किसानों की हुंकार, टेंशन में सरकार:शिवराज को जाना पड़ा समझाने; जानिए-क्यों आंदोलन पर उतरे अन्नदाता

मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को बमुश्किल 1 साल बचा है, ऐसे में किसान आंदोलन पर उतरे तो सरकार टेंशन में आ गई। खुद सीएम शिवराज सिंह किसानों को समझाने उनके मंच पर पहुंचे। जानिए आखिर क्यों आक्रोशित हैं अन्नदाता।

खाद की किल्लत, प्याज-लहसुन के औंधे मुंह गिरे रेट और लचर सरकारी सिस्टम…। चुनाव से पहले इन मुद्दों को लेकर जब किसानों ने हुंकार भरी तो सरकार की टेंशन बढ़ गई। किसान पंचायत में सरकार को घेर रहे किसान नेताओं और किसानों को समझाने खुद CM शिवराज सिंह चौहान को भोपाल में मंच पर पहुंचना पड़ा।

सीएम ने मंच से कई घोषणाएं भी कर दीं, लेकिन किसान नेता फिलहाल पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। सात दिन के विशेष विधानसभा सत्र, भावांतर जैसी मांगें अब भी अधूरी हैं। जानते हैं, आखिर किसानों को आंदोलन करने सड़क पर क्यों उतरना पड़ रहा है? पढ़िए यह रिपोर्ट…।

सबसे पहले जानिए किसानों ने किन मुद्दों पर किया प्रदर्शन
विधानसभा का 7 दिवसीय विशेष सत्र बुलाए जाने समेत कुल 18 सूत्रीय मांगों को लेकर भारतीय किसान संघ ने मंगलवार को राजधानी में बड़ा प्रदर्शन किया। तीन घंटे तक किसान नेताओं ने सरकार को खूब घेरा। आखिरकार CM शिवराज सिंह चौहान को किसानों के इस मंच पर पहुंचना पड़ा। उन्होंने मंच से ही कई मांगें मान ली। कुछ मांगें अधूरी हैं। इनमें विधानसभा सत्र, भावांतर योजना आदि शामिल हैं। इसे लेकर किसान आगे भी आंदोलन कर सकते हैं।

राजधानी में किसानों की हुंकार के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मंच पर पहुंचना पड़ा था। उन्होंने अधिकांश समस्याओं को दूर करने की बात कहते हुए मंच से घोषणा भी कर दी।
आंदोलन की जरूरत क्यों पड़ी?
अब जानते हैं कि किसानों को आंदोलन की जरूरत आखिर क्यों पड़ी…। दरअसल, पिछले एक साल से किसान कई मुद्दों पर लड़ रहे हैं। लहसुन और प्याज के औने-पौने भाव मिलने को लेकर भी किसान नाराज हैं। धार, उज्जैन, शाजापुर, आगर समेत कई जिलों में लहसुन के रेट इतने गिर गए कि लागत भी नहीं निकल पाई। 5 रुपए किलो से भी कम रेट मिले। प्याज को लेकर भी यही हुआ। इस दौर से जैसे-तैसे किसान निकले तो तेज बारिश से फसलें बर्बाद हो गईं।

यह फोटो करीब 10 महीने पहले धार जिले का है। कई किसानों ने लहसुन के रेट कम मिलने के बाद नदी-नालों में लहसुन बहा दिया था। इस तरह के फोटो प्रदेश में कई जगह देखने मिले थे।
इन दोनों समस्याओं से जूझने के बाद किसानों ने गेहूं-चने की बुवाई तो कर ली, लेकिन अब उनके सामने खाद का बड़ा संकट खड़ा हो चुका है। राजगढ़, रतलाम और शाजापुर में सुबह से शाम तक लाइन में लगने के बावजूद किसानों को दो बोरी खाद नसीब नहीं हो रहा है। दूसरी ओर, सरकार दावे कर रही है कि खाद की कहीं कोई परेशानी नहीं है। बस यही बात किसानों के मन में घर कर रही है। आंदोलन में इस मुद्दे पर सरकार को किसान नेताओं ने जमकर घेरा।

तस्वीर राजगढ़ जिले की जीरापुर विपणन समिति के बाहर की है। यहां दो दिन पहले किसान कतार में खड़े नजर आए। खाद नहीं मिलने के बाद उन्होंने जमकर हंगामा किया था।
अब पढ़िए किसान संघ की आगे की रणनीति
किसानों से जुड़े मुद्दों पर भारतीय किसान संघ अचानक मैदान में उतर पड़ा। मंच से ही राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के नेताओं ने सरकार को जमकर खरी-खोटी सुनाई। महिलाओं ने तो समस्याएं दूर न होने पर मंत्री-विधायकों को चूड़ियां भेंट करने की बात तक कह डाली। वहीं, सीएम के सामने ही सरकारी सिस्टम पर सवाल उठा दिए।

आंदोलन को लेकर दैनिक भास्कर ने भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना से बात की…।

भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना। उन्होंने भोपाल में हुए कार्यक्रम में शंख बजाकर आंदोलन की शुरुआत की। किसानों की समस्याओं को लेकर उन्होंने अपनी बात भी रखी।
भास्कर: किसान संघ को आंदोलन करने क्यों उतरना पड़ा?
आंजना: किसानों की कई समस्याएं हैं। इन पर सरकार का ध्यान नहीं है। इसलिए प्रदर्शन करने उतरे।

भास्कर: क्या लहसुन-प्याज के रेट कम मिल रहे। खाद की किल्लत है?
आंजना: लहसुन के रेट काफी कम मिल रहे हैं। कुछ महीने पहले लहसुन सड़कों में फेंकी गई तो नालों में भी बहाई गई। इसके बाद बारिश से फसलें बर्बाद हो गईं। इससे किसान टूट गया। जैसे-तैसे किसान कर्ज लेकर खाद लेने जा रहा है, लेकिन वह भी नहीं मिल रही है। पूरे प्रदेश में खाद संकट से परेशानी है।

भास्कर: नामांतरण-बंटवारे को लेकर क्या परेशानी है?
आंजना: नामांतरण-बंटवारे का काम राजस्व विभाग करता है, लेकिन राजस्व तंत्र सिर्फ कुछ कामों की ओर ही लगा है। किसान की समस्याओं की ओर कोई ध्यान नहीं है।

भास्कर: भावांतर योजना को लेकर क्यों नाराजगी है?
आंजना: कुछ समय के लिए यह योजना लागू हुई थी, लेकिन कमलनाथ सरकार ने इसे बंद कर दिया था। मौजूदा सरकार इसे फिर से चालू करे।

भास्कर: मंडियों में बिचौलिए हावी हैं, इसे लेकर क्या रणनीति है?
आंजना: मंडियों में किसान को अपनी उपज के सही दाम नहीं मिल रहे हैं। बिचौलिए समाप्त हों।

भास्कर: विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग का क्या मकसद है?
आंजना: किसानों से जुड़े जितने भी विभाग हैं, वे सभी मिलकर चर्चा करें। हर विधायक सत्र में समस्याओं पर चिंतन करें। इसे लेकर प्रदेश के 175 विधायकों को ज्ञापन सौंपे हैं।

भोपाल में जुटे हजारों किसान
भोपाल में मंगलवार को प्रदेशभर के किसान बड़ा आंदोलन कर रहे हैं। किसानों और किसान नेता एक बार फिर विधानसभा का 7 दिन का विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग कर रहे हैं। उनकी मांग है कि इसमें सिर्फ खेती-किसानी से जुड़े मुद्दे और समस्याओं पर ही चर्चा हो। किसान संघ के प्रोग्राम में आईडीए (इंदौर विकास प्राधिकरण) को भंग करने की मांग भी की गई। पूरी खबर पढ़िए

भोपाल में 22 नवंबर को किसानों ने बड़ा प्रदर्शन किया। मंच पर पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को किसान नेताओं ने ज्ञापन भी सौंपा था।
राजगढ़ में खाद के लिए भूखे-प्यासे खड़े रहे हजारों किसान
प्रदेश में खाद की कोई कमी नहीं है…कुछ लोग अफवाह और भम्र का माहौल बनाकर अराजकता फैलाना चाहते हैं। सरकार के इस दावे के उलट तस्वीर राजगढ़ जिले के जीरापुर में नजर आई। यहां एक बोरी खाद के लिए 12 घंटे किसान भूखे-प्यासे लाइन में खड़े नजर आए। इनमें महिलाएं और बड़े बुजुर्ग तो थे ही, बच्चे भी स्कूल छोड़कर लाइन में खड़े नजर आए। बमुश्किल 1100 किसानों को दो-दो बोरी खाद देकर सोसायटी में ताला लगा दिया गया। पूरी खबर पढ़िए

राजगढ़ जिले में खाद को लेकर परेशान किसान।
शाजापुर जिले में प्रदर्शन, कांग्रेसी भी सड़क पर उतरे
शाजापुर जिले के पोलायकलां में कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने सेवा सहकारी संस्था के सामने हंगामा कर दिया। इसी दौरान मौके से जिम्मेदार अधिकारियों को फोन लगाए और खाद की कमी को दूर करने को कहा। विधायक ने चेतावनी देते हुए कहा कि 3 दिन में समस्या का समाधान नहीं हुआ तो कलेक्टर कार्यालय के सामने धरना दूंगा।

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