
भोपाल. पंचायतों के लिए आरक्षण की तारीख घोषित होने के बाद एक बार फिर पंचायत व नगरीय निकाय चुनावों को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। राज्य निर्वाचन आयोग इसके लिए खुद को पूरी तरह तैयार बता रहा है। निकाय चुनावों में पहले ही देरी हो चुकी है, लेकिन आयोग उसके बारे में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन भी नहीं कर पाया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय चुनाव समय पर कराने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद मप्र में समय पर चुनाव नहीं हो पा रहे हैं।
दिसंबर 2019 से अब तक 256 नगरीय निकायों का कार्यकाल खत्म हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय चुनावों के एक मामले में जो आदेश दिए थे, उसमें उसने साफ कहा है कि राज्य निर्वाचन आयोग समय पर चुनाव नहीं कराने के लिए बेवजह कोई बहाना नहीं बना सकता। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग को उसकी ताकत का अहसास कराते हुए भी कहा है कि आपके पावर भारत निर्वाचन आयोग से कम नहीं हैं।
15 फरवरी तक होना है आरक्षण
नगरीय निकायों के लिए वार्ड आरक्षण की आखिरी तारीख पहले 30 दिसंबर निर्धारित थी, लेकिन परिसीमन में गड़बड़ियों के कारण इसे 30 जनवरी कर दिया गया। नगर निगम में महापौर और नगर पालिका व नगर परिषद में अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण की समय सीमा 15 फरवरी है।
परिसीमन के कारण थोड़ा लेट हो गए: बीपी सिंह, राज्य निर्वाचन आयुक्त
सवाल – नगरीय निकाय चुनाव कब तक होंगे?
आरक्षण के प्रक्रिया पूरी होते ही इस दिशा में आगे बढ़ेंगे। हमारी तैयारी पूरी है।
सवाल – चुनाव समय पर नहीं हो पाएंगे, क्या कारण है?
परिसीमन व आरक्षण की कार्यवाही पूरी नहीं होने के कारण इसमें देरी हुई है।
सवाल – चुनाव समय पर कराने में सुप्रीम कोर्ट निर्देशों का पालन नहीं हुआ?
एक्ट में भी प्रावधान है कि कार्यकाल पूरा होने से पहले चुनाव कराए जाएं, लेकिन परिसीमन में देरी से चुनाव थोड़ा आगे बढ़े हैं।