राफेल डील पर मोदी सरकार को ‘क्लीन चिट’ नहीं

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का मोदी सरकार के खिलाफ जो सबसे बड़ा मुद्दा (राफेल डील) चुनाव आते-आते फीका पड़ता दिखाई दे रहा था, उसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश से एक बार फिर ताकत मिल गई है. वो भी ऐसे वक्त जब लोकसभा चुनाव 2019 के लिए पहले चरण के मतदान में महज चंद घंटे बचे हैं. ऐसे में सवाल ये है कि मोदी सरकार व भारतीय जनता पार्टी सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश के आधार पर इस केस में क्लीन चिट मिलने का जो दावा कर रही थी, क्या वो फिलहाल गलत साबित हो गया है और राहुल गांधी के आरोपों को चुनाव से ठीक पहले नई ताकत मिल गई है?

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील केस से जुड़ी पुनर्विचार याचिका पर जैसे ही सुनवाई का निर्णय लिया, इसके तुरंत बाद मोदी सरकार को क्लीन चिट के दावे पर सवाल उठने लगे. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘मोदी जी हर जगह कह रहे थे कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राफेल में क्लीन चिट मिली है. आज के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साबित हो गया कि मोदी जी ने राफेल में चोरी की है.’

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी लंबे समय से मोदी सरकार पर राफेल डील में चोरी का ही आरोप लगा रहे हैं. यहां तक कि वह चुनावी रैलियों में भी पीएम नरेंद्र मोदी के लिए ‘चौकीदार चोर है’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, राहुल गांधी के आरोपों को 14 दिसंबर 2018 में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बड़ा झटका लगा था, जिसमें कोर्ट ने राफेल लड़ाकू विमान की खरीद प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गलती दिखाई नहीं देने की टिप्पणी की थी.

कोर्ट के इसी आदेश को नरेंद्र मोदी खुद व पूरी बीजेपी और एनडीए के दूसरे सहयोगी राफेल डील में सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिलने का दावा कर रहे थे. लेकिन याचिकाकर्ताओं ने पुनर्विचार याचिका दायर कर कुछ अहम दस्तावेज सबूत के तौर पर कोर्ट के सामने रखे थे. इन दस्तावेजों पर केंद्र ने कोर्ट में कहा था कि याचिकाकर्ताओं (प्रशांत भूषण, अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा) ने विशेष दस्तावेज गैरकानूनी तरीके से हासिल किए और कोर्ट के पुराने निर्णय को चुनौती देने के लिए इसका प्रयोग किया गया. इस पर कोर्ट ने कहा कि हम केन्द्र द्वारा समीक्षा याचिका की स्वीकार्यता पर उठाई प्रारंभिक आपत्ति को खारिज करते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुनर्विचार याचिकाओं पर गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जाएगा और सुनवाई के लिए तारीख तय की जाएगी. यानी अब राफेल डील में सुप्रीम कोर्ट फिर सुनवाई करेगा, जिसे कांग्रेस सत्य की जीत बता रही है और उसने फिर से मोदी सरकार पर चोरी के आरोपों को मजबूती से उठाना शुरू कर दिया है.

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