान लंबे समय से विरोध कर रहे थे। किसानों के विरोध के कारण जमीन अधिग्रहण और अन्य प्रक्रिया लंबित थी।

पहले किसानों को कुल भूमि के बदले 50 प्रतिशत विकसित भूखंड दिए जाने थे। अब सरकार 60 प्रतिशत विकसित भूखंड किसानों को देगी। इस दौरान एयरपोर्ट पर जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट सहित अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।

1290.74 हेक्टेयर भूमि का होगा विकास

इंदौर-पीथमपुर इकोनामिक कॉरिडोर योजना में कुल 1290.54 हेक्टेयर भूमि का विकास किया जाएगा। इसमें किसानों को मुआवजे के बदले कुल विकसित भूमि का 60 प्रतिशत हिस्सा प्रदान किया जाएगा।

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