MP में रियलिटी चेक : पीएम आवास योजना में गरीबों के लिए तेजी से बन रहे हैं मकान

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2018 के अंत तक देश भर में बेघर लोगों और जर्जर घरों में रह रहे लोगों के लिए एक करोड़ आवास बनाने का लक्ष्य है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तेजी से आगे बढ़ा जा रहा है लेकिन जमीन पर नहीं कागजात पर. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर के साथ भोपाल और राजगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना का रियलिटी चेक किया. मौके पर पाया गया कि कई जगह आवास के नाम पर सिर्फ बाहरी दीवार ही खड़ी की गई है.

सबसे पहले राजगढ़ जिले के खिलचीपुर की बद्री पंचायत का रुख किया. यहां कई ऐसे आवास हैं जिनका निर्माण रिकॉर्ड में पूरा दिखा दिया गया है. ऐसे ही एक आधा अधूरा आवास राज सिंह का है. जनपद के अधिकारियों के मुताबिक राज सिंह को आवास निर्माण के लिए योजना के तहत आर्थिक मदद मुहैया कराई गई थी. वहीं राज सिंह का कहना है कि उनसे पैसा उगाहा जा रहा है. राज सिंह के मुताबिक वो आवास को इसलिए पूरा नहीं कर पा रहे, क्योंकि उनसे अधिकारी पैसे की मांग कर रहे हैं. राज सिंह का कहना है कि उनके पास अधिकारियों को देने के लिए पैसा नहीं है.

खिलचीपुर जनपद के सीईओ अनिल द्विवेदी इस खामी के लिए योजना के लाभार्थियों को ही कटघरे में खड़ा करते हैं. द्विवेदी ने कहा, ‘कुछ लक्ष्य निर्धारित हैं, जिन्हें हम पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ लोग हैं जिन्होंने पैसा लेने के बावजूद आवास का निर्माण नहीं किया है. हम उन्हें समझाने की कोशिश कर रहे हैं.’

सीएम के गृह जिले में भी गड़बड़

मुख्यमंत्री चौहान के गृह जिले सीहोर में प्रशासन ने 136 लोगों को आवास का निर्माण नहीं करने के लिए रिकवरी नोटिस जारी किए हैं. प्रशासन का कहना है कि इन लोगों ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सवा-सवा लाख रुपए की राशि लेने के बावजूद आवासों का निर्माण नहीं कराया. योजना के तहत प्रारंभिक किश्त मिलने के बाद 68 लोगों ने नया आवास बनवाने के लिए अपने कच्चे मकान तोड़ दिए. इन लोगों को अब योजना के लिए अयोग्य करार दे दिया गया है. इन लोगों में पप्पू खान भी शामिल हैं. पप्पू खान को ये पता ही नहीं है कि उन्हें योजना के तहत जो राशि निर्धारित थी, वो कागज में पूरी की पूरी उन्हें मिल गई है.

अब सुनिए पप्पू खान क्या कहते हैं- ‘मैंने अपना मकान तोड़ कर निर्माण कराना शुरू किया. मुझे जो पैसा दिया गया था उससे जो निर्माण संभव था मैंने वो करा दिया. मेरे पास पैसा नहीं है, अब मैं कैसे निर्माण पूरा करा सकता है.’

सीहोर में प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्यक्रम अधिकारी योगेंद्र रॉय का कहना है, ‘136 लोगों को रिकवरी नोटिस दिए गए हैं, क्योंकि उन्होंने पूरा पैसा लेने के बावजूद आवास का निर्माण नहीं किया. बार बार चेतावनी देने का भी उन पर कोई असर नहीं हुआ.’

पक्‍के आवास के नाम पर आधा-अधूरा मकान

अब बात मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के बाहरी क्षेत्र की. फांडा ब्लॉक के ईंटखेरी गांव में रमेश कुमार के आवास की जमीनी हकीकत भी जानिए. पक्के आवास के नाम पर यहां सिर्फ आगे का हिस्सा और दरवाजा ही देखा जा सकता है. इसके पीछे सारा मकान कच्चा ही है जिसमें रमेश कुमार का परिवार रहता है. अब अधिकारी रमेश कुमार पर आवास को पूरा कराने पर जोर दे रहे हैं लेकिन उनके पास इसके लिए पैसे ही नहीं है.

सीएम चौहान ने गड़बड़ी से किया इनकार

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से जब इस विषय पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस तरह के इक्का-दुक्का ही मामले हैं. मुख्यमंत्री चौहान ने कहा, ‘मैं ऐसे आरोपों को खारिज करता हूं. ऐसा एक अकेला मामला है. मेरे अधिकारी मौके पर जा रहे हैं और मुआयने के बाद लोगों को आवास आवंटित किए जा रहे हैं.’

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2022 तक गरीबों के लिए 2.95 करोड़ पक्के आवास बनाने का लक्ष्य है. इस योजना का मकसद यह है कि अस्वच्छ हालात में रहने वाले लोगों को स्वच्छ आवासों में रहने का मौका मिले जो उनके स्वास्थ्य के लिए भी सुरक्षित हों. लेकिन जिस तरह से आवास योजना के लक्ष्यों को पूरा किया जा रहा है, इससे गरीबों के लिए रिहाइशी स्थिति में कोई बदलाव आएगा, इस पर बड़ा सवालिया निशान है.

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