
भिंड
मध्य प्रदेश से गुजरने वाले बड़े ग्वालियर-इटावा नेशनल हाइवे पर लगातार सड़क दुर्घटनाओं बढ़ रही। इसी को देखते हुए भिंड के पास प्रशासन ने लगभग 45 किलोमीटर लंबे पांच बायपास बनाने का निर्णय लिया है। इसे अंतिम रूप देने के लिए भिंड कलेक्ट्रेट में जनप्रतिनिधियों के साथ अनुमोदन बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह, हेमंत कटारे, केशव देशाई और कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव की उपस्थिति रही। जिला पंचायत अध्यक्ष कामना सिंह भदौरिया, अपर कलेक्टर एलके पांडेय, नपा अध्यक्ष वर्षा वाल्मीक और विधायक प्रतिनिधि अरविंद बघेल सहित अन्य जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
बायपास के निर्माण का प्रारूप
बायपास का निर्माण रेत, गिट्टी की खदानों, रेलवे लाइनों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। एलईडी स्क्रीन पर बायपास का पूरा नक्शा दिखाकर जनप्रतिनिधियों से अनुमोदन मांगा गया। हालांकि, अटेर विधायक हेमंत कटारे ने आपत्ति जताई कि उनके क्षेत्र की उपेक्षा की गई है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि रेत और गिट्टी की खदानें नेशनल हाइवे की बाईं ओर स्थित हैं और दूसरी तरफ रेलवे लाइनें हैं। ऐसे में अंडरपास और आरओबी बनाने से समय और लागत में बढ़ोतरी होती है।
निर्माण के चरण और लागत
सूत्रों के अनुसार, बायपास का निर्माण दो चरणों में किया जा सकता है। पहले चरण में 1500 करोड़ रुपये की लागत से हाईब्रिड एन्युटी मोड के तहत काम किया जाएगा। दूसरे चरण में 2500 करोड़ रुपये की लागत सामान्य प्रक्रिया के तहत होगी। कुल मिलाकर इस परियोजना पर चार हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
कहां बनेगा कितना लंबा बायपास
भिण्ड:18 किमी
मेहगांव: 10 किमी
गोहद: 5.5 किमी
मालनपुर: 8.0 किमी
फूप: 3.0 किमी
भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया
इन बायपासों के निर्माण के लिए लगभग 400 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। परियोजना का प्रस्ताव पहले भोपाल, फिर दिल्ली भेजा जाएगा। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी।
जनप्रतिनिधियों की उम्मीद
जनप्रतिनिधियों का मानना है कि इन बायपासों के बनने से न केवल दुर्घटनाओं में कमी आएगी बल्कि आवागमन भी सुगम होगा। क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।